क्या कहता है अजमेर दरगाह का बुलंद दरवाजा यहां शिव मंदिर था
क्या कहता है अजमेर दरगाह का बुलंद दरवाजा यहां शिव मंदिर था
Ajmer Dargah controversy : अजमेर दरगाह के पुराना शिव मंदिर होने के दावे के पर आज कोर्ट में तीन पक्षकार अपना पक्ष रखेंगे. इनमें अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण शामिल है. इस दावे को लेकर उत्तर प्रदेश के विष्णु गुप्ता ने सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है.
अजमेर. अजमेर की प्रसिद्ध ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर के दावे वाली विष्णु गुप्ता की याचिका पर आज अजमेर की सिविल कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले में तीन पक्षकार अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कोर्ट के नोटिस पर अपना जबाब दाखिल करेंग. कोर्ट ने 27 नवंबर को प्रार्थी हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता की याचिका स्वीकार कर इन तीन पक्षकारों को नोटिस जारी कर बीस दिसंबर को जबाब मांगा था.
याचिका में विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि अजमेर दरगाह के तहखाने में शिव मंदिर है. उन्होंने इसका आधार विलास शारदा की 1911 में लिखी गई पुस्तक ‘अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्करेप्टिव’ को बनाया है. इस पुस्तक में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के नाम से एक पूरा अध्याय है. 168 पेज की इस किताब में पेज नंबर 93 पर लिखा है कि दरगाह के बुलंद दरवाजे की उतरी तरफ तीसरी मंजिल पर एक छतरी बनी है. ये किसी हिंदू इमारत के हिस्से से बनी है. छतरी के नीचे नक्काशी है. उस पर पुताई कर दी गई.
दावा पुराने हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई है दरगाह
वहीं इसी किताब के पेज नंबर 94 पर लिखा है कि छतरी में लाल रंग का बलुआ पत्थर लगा है. वो किसी जैन मंदिर का है. पेज नंबर 96 पर लिखा है कि दरगाह में बुलंद दरवाजे और आंगन के नीचे हिंदू मंदिर के तहखाने हैं. इन्हें देखकर लगता हे कि मुसलमान शासकों ने दरगाह को पुराने हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया है.
बुलंद दरवाजे की बनावट हिंदू मंदिरों के दरवाजे के जैसी है
किताब के पेज नंबर 97 पर लिखा है कि हिंदू परंपरा के मुताबिक तहखाने में महादेव की छवि है. उस पर एक ब्राह्मण परिवार रोजाना चंदन जलाता है. अब इसे दरगाह के घड़ियाली यानी घंटी बजाने वाले के रूप में जाना जाता है. याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने याचिका में दावा किया है कि दो साल तक वे रिसर्च के लिए खुद दरगाह में गए. इस दौरान पाया कि बुलंद दरवाजे की बनावट हिंदू मंदिरों के दरवाजे के जैसी है. उस पर वैसी ही नक्काशी है जैसी हिंदू मंदिरों के दरवाजों पर होती है.
जहां शिव मंदिर होते हैं वहां पानी और झरने होते हैं
उनके मुताबिक दरगाह की ऊपरी संरचना हिंदू मंदिर जैसी है. गुंबद देखकर लगता है कि उसे हिंदू मंदिर को तोड़कर ही बनाया गया है. गुप्ता के अनुसार जहां जहां शिव मंदिर होते हैं वहां पानी और झरने होते हैं. दरगाह में भी पानी और झरने हैं. गुप्ता ने याचिका में कहा कि अजमेर का हर शख्स जानता है और कहता है कि दरगाह में नीचे शिव मंदिर था.
Tags: Big news, Religious PlacesFIRST PUBLISHED : December 20, 2024, 10:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed