सुप्रीम कोर्ट का ED से सीधा सवाल- क्‍या गिरफ्तारी की कोई नीति है

CM Arvind Kejriwal Arrest: दिल्‍ली शराब घोटाला मामले में ED ने घंटों की पूछताछ के बाद मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया था. अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी की वैधताा को चुनौती दी है.

सुप्रीम कोर्ट का ED से सीधा सवाल- क्‍या गिरफ्तारी की कोई नीति है
नई दिल्‍ली. मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्‍ली शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. सीएम अरविंद केजरीवाल फिलहाल सीबीआई की हिरासत में हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी वह जेल से फिलहाल बाहर नहीं आ सकते हैं. इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने भी केजरीवाल को जमानत दे दी थी, जिसपर दिल्‍ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. अरविंद केजरीवाल ने ED की गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए जांच एजेंसी के कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. शीर्ष अदालत ने इसे बड़ी पीठ के हवाले कर दिया है. अब CJI डीवाई चंद्रचूड़ इसपर नई बेंच का गठन करेंगे, जिसके बाद केजरीवाल द्वारा गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर नए सिरे से सुनवाई होगी. शुक्रवार 12 जुलाई 2024 को सीएम केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दो जजों की पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी से ताबड़तोड़ कई सवाल पूछ लिए. दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को ED मामले में अंतरिम ज़मानत देने वाले सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम सवाल उठाए :- 1. ज़मानत के मामले में धारा 45 के कारण ED की राय की बहुत महत्‍वपूर्ण होती है. ED को सभी के लिए एक नियम, समान व्‍यवहार और एकरूपता रखनी चाहिए. ED की ओर से दर्ज केस और गिरफ्तारी के आकंड़ों से ये सवाल उठते हैं कि क्या गिरफ्तारी को लेकर ED की अपनी कोई नीति है? 2. ED मनी लॉन्ड्रिंग केस में किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी करते वक़्त उन तथ्यों और सबूतों को नज़रअंदाज नहीं कर सकती, जो आरोपी के पक्ष में जाते हैं. 3. जांच अधिकारी (IO) सबूतों को लेकर सेलेक्टिव नहीं हो सकते. ऐसा नहीं हो सकता कि IO सिर्फ़ आरोपी के खिलाफ जाने वाले तथ्‍यों पर विचार कर फैसला कर ले. आरोपी के पक्ष वाले तथ्यों पर भी IO को गौर करना चाहिए. PMLA की धारा 19 के तहत मिले गिरफ्तारी के अधिकार का इस्तेमाल जांच अधिकारी मनमर्ज़ी (Whims and Fancies) के मुताबिक नहीं कर सकता. ‘इसे अरविंद केजरीवाल पर ही छोड़ देना चाहिए’, सुप्रीम कोर्ट को ऐसा क्‍यों कहना पड़ा, सुनवाई के दौरान क्‍या हुआ? 4. PMLA के सेक्शन 19 के तहत गिरफ्तारी की वैधता से जुड़े सवाल विचार के लिए बड़ी बेंच को भेजे गए हैं. उनपर गंभीर विचार विमर्श की ज़रूरत है. जीवन का अधिकार बहुत अहम है. अरविंद केजरीवाल पहले ही 90 से ज़्यादा दिन जेल में गुजार चुके है, इसलिए अंतरिम ज़मानत दी जा रही है. अंतरिम ज़मानत की शर्तें तय करते हुए कोर्ट ने कहा कि बड़ी बेंच इस अंतरिम जमानत की मियाद को बढ़ा भी सकती है या रद्द भी कर सकती है. 5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस फैसले में की गई कोर्ट की टिप्पणियों को इस केस या आरोप को लेकर कोर्ट की राय न माना जाए. अगर अरविंद केजरीवाल की नियमित ज़मानत याचिका का सवाल कहीं लंबित है तो जज इस फैसले से प्रभावित हुए बगैर अपने पास उपलब्ध तथ्यों और सबूतों के आधार पर फैसला लें. 6. अरविंद केजरीवाल को CM पद पर बने रहना चाहिए या नहीं यह फ़ैसला अरविंद केजरीवाल पर छोड़ पर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल चुने हुए नेता होने के साथ ही दिल्ली के मुख्‍यमंत्री भी हैं. निश्चित रूप से यह पद प्रभावशाली है, लेकिन उनको CM रहना चाहिए या नहीं, इस पर कोर्ट अपनी ओर से कोई निर्देश नहीं दे सकता. यह फैसला ख़ुद उन्हें लेना है. Tags: CM Arvind Kejriwal, Delhi liquor scam, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 12, 2024, 19:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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