शव को दफनाया गंगा में स्नान किया घाट पर रात बिताई फिर दान और भोज और
शव को दफनाया गंगा में स्नान किया घाट पर रात बिताई फिर दान और भोज और
Jamui News: हमारे समाज में कई बार ऐसे उदारण सामने आते हैं जो दिल को छू जाते हैं. ऐसा ही एक भावनात्मक मामला सामने आया है जमुई से, जहां करंट से गाय की हुई मौत के बाद शव को दफनाने के बाद शख्स ने पूरे विधि विधान से श्राद्ध कर्म करवाया.
हाइलाइट्स करंट से गाय की हुई मौत के बाद शव को दफना शख्स ने करवाया श्राद्ध. गंगा स्नान कर घाट पर रात बिता दान और भोज देकर गाय का हुआ श्राद्ध. जमुई के पशु प्रेमी व्यक्ति को गाय से भावनात्मक लगाव था, कायम की मिसाल.
जमुई. किसी इंसान के निधन के बाद श्राद्ध किया जाता है, यह हम आप सभी जानते हैं, मगर घर के किसी पालतू जानवर की मौत हो जाने पर अगर मालिक श्राद्ध कर्म का आयोजन करे तो यह कई तरह के संदेश दे जाता है. जमुई में एक ऐसा परिवार है जिसने अपनी गाय की मौत के बाद श्राद्ध कर्म का आयोजन किया वह भी उसी तरह जिस तरह इंसान के निधन पर कर्म कांड किया जाता है. पशु प्रेम को लेकर एक शिक्षक ने अनोखा काम कर चर्चा में आया है जो घर के खूंटे में बंधे गाय की मौत के बाद परिवार के साथ 8 दिन तक शोक मनाया और फिर गंगा स्नान कर ब्राम्हणों से श्राद्ध करवाया.
यह मामला जमुई जिले के लक्ष्मीपुर गांव का है. यहां के सरकारी स्कूल के एक शिक्षक दिवाकर चौरसिया और उनके परिवारवालों ने अपनी प्यारी गाय की मौत के बाद शोक में डूबे और आठ दिन तक कर्मकांड करने के बाद नवें दिन गाय का श्राद्ध करवाया. दरअसल, बीते 12 अक्टूबर को करंट लगने से दिवाकर चौरसिया कक गाय की मौत हो गई. जब हादसा हुआ तब गाय उनके घर के बाहर खूंटे से बंधी थी. मौत के बाद गाय के शव को विधि विधान के साथ खेत में दफनाया गया.
गाय के शव को जमीन में दफनाने के बाद पूरा परिवार शोक में डूब कर आठ दिन तक बगैर नमक खाए रहा. आठवें दिन वह शख्स अपने बेटे के साथ सुल्तानगंज के गंगा घाट पहुंचा जहां सर मुंडवाने के बाद घर का बना लिट्टी साथ ले गया. लिट्टी को वहां गंगा घाट पर मौजूद गायें के अलावा कौओं और कुत्तों को खिलाया. इसके बाद फिर गंगा स्नान करने के बाद रात घाट पर ही बिताया. इस दौरान रात भर बाप बेटे गंगा मईया की अराधना की.
अगले दिन सुबह गंगा स्नान कर दोनों घर लौटे और फिर नवें दिन रविवार को घर के आगे जहां गाय की मौत हुई थी, वहां श्राद्ध करवाया. श्राद्ध कार्यक्रम में ब्राम्हण भी शामिल हुए, जिन्हें कर्मकांड के अनुसार, फल और वस्त्र समेत कई चीजों का दान भी किया गया. श्राद्ध के कर्मकांड के बाद ब्राम्हणों के अलावा आस पास के लोगों को श्राद्ध का भोज भी कराया गया साथ ही मृत गाय के आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ भी हुआ.
इस मामले में शिक्षक दिवाकर चौरसिया ने बताया कि वह उस गाय को सत्तर हजार रुपये में फरवरी महीने में खरीदकर घर लाया था. यह गाय 10 किलो दूध देती थी, लेकिन हादसे में करंट लगने से उसकी मौत हो गई. गाय की जब मौत हुई तब खूंटे से बंधी थी इस कारण उसका श्राद्ध करवाना जरूरी समझा. वह मवेशी होने के साथ-साथ परिवार के सदस्य जैसी थी इस कारण उसका श्राद्ध जरूरी समझा. गौ को हमलोग माता के सामान मानते हैं.
Tags: Bihar News, Jamui news, Unique newsFIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 13:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed