ड्रोन नाइट विजन कैमरे और ट्रेंकुलाइजर फिर भी क्यों पकड़ से बाहर भेड़िये
ड्रोन नाइट विजन कैमरे और ट्रेंकुलाइजर फिर भी क्यों पकड़ से बाहर भेड़िये
Wolf Attack in Bahraich: भेड़िये उन जानवरों में शुमार हैं जो बहुत चालाक होते हैं. जरा सी आहट महसूस कर लेते हैं. हमेशा झुंड में चलते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक भेड़िये इंसानों के दुश्मन नहीं हैं.
Wolf Attack in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों ने अब तक 9 लोगों की जान ले ली है. जिसमें 8 बच्चे हैं और कम से कम 25 लोगों को घायल किया है. भेड़ियों के हमले से बहराइच के कम से कम 50 गांव में दहशत का माहौल है. वन विभाग की टीम अब तक चार भेड़ियों को पकड़ पाई है, लेकिन दो नरभक्षी भेड़िये अभी भी पकड़ से बाहर हैं. उन्हें पकड़ने के लिए ड्रोन से लेकर नाइट विजन कैमरों तक का सहारा लिया जा रहा है. इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि अगर भेड़िये पकड़े नहीं जाते हैं तो उनको गोली मार दी जाए.
क्या इंसानों के दुश्मन हैं भेड़िये?
तमाम फिल्म, सीरियल, किताबों और कहानियों में भेड़ियों को एक खूंखार जानवर के रूप में दिखाया जाता है. ऐसा जानवर जो इंसानों की जान ले लेता है. हालांकि वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स और जीव विज्ञानी इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं. भेड़ियों पर काम करने वाले वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट सिद्धार्थ सिंह hindi.news18.com से कहते हैं कि भेड़िये ऐसे जानवर हैं, जो इंसानों से दूर रहना पसंद करते हैं. उनके प्रति कोई अग्रेशन नहीं दिखाते. इंसान बड़ी आसानी से उसकी मांद के पास पहुंच सकते हैं. ये बहुत शर्मीले जानवर हैं और रात को ही निकलते हैं.
फिर नरभक्षी क्यों बने?
सिद्धार्थ सिंह कहते हैं कि कई बार कई बार किसी मैन-एनिमल कॉन्फ्लिक्ट या दूसरी वजहों से जब कोई भेड़िया चोटिल हो जाता है तो आसान शिकार तलाश करने लगता है. इस केस में इंसान के बच्चे उन्हें सॉफ्ट टारगेट नजर आते हैं. एक बार झुंड के किसी भेड़िये के मुंह इंसान का खून लग गया तो दूसरे भी इसी पैटर्न को फॉलो करने लगते हैं. बहराइच के केस में भी एक भेड़िया लंगड़ा है. संभवत: पहले उसी ने इंसान का शिकार किया होगा.
छोटे बच्चे ही क्योंं शिकार
भेड़िये अमूमन अपने साइज से छोटे जानवर का शिकार करते हैं. जैसे छोटी बकरी या मेमना. वो ऐसा जानवर तलाशते हैं जिसे आसानी से अपने मुंह में दबोच सकें. इंसान के 2-3 साल के बच्चे उसके लिए बिल्कुल सूटेबल हैं. वे कोई प्रतिरोध भी नहीं कर पाते और शिकार आसान होता है. इसीलिये भेड़िये उन्हें टारगेट करते हैं.
क्यों हमेशा झुंड में चलते हैं?
भेड़िये हमेशा झुंड में क्यों चलते हैं? वैज्ञानिकों के अनुसार, इसके पीछे उनकी आपसी बॉन्डिंग जिम्मेदार है. भेड़ियों के बीच गहरी बॉन्डिंग होती है और वे एक-दूसरे का बहुत ध्यान रखते हैं. परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य या मुखिया का काम होता है कि वह सभी सदस्यों की देखभाल करे और उन्हें साथ लेकर चले. भेड़िये अपने झुंड से अलग होना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते. एक झुंड में आमतौर पर 7 से 12 सदस्य होते हैं, लेकिन कुछ झुंडों में 20 से 30 भेड़िये भी हो सकते हैं.
भेड़ियों को पकड़ना क्यों इतना मुश्किल?
सिद्धार्थ सिंह कहते हैं कि भेड़िये बहुत चालाक जानवर हैं और इनका आपसी कम्युनिकेशन बहुत स्ट्रॉन्ग होता है. ये जरा सी आहट को महसूस कर लेते हैं. सबसे बड़ी बात है कि इनका कद बहुत छोटा होता. खेतों में छिपकर चलते हैं और आसानी से नजर नहीं आते. इसलिये इनको पकड़ना चुनौतीपूर्ण है. वह कहते हैं भेड़ियों के हर झुंड में एक अल्फा भेड़िया होता, जो सबको लीड करता है. जब तक उसको न पकड़ा जाए, तब तक पूरे झुंड को कंट्रोल करना मुश्किल है. बहराइच के केस में संभवत: अभी तक अल्फा भेड़िया नहीं पकड़ा गया है. इसलिये उनके हमले अब भी जारी हैं.
भेड़ियों से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
– दुनिया में भेड़ियों की 3 प्रजातियां और करीब 40 उप-प्रजातियां (Wolves Species) पाई जाती हैं
– एक वयस्क नर भेड़िये की लंबाई 6.5 फीट और मादा भेड़िये की लंबाई 4.5 से 6 फीट तक हो सकती है.
– भेड़िये 36 से 38 मील प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं.
– भेड़ियों के झुंड में 7 से लेकर 30 सदस्य तक हो सकते हैं
– भेड़ियों के 42 पैने दांत होते हैं. शिकार को पलक झपकते गिरा देते हैं.
– भेड़िये अमूमन 6-7 साल तक जिंदा रहते हैं
– भारत में इन्हें लुप्तप्राय कैटेगरी में रखा गया है. इनके अस्तित्व पर खतरा है
Tags: Bahraich news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 10:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed