धरती का सीना फाड़कर निकला मंदिर ASI कर रही थी खुदाई अचानक से आई

Temple Found: केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने काकतीय विरासत की खुदाई की है. इस लक्ष्मी पार्वती मंदिर में भगवान विष्णु, भगवान सूर्य और शिव लिंगम रखे गए थे. कुछ वर्ष पहले राजाकारों के समय खुदाई के दौरान ये नष्ट हो गए थे.

धरती का सीना फाड़कर निकला मंदिर ASI कर रही थी खुदाई अचानक से आई
Amazing Sculpture: काकतीय वंश को तेलंगाना संस्कृति को चार दिशाओं में फैलाने का श्रेय दिया जाता है. काकतीय ने अपने तीन शताब्दियों लंबे शासन के साथ तेलंगाना के इतिहास और संस्कृति पर कई अमिट छाप छोड़ी. बता दें कि काकतीय हनुमाकोंडा और ओरुगल्लू राजधानियां थीं और उन्होंने 300 से अधिक वर्षों तक शासन किया. उन ओरुगलों पर शासन करने वाले काकतीय राजाओं ने कई इमारतें और मंदिर बनवाए. यह भूमिगत मंदिर उनमें से एक है. यह किला वारंगल क्षेत्र में स्थित है. किला वारंगल क्षेत्र कभी काकतीय लोगों की राजधानी था. उस समय की इमारतें इतिहास का प्रमाण बनकर खड़ी हैं. खिला वारंगल क्षेत्र के मिट्टी के किले क्षेत्र में इस भूमिगत मंदिर का निर्माण काकतीय लोगों की प्रतिभा को दर्शाता है. कुछ साल पहले, जब केंद्रीय पुरातत्व विभाग किला वारंगल के मिट्टी के किले क्षेत्र में खुदाई कर रहा था, तो जमीन के नीचे एक काकतीय मंदिर का पता चला था. भूगर्भ में दिखाई देने वाला यह त्रिकुटालय अद्भुत है. पढ़ें- कोलकाता डॉक्टर मर्डर केस: मैं आंदोलन से उपजी हूं… कहने वाली ममता बनर्जी मिलने से कतरा क्यों रहीं हैं? काकतीय राजाओं बनाए थे मंदिर वारंगल के एक पर्यटक गाइड रवि ने बताया कि इतिहासकारों का कहना है कि सैनिक इन मंदिरों का इस्तेमाल पूजा करने के लिए करते थे. काकतीय राजाओं ने भी 8 कोनों में इसी तरह के त्रिकुटेश्वर मंदिर बनाए थे. उन काकतीय राजाओं में भगवान के प्रति बहुत भक्ति थी और इसीलिए कई जगहों पर ऐसे मंदिर बनवाए गए थे. इस मंदिर को लक्ष्मी पार्वती मंदिर के नाम से जाना जाता है. किला वारंगल क्षेत्र में महलों के पास सैकड़ों से अधिक मंदिर बनाए गए थे. सैनिक इस मंदिर में पूजा करने के साथ-साथ सेदाह के लिए भी इसका इस्तेमाल करते थे. केंद्रीय पुरातत्व विभाग के तत्वावधान में उत्खनन से यह भव्य मंदिर प्रकाश में आया. पुरातत्व विभाग ने की है खुदाई केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने काकतीय विरासत की खुदाई की है. इस लक्ष्मी पार्वती मंदिर में भगवान विष्णु, भगवान सूर्य और शिव लिंगम रखे गए थे. कुछ वर्ष पहले राजाकारों के समय खुदाई के दौरान ये नष्ट हो गए थे. लेकिन पुरातत्व विभाग इतने समृद्ध इतिहास वाले इस मंदिर को विकसित कर आने वाली पीढ़ियों को उपलब्ध कराने के इरादे से आगे बढ़ रहा है. इस मंदिर को देखने के लिए पर्यटक अभी से ही यहां आने लगे हैं. उन्होंने कहा कि इस मंदिर में काकतीय वंश की अद्भुत मूर्तिकला शैली देखी जा सकती है. उन्होंने कहा कि अगर इस मंदिर का विकास किया जाए तो पर्यटकों को काकतीय कलाकृतियां और भी ज्यादा दिखाई जा सकेंगी. Tags: Telangana, Telangana NewsFIRST PUBLISHED : September 12, 2024, 09:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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