बड़े काम का नाम! पटना का डाक बंगला चौराहा क्यों है फेमस क्या है असली नाम

Famous Places of Patna: डाक बंगला चौराहे पर आप पहुंचेंगे तो यहां के दक्षिण पश्चिम कोने में एक बोर्ड लगा है. यह बोर्ड भारत की महान विभूति के नाम पर है और इस चौराहे का नाम भी यही है. जी हां, डाक बंगला चौराहे का वास्तविक नाम आम लोगों को शायद ही पता हो, लेकिन हम आगे आपको यह नाम भी बताएंगे और डाक बंगला चौराहा फेमस क्यों है यह भी बताएंगे.

बड़े काम का नाम! पटना का डाक बंगला चौराहा क्यों है फेमस क्या है असली नाम
हाइलाइट्स पटना के दिल की धड़कन कहा जाता है डाक बंगला चौराहा. डाक बंगला चौराहे से पटना में कहीं भी आना-जाना आसान. पटना के डाक बंगला चौराहे का वास्तविक नाम जान लीजिये. पटना. बिहार की राजधानी पटना आने वाला कोई भी व्यक्ति और कोई स्थान के बारे में जाने या न जाने लेकिन फेमस डाक बंगला चौराहा का नाम जरूर जानता है. अगर उनको स्मरण न हो तो कोई ऑटो वाला या कैब वाला या फिर रिक्शा वाला डाक बंगला चौराहे का जिक्र कर उनका ध्यान अवश्य दिला देता है. दरअसल पटना की हृदस्थली कहा जाने वाले इस चौराहा का लोकेशन भी तो ऐसा ही है. पटना स्टेशन पर उतरिये तो पैदल ही पांच मिनट में डाक बंगला चौराह पहुंच जाइये यहां से कोतवाली थाना, गांधी मैदान, एग्जिबिशन रोड जैसे प्रसिद्ध स्थान लगभग समान दूरी पर हैं और पैदल ही पांच मिनट में पहुंचा जा सकता है. आकाशवाणी और दूरदर्शन तो डाक बंगला चौराहा से साफ दिख भी जाता है. लेकिन डाक बंगला चौराहा का वास्तविक नाम शायद ही लोगों को याद हो. तो आइये हम आपको बताते हैं इसका वास्तविक नाम. डाक बंगला चौराहे पर आप पहुंचेंगे तो यहां के दक्षिण पश्चिम कोने में एक बोर्ड लगा है. यह बोर्ड भारत की महान विभूति के नाम पर है और इस चौराहे का नाम भी यही है. जी हां, डाक बंगला चौराहे का वास्तविक नाम ‘कवि गुरु रविंद्र चौक’ है और इसका बोर्ड भी यहां लगा हुआ है. लेकिन अब यह बेरंग और अस्पष्ट है. शायद हम अपनी ही उपलब्धियों और महापुरुषों का सम्मान करना नहीं सीख पाए हैं क्योंकि अभी भी हमारी अंग्रेजों से गुलामी की मानसिकता खत्म नहीं हुई है. डाक बंगला चौराहे की कहानी जानिये डाक बंगला चौराहा के नाम से फेमस ‘कवि गुरु रविंद्र चौक’ की कहानी 131 वर्ष पुरानी है. आज चौराहे के दक्षिण पश्चिम कोने पर बहु मंजिला लोकनायक जयप्रकाश नारायण भवन है, वहां कभी बांकीपुर डाक बंगला हुआ करता था. इसी के नाम के कारण आज भी इसे लोग डाक बंगला कहते हैं. दरअसल, स्वतंत्रता के पहले, बिहार विभाजन से भी पहले बांकीपुर गांव हुआ करता था. बिहार के बंगाल से अलग होने के बाद 1912 में पटना ने जब राजधानी के रूप में विकास किया तब बांकीपुर राजधानी क्षेत्र का एक हिस्सा भर रह गया. पटना के डाकबंगला चौराहा पर लगा कवि गुरु रविंद्र चौक का बोर्ड. ओडिशा-बंगाल प्रोविंस का हिस्सा था बिहार जानकार बताते हैं कि स्वतंत्रता पूर्व जब बिहार और ओडिशा-बंगाल प्रोविंस का हिस्सा हुआ करते थे. उस समय 1893 में यहीं डाक बंगला का निर्माण किया गया था. इसी के बाद इसका नाम डाक बंगला चौराहा हो गया. इसके बाद के दौर में जेपी आंदोलन के समय 1974 के कालखंड में इस चौराहे के आसपास छात्र नेताओं से लेकर राजनीति के दिग्गजों की बैठक होती रहती थीं. इसके बाद के समय में 1984 में इसे तोड़कर 6 मंजिला व्यवसायिक परिसर बनाया गया. इस भवन में निजी क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों का व्यवसायिक परिसर हैं और इसी दौरान इसका नाम कवि गुरु रविंद्र चौक पड़ गया. लेकिन यह नाम आज भी फेमस नहीं हो पाया. डाक बंगला चौराहे पर लगा कवि गुरु रविंद्र चौक का यह बोर्ड गुलामी की मानसिकता से आजादी दिलाने के लिये लगाया गया, लेकिन हमने इसे आत्मसात नहीं किया. डाक बंगला भवन की वास्तुकला थी फेमस जानकार कहते हैं कि बांकीपुर डाक बंगला भवन का निर्माण डच वास्तुकला में हुआ था. स्वतंत्रता के बाद इस भवन में जिला अभियंता का कार्यालय हुआ करता था. लोकल सेल्फ गवर्नमेंट कैडेर के अभियंत, वैद्य, यूनानी चिकित्सक, चौकीदार, दीवान जैसे पदधारक यहां हुआ करते थे. बाद में पटना जिला अभियंता और जिला परिषद कार्यालय कलेक्ट्रेट में शिफ्ट हुआ, जिसे तोड़कर अब नया कलेक्ट्रेट भवन बनाया जा रहा है. बता दें कि डाक बंगला चौराहे के अस्तित्व से सरकार भी छेड़छाड़ नहीं करना चाहती है तभी तो यहां से गुजर रहा मेट्रो प्रोजेक्ट भी अंडरग्राउंड रखा गया है ताकि इसकी पहचान बनी रहे. आज भी यह ‘कवि गुरु रविंद्र चौक’ की जगह डाक बंगला चौराहा के नाम से ही प्रसिद्ध है. Tags: Bihar latest news, Bihar NewsFIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 09:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed