कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव खत्म हुआ राजस्थान की रार नहीं! गहलोत VS पायलट जंग बाकी है अब खड़गे क्या करेंगे
कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव खत्म हुआ राजस्थान की रार नहीं! गहलोत VS पायलट जंग बाकी है अब खड़गे क्या करेंगे
Rajasthan Ashok Gehlot vs Sachin Pilot: राजस्थान का मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है. कांग्रेस में आंतरिक कलह का मुद्दा केवल कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए टाला गया था. कांग्रेस के नए कप्तान बने मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने तो वैसे अभी कई चुनौतियां हैं, मगर सबसे पहले उन्हें राजस्थान कांग्रेस यूनिट में मचे घमासान को निपटाना होगा, क्योंकि इस बार टीम गहलोत और टीम पायलट आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए बहुप्रतीक्षित चुनाव संपन्न हो गया और पार्टी को मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में एक नया प्रमुख मिल गया. अब जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनावी रस्साकशी खत्म हो चुकी है तो अब फिर से पार्टी का पूरा फोकस राजस्थान पर ही होगा. राजस्थान में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे या फिर सचिन पायलट को सरकार की कमान दी जाए, इस पर कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सीनिर लीडरशिप को फैसला करना होगा. यहां बताना जरूरी है कि अशोक गहलोत के पास अब भी विधायकों का भारी समर्थन है.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में पार्टी सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि राजस्थान का मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है. कांग्रेस में आंतरिक कलह का मुद्दा केवल कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए टाला गया था. कांग्रेस के नए कप्तान बने मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने तो वैसे अभी कई चुनौतियां हैं, मगर सबसे पहले उन्हें राजस्थान कांग्रेस यूनिट में मचे घमासान को निपटाना होगा, क्योंकि इस बार टीम गहलोत और टीम पायलट आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं.
खड़गे के सामने सबसे बड़ी चुनौती
हालांकि, राजस्थान में पार्टी के आंतरिक कलह को सुलझाना मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए इतना आसान नहीं होने वाला है. यह काफी पेचीदा है. राजस्थान में एक तरफ विधायकों का भारी समर्थन वाला एक अनुभवी मुख्यमंत्री है तो दूसरी तरफ एक युवा नेता है, जिसे लेकर कहा जाता है कि गांधी परिवार ने अनौपचारिक रूप से मुख्यमंत्री पद का आश्वासन दिया था. राजस्थान में अगले साल चुनाव भी होना है और ऐसे में सत्ता को बरकरार रखना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती भी होगी. बता दें कि राजस्थान का हर पांच साल पर सत्ता परिवर्तन का इतिहास रहा है. ऐसे में कांग्रेस राजस्थान में दोबारा जीत कर इतिहास बदलना चाहेगी. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले साल 2023 में नवंबर-दिसंबर के दौरान राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं.
क्या गहलोत की जाएगी कुर्सी?
दरअसल, विधानसभा चुनाव के परिणाम को आम चुनावों से नहीं जोड़ा जा सकता है, क्योंकि कांग्रेस ने 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को जीत लिया था, मगर कुछ महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. सचिन पायलट खेमे का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान से सिग्नल मिलते ही विधायक पाला बदल लेंगे और उनके पक्ष में आ जाएंगे. हालांकि, अशोक गहलोत को राजस्थान की कुर्सी से हटाना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि गहलोत को सत्ता से हटाने की केंद्रीय नेतृत्व की कोशिश पिछले महीने विफल रही थी. उनके वफादार विधायकों ने खुले तौर पर कांग्रेस नेतृत्व से बगावत कर दी थी और आलाकमान के कहने पर बुलाई गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक से दूर रहे थे.
राजस्थान का मसला अभी सुलझा नहीं
यहां सबसे अहम यह है कि राजस्थान कांग्रेस में ये सब नाटकीय दौर तब सामने आया था, जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे खुद जयपुर में मौजूद थे. अशोक गहलोत भी अच्छी तरह जानते हैं कि मसला अभी सुलझा नहीं है. यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों में उनके बयानों से यह इशारा मिलता है कि वह आसानी से कुर्सी छोड़ने वाले नहीं है. बीते दिनों उन्होंने बयान दिया था कि युवाओं को धैर्य रखना चाहिए और अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए.
कांग्रेस ने कर दिया इशारा?
हालांकि, राजस्थान में कांग्रेस क्या कदम उठाने वाली है, इसका आलाकमान से भी संकेत मिल रहा है. कांग्रेस पार्टी ने पिछले हफ्ते एक बयान दिया जिसमें कहा गया था कि सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख कमलनाथ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार में पार्टी के ‘प्रतिनिधि’ के रूप में नियुक्त किया है. कांग्रेस के इस फैसले ने कई लोगों को चौंका दिया, क्योंकि पार्टी को भी पता था कि मुलायम सिंह के निधन के बाद अशोक गहलोत भी सैफई जाएंगे. इस फैसले से सियासी गलियारों में यह संकेत गया कि क्या सोनिया गांधी अब भी अशोक गहलोत से नाराज हैं.
गहलोत के खड़गे का समर्थन करने का क्या मतलब
इधर, अशोक गहलोत भी लगातार दांव-पेच चल रहे हैं. जब से उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पर विराम लगाया, तब से ही वह खड़गे के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं. इतना ही नहीं, गहलोत ने खड़गे के पक्ष में लगातार बयान भी दिए हैं. क्योंकि गहलोत के बारे में कहा जाता है कि वह काफी चतूर राजनेता हैं और उन्हें पता है कि कब और कैसे अपने पत्ते खोलना है. हालांकि, पायलट भी कम नहीं हैं. खड़गे की जीत के बाद सबसे पहले बधाई देने वाले नेताओं में वह भी एक थे. वहीं, अशोक गहलोत भी खड़गे के राजाजी मार्ग स्थित उनके आवास पर पहुंचे और उन्हें बधाई दी. फिलहाल, राजस्थान में कांग्रेस क्या करती है, इसका सबको इंतजार है.
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Tags: Congress, Mallikarjun kharge, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : October 20, 2022, 08:07 IST