Bharatpur: सर्दी की दस्तक से रजाई भरने का काम जोरों पर यहां की रुई की है डिमांड ज्यादा
Bharatpur: सर्दी की दस्तक से रजाई भरने का काम जोरों पर यहां की रुई की है डिमांड ज्यादा
दुकानदार विजय कुमार ने बताया कि सर्दी को देखते हुए रजाई की धुनाई का काम धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है. यहां के लोगों के द्वारा गंगानगर, हनुमानगढ़, गोविंदगढ़, दौसा, यूपी के आगरा, महाराष्ट्र के अहमदाबाद, किरावली की रुई की मांग अधिक है. स्थानीय रुई की बजाय बाहरी रूई में अधिक गर्माहट, वाइटनेस, मियाद और सस्ती होने के कारण इसकी मांग अधिक है. रुई का भाव 140 से 180 रुपए प्रति किलो है
ललितेश कुशवाहा
भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर में अब सुबह और शाम लोगों को ठंड का एहसास होने लगा है. इस कारण बाजार में सर्दी से जुड़ी खाद्य सामग्री एवं गर्म कपड़ों की मांग अधिक होने लगी है. ठंड के मौसम को देखते हुए शहर के स्थाई और अस्थाई दुकानों पर रजाई भरने का काम शुरू हो गया है. गुलाबी सर्दी के कारण पंखे बंद हो गए हैं, और लोग खुद को गर्म रखने के लिए चादर, कंबल व रजाई का उपयोग करने लगे हैं. भरतपुर जिले में गंगानगर, हनुमानगढ़, गोविंदगढ़ के अलावा अन्य राज्यों की रुई को पसंद किया जा रहा है.
दुकानदार विजय कुमार ने बताया कि सर्दी को देखते हुए रजाई की धुनाई का काम धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है. यहां के लोगों के द्वारा गंगानगर, हनुमानगढ़, गोविंदगढ़, दौसा, यूपी के आगरा, महाराष्ट्र के अहमदाबाद, किरावली की रुई की मांग अधिक है. स्थानीय रुई की बजाय बाहरी रूई में अधिक गर्माहट, वाइटनेस, मियाद और सस्ती होने के कारण इसकी मांग अधिक है. रुई का भाव 140 से 180 रुपए प्रति किलो है.
रुई धुनाई की इतनी है कीमत
विजय कुमार ने बताया कि हमारी दुकान पर बीते लगभग 25 साल से रुई धुनाई का काम किया जा रहा है. उस समय रूई धुनाई का भाव तीन रुपए किलो और रूई का भाव 25 रुपए किलो था. एक रजाई में डोरा डालने की कीमत तीन रुपए होती थी, लेकिन अब रुई धुनाई का भाव 30 रुपए किलो और एक रजाई में डोरा डालने की कीमत 30 रुपए है. एक दिन में एक दुकान पर लगभग 25 से 50 रजाई की धुनाई का काम होता है. एक रजाई में लगभग तीन से चार किलो रुई भरी जाती है.
ठंड में रजाई पर भारी कंबल
पहले लोगों के द्वारा सर्दी के बचाव के लिए रजाई पहली पसंद होती थी, लेकिन अब समय के साथ काफी बदलाव हुआ है. शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर परिवार बाजार से रुई खरीदने के बाद ही रजाइयों को भरवाते हैं. इसमें तीन किलो तक रूई भरवाई जाती थी, लेकिन अब रजाई की बजाय कंबल लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं.
रजाइयों की तरह आने वाले कंबल भी न केवल बेहतर क्वालिटी के हैं अपितु वजन में हल्के होने से रजाइयों की जगह ले चुके हैं. बाजार में उपलब्ध कंबल की कीमत रजाई के बराबर है जिसके कारण ग्राहक कंबलों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं.
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Tags: Bharatpur News, Cold wave, Rajasthan news in hindiFIRST PUBLISHED : October 31, 2022, 19:24 IST