आर्य समाज से हो रही शादियों को लेकर कोर्ट हुआ सख्त दिया इस जांच का आदेश

Marriages Through Arya Samaj: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रयागराज के विभिन्न मोहल्लों में चल रहे आर्य समाज संस्थाओं की जांच करने का निर्देश देते हुए कहा कि पता लगाया जाए कि यह संस्थाएं किस नाम और पते के साथ चल रही हैं और..

आर्य समाज से हो रही शादियों को लेकर कोर्ट हुआ सख्त दिया इस जांच का आदेश
रिपोर्ट- रजनीश यादव प्रयागराज: भारत में शादी-विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है. ऐसे में कुछ संस्थाएं लोगों का फर्जी शादी-विवाह कर देती है और उस विवाह का कोई असली दस्तावेज नहीं होता है. इसे लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए इन संस्थाओं के जांच के आदेश दिए. हाईकोर्ट ने प्रयागराज पुलिस कमिश्नर की निगरानी में जांच का आदेश दिया है. आर्य समाज मंदिर की होगी जांच इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रयागराज के विभिन्न मोहल्लों में चल रहे आर्य समाज संस्थाओं की जांच करने का निर्देश देते हुए कहा कि पता लगाया जाए कि यह संस्थाएं किस नाम और पते के साथ चल रही हैं और किस प्रकार लोगों का शादी-विवाह करा रही हैं. लोकल 18 से बात करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुरेश सिंह ने बताया कि भारतीय संविधान के अनुसार वर्तमान में लड़के की उम्र न्यूनतम 21 वर्ष और लड़की की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए. इससे कम उम्र में हुई शादियां कानून के खिलाफ मानी जाती हैं. ऐसे में माननीय उच्च न्यायालय का यह आदेश नाबालिक की शादी रोकने में मददगार साबित होगा. इनकी याचिका पर दिया निर्देश इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चल रहे मानसी व अन्य सहित 42 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विनोद सोनकर ने यह निर्देश दिया कि अगली सुनवाई में इन संस्थाओं द्वारा शादी करवाने के लिए ली जाने वाली फीस की जानकारी कोर्ट के सामने प्रस्तुत की जाए. कोर्ट ने यह भी कहा कि अध्यक्ष, सचिव और पुरोहित जो शादी करते हैं उनके बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा कर पुलिस कमिश्नर सील बंद लिफाफे में कोर्ट के समक्ष अगली सुनवाई पर प्रस्तुत करें. इन याचिकाओं में याचियों का कहना था कि परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी की गई है. मानसी मामले में बताया गया कि उनकी जान को खतरा है. याची मानसी ने सिविल लाइन के नवाब युसूफ रोड पर स्थित रजिस्टर्ड आर्य समाज संस्थान से शादी कर कोर्ट में विवाह का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था. इसी मामले को लेकर माननीय न्यायमूर्ति ने यह निर्देश दिया. आपको बता दें कि यह संस्थान आर्य प्रतिनिधि लखनऊ से संबंध होने का दावा करती है. कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार हो रहे विवाह से न केवल मानव तस्करी और यौन उत्पीड़न जैसी समस्याओं को जन्म मिलेगा बल्कि बंधुआ मजदूरी जैसी समस्याओं को भी बढ़ावा मिल सकता है. सामाजिक असुरक्षा के कारण नाबालिकों में भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक नकारात्मक असर पड़ सकता है. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 16:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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