भीषण गर्मी में बच्चों का पेट पालने के लिए धड़कती आग में लोहा गला कर बना रहे बिजली फिटिंग का सामान 

Aligarh News: इस गर्मी में जहां लोगों का घरों से निकलना मुश्किल है उस तपती गर्मी में कुछ लोग आग की भट्टी में काम करने के लिए मजबूर हैं. इस हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी उन्हें उचित मजदूरी नहीं मिलती लेकिन लोगों के पास कोई और काम न होने की वजह से आग में लोहा गला कर बिजली फिटिंग का सामान बनाने के लिए मजबूर हैं.

भीषण गर्मी में बच्चों का पेट पालने के लिए धड़कती आग में लोहा गला कर बना रहे बिजली फिटिंग का सामान 
वसीम अहमद/अलीगढ़: भीषण गर्मी में जब पंखा और कूलर तक काम नहीं कर रहे हैं ऐसे में कुछ लोग बच्चों का पेट पालने के लिए आग की आंच में काम करने को मजबूर हैं. मजदूर आग की भट्टी में लोहा गला कर बिजली फिटिंग में इस्तेमाल होने वाले सामान तैयार कर रहे हैं. इस गर्मी में जहां लोग घर में सुकून से नहीं रह पा रहे हैं उस तपती आंच में अलीगढ़ में ढलाई की भट्टी पर मजदूर धधकती आग में लोहे को गलाकर जंक्शन बॉक्स बना रहे हैं. अलीगढ़ में बड़े पैमाने पर बनने वाले जंक्शन बॉक्स की सप्लाई देश के अलग-अलग इलाकों में की जाती है. अलीगढ़ के नगला मसानी में जंक्शन बॉक्स बनाने के इस काम से जुड़े ठेकेदार और मजदूरों का कहना है कि गर्मी तो लगती है, भट्टियों के आसपास का टेंप्रेचर खुले आसमान से भी ज्यादा रहता है लेकिन अपना और बच्चों का पेट पालने के लिए काम कर रहे हैं. व्यापारी लोग खा जाते हैं मजदूरी भट्टी पर काम करने वाले कारीगर मोनू कहते हैं कि जिस भट्टी के आसपास लोगों का खड़ा होना मुश्किल है वहां हम लोग बच्चों का पेट पालने के लिए काम करते और करेंगे. लेकिन मोनू की शिकायत है कि इस काम की उन्हें पूरी मजदूरी नहीं मिल पाती. उन्होंने बताया कि व्यापारी लोग मजदूरी खा जाते हैं. मोनू की मांग है कि सरकार उनके लिए कुछ सोचे और इस काम की मजदूरी बढ़वाए. नहीं मिलती उचित मजदूरी इसी काम से जुड़े और कोरी समाज के प्रदेश महामंत्री संजू बजाज ने बताया कि बड़े पैमाने पर बिजली फिटिंग में लगने वाले जंक्शन बॉक्स लोहे की सिल्ली को पिघलाकर ढाले जाते हैं और फिर उसके बाद बनकर देश के अलग-अलग इलाकों में सप्लाई होते हैं. इस भीषण गर्मी में जहां लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल है वहीं उससे ज्यादा टेंप्रेचर में ये लोग काम करते हैं. ऐसे में लोगों को उनकी मजदूरी के हिसाब से मेहनताना भी नहीं मिल पाता है. संजू ने बताया कि उचित मेहनताना के लिए पहले भी कई बार आवाज उठ चुकी है. इन मजदूरों की बुरी स्थिति है. इस ढलाई के काम में अधिकतर माहौर समाज के लोग जुटे हुए हैं जो कि उनके पुरखों के जमाने से होता चला आ रहा है. इसके अलावा यह और कोई काम नहीं कर सकते इसलिए मजबूरी में ये अधिकतर ढलाई का ही काम करते हैं. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : June 17, 2024, 11:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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