राजस्थान के इस शहर में होती है गायों की गजब दौड़ मौसम और फसल से है कनेक्शन

Bhai Dooj : भाई दूज पर राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर जिले में गाय दौड़ की अनूठी परंपरा निभाई जाती है. इस दौड़ में जीतने वाली गाय के रंग से इस बात का अनुमान लगाया जाता है आने वाला साल कैसा रहेगा. मौसम और फसल कैसी रहेगी. डूंगरपुर जिले में यह परंपरा करीब 200 बरसों से चली आ रही है.

राजस्थान के इस शहर में होती है गायों की गजब दौड़ मौसम और फसल से है कनेक्शन
डूंगरपुर. राजस्थान में अलग-अलग त्योहारों पर क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग परंपराएं हैं. राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर में भाई दूज पर गायों की दौड़ की अनूठी परंपरा है. इस परंपरा का इलाके में मौसम और फसल से सीधा संबंध माना जाता है. इससे आने वाला साल कैसा रहेगा इसका अनुमान लगाया जाता है. आज भी भाई दूज पर डूंगरपुर के छापी गांव में एक साथ 200 से ज्यादा गायों ने दौड़ लगाई. इस दौड़ में सफेद रंग की गाय से जीतने से अच्छी बरसात और फसलें होने का अनुमान लगाया जाता है. वहीं लाल रंग की गाय से अतिवृष्टि और काले रंग की गाय के जीतने से बरसात कम होने का अनुमान लगाया जाता है. आज सफेद रंग की गाय ने दौड़ जीती. दिवाली के दूसरे दिन भाई दूज पर छापी गांव में गाय दौड़ की परंपरा 200 बरसों से चली आ रही है. इस परंपरा को गांव के लोग आज भी पूरी शिद्दत से निभाते हैं. गाय दौड़ को लेकर यहां सैंकड़ों पशुपालक जुटते हैं. वे अपनी-अपनी गायों को रंग बिरंगे रंग, कतरन, तोरण और मोर पंख से आकर्षक रूप से सजाते हैं. उसके बाद गांव के लोग छापी पंचायत भवन के पास मैदान में एकत्र होते हैं. इस गाय दौड़ में छापी समेत आसपास के चंद्रवासा, बिछीवाड़ा, गेरुवाड़ा, धामोद, गुंडीकुआ और पावड़ा गांवों के पशुपालक आते हैं. आज दौड़ में 200 से ज्यादा गायें शामिल हुईं पहले ग्रामीण ढोल नगाड़ों के साथ शिव मंदिर में पूजा अर्चना और दर्शन करते हैं. इसमें क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जाती है. उसके बाद गाय दौड़ की शुरुआत होती है. आज दौड़ में 200 से ज्यादा गायें शामिल हुईं. पशुपालक और युवा गायों हांकते हुए दौड़ाने लगे. गायों की दौड़ से गांव की गलियों में धूल के गुबार उठने लगे. वही दोनों तरफ मौजूद लोग भी हो हुल्लर करते हुए गायों को भगाने लगे. गायों के रंग के अनुसा यह लगाया जाता है अनुमान दौड़ में सफेद, लाल, पीली, काली अलग अलग रंगों की गायों को दौड़ते देख लोग रोमांचित हो उठे. सफेद रंग की गाय ने सबसे आगे रहते हुए दौड़ जीत ली. सफेद रंग की गाय के जीतते ही लोगों में खुशी का माहौल छा गया. जीतने वाली गाय का रंग सफेद होने से लोगों ने आने वाला साल भी खुशहाल रहने का अनुमान लगाया. पंचायत समिति सदस्य अमृत मनात ने बताया कि मान्यता है कि सफेद रंग की गाय की जीत से अच्छी बरसात और फसलें होती हैं. लाल रंग की गाय की जीत से अतिवृष्टि की संभावना रहती है. काले रंग की गाय की जीत इस बात का प्रतीक है आने वाले साल में बारिश कम होगी. Tags: Bhai dooj, Bhai Dooj Festival, Tribal CultureFIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 12:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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