प्रशासन के रहते कैसे बने घर प्रतीत होता है राजीव नगर में पुलिस के वेश में थे डाकू- पटना हाई कोर्ट
प्रशासन के रहते कैसे बने घर प्रतीत होता है राजीव नगर में पुलिस के वेश में थे डाकू- पटना हाई कोर्ट
Patna News: महाधिवक्ता ललित किशोर ने हाई कोर्ट को बताया कि भूमि बंदोबस्ती कानून के तहत पूरे 1024 एकड़ को दो भाग में बांटा गया है. इसमें एक हिस्सा 600 एकड़ का है, जिसपर मकान हैं. इसे नियमित करने की योजना पहले से घोषित है, लेकिन 400 एकड़ जमीन पर जहां-तहां मकान बने हुए हैं. इसे नियमित करने की कोई योजन नहीं है.
पटना. बिहार की राजधानी पटना के राजीव नगर में प्रशासन की ओर से चलाए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि मानो राजीव नगर में पुलिस के वेश में डाकू थे. हाई कोर्ट ने नेपाली नगर में जिला और पुलिस प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण हटाने के मामले में यह तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि प्रशासन के रहते जमीन पर लोगों ने कैसे घर बना लिए? ऐसा प्रतीत होता है कि राजीव नगर में पुलिस के वेश में डाकू प्रतिनियुक्ति पर थे_ ऐसे डाकुओं को चिह्नित कर इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्ट की टिप्पणी थी कि पुलिस द्वारा पैसे खाकर घर का निर्माण होने दिया गया.
हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष नेपाली नगर मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार एवं आवास बोर्ड द्वारा अपना पक्ष रखा गया. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है. याचिकाकर्ता उक्त जमीन पर अपना अधिकार स्थापित करने में विफल हैं. किसी भी याचिका में भूमि का विवरण नहीं दिया गया है कि उनकी प्लॉट संख्या और बाउंड्री किस दायरे में आती है. याचिका में अस्पष्टता है, इसलिए उक्त याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं.
जमीन का विवरण नहीं
इस पर कोर्ट द्वारा महाधिवक्ता से यह पूछा क्या जब इनके घर तोड़ दिए जाएंगे तब ये लोग हाई कोर्ट के समक्ष आएंगे? इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अपनी जमीन का उचित विवरण रिट याचिका में देना चाहिए था. महाधिवक्ता ने तर्क देते हुए कहा कि भूमि बंदोबस्ती कानून की वैधता को चुनौती नहीं दी गई है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्ष का ब्योरा देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने माना है कि जमीन राज्य सरकार की है.
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हाई कोर्ट की टिप्पणी
महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रशासन की जानकारी के बिना नेपाली नगर में घर बना लिए गए. इस पर न्यायालय द्वारा तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस को सब पता था. इसके बावजूद पुलिस ने पैसा लेकर जमीन पर मकान बनने दिया. महाधिवक्ता ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि इन सभी मामलों में लगभग 400 केस दर्ज किए गए थे. कोर्ट ने कहा कि केवल ऐसे ही लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई जो पुलिस को पैसा नहीं दे पाए नहीं तो हालात कुछ और होते. कोर्ट ने कहा कि इस इलाके में पिछले 20-25 साल में तैनात रहे अफसरों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही यह भी कहा कि राजीव नगर इलाके में कि इन सभी निर्माण पर सैटेलाइट द्वारा निगरानी रखी जा सकती है.
4 अगस्त को अगली सुनवाई
महाधिवक्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि भूमि बंदोबस्ती कानून के तहत पूरे 1024 एकड़ को दो भाग में बांटा गया है. इसमें एक हिस्सा 600 एकड़ का है, जिसपर मकान हैं. इसे नियमित करने की योजना पहले से घोषित है, लेकिन 400 एकड़ जमीन पर जहां-तहां मकान बने हुए हैं. इसे नियमित करने की कोई योजन नहीं है. सुनवाई में कोर्ट ने आवास बोर्ड से पूछा कि क्या उसके पास बनाए गए मकानों की सूची है? इस पर वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि 400 एकड़ भूमि पर किसी भी सर्वेक्षण की जरूरत नहीं है. जमीन पर घर बनाने वाले लोगों को पहले से मालूम था कि यह जमीन नियमित नहीं है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राजीव नगर के 600 एकड़ भूमि पर भी केवल सेक्टर 3, 4, 5, 6, 7, 9, 11 और 12 को ही नियमित किए जाने का प्लान है. इस मामले पर अगली सुनवाई 4 अगस्त को होनी है, जिसमें याचिकाकर्ता की तरफ से जबाब आना है. इस पूरे मामले में आर्थिक अपराध इकाई ने अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है. फिलहाल फरार चल रहे माफियाओं और सहकारी समिति के लोगों को चिन्हित किया जा रहा है.
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Tags: Bihar News, Patna high courtFIRST PUBLISHED : August 03, 2022, 07:33 IST