पूर्व प्रोफेसर को मिली महान इतिहासकार की उपाधि जानें कौन हैं इरफान हबीब

Irfan Habib: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर और इतिहासकार इरफान हबीब किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. इतिहासकारों में उनका नाम सबसे पहले आता है. वह कई इतिहास की पुस्तकों को लिख भी चुके हैं.

पूर्व प्रोफेसर को मिली महान इतिहासकार की उपाधि जानें कौन हैं इरफान हबीब
वसीम अहमद/अलीगढ़: इतिहास को जानने के लिए इतिहास की किताबें पढ़ना और इतिहासकार का होना जरूरी है. हालांकि अलीगढ़ में जब इतिहासकारों का नाम आता है, तो उसमें सबसे ऊपर इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब का नाम आता है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर व इतिहासकार इरफान हबीब आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रख्यात इतिहासकार में इरफान हबीब का नाम आता है. जब कभी भी इतिहास को जानने की बात आती है, तो सबसे पहले दिमाग में प्रोफेसर इरफान हबीब का नाम आता है. 10 अगस्त 1931 को भारत के राज्य गुजरात में जन्मे इतिहासकार इरफान हबीब प्राचीन और मध्यकालीन भारत के एक भारतीय इतिहासकार हैं. हिंदुत्व और इस्लामी कट्टर वाद के खिलाफ अपने कड़े रुख के लिए जाने जाते हैं. प्रोफेसर इरफान हबीब ने अपने जीवन काल के दौरान अब तक कई पुस्तक लिख चुके हैं. जानें इतिहासकार के परिवार के बारे में इतिहासकार इरफान हबीब का जन्म एक भारतीय मुस्लिम परिवार में हुआ था. पिता मोहम्मद हबीब और मां सोहेला हबीब के पुत्र इरफान हबीब पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रहे. इतिहासकार इरफान हबीब की पत्नी सायरा हबीब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी है. इरफान हबीब के तीन बेटे और एक बेटी है. 12वीं और 18वीं शताब्दी के बीच भारत के सबसे महान जीवित मार्क्सवादी इतिहासकारों में इनका अपना एक विशिष्ट स्थान है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से की पढ़ाई इतिहासकार इरफान हबीब ने बताया कि उनकी शुरुआती तालीम अलीगढ़ में ही हुई है. 1947 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिला हुआ. 1953 में यहीं मुस्लिम विश्वविद्यालय से उन्होंने एमए पास किया. इसके बाद वह पीएचडी की डिग्री ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से प्राप्त किए. इसके बाद यहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में लेक्चरर हो गए. उन्होंने बताया कि इसके बाद से वह यहीं पढ़ाते रहे. 1991 में वह रिटायर हो गए, लेकिन उनकी बुद्धिमता को देखते हुए, उन्हें 2 साल का एक्सटेंशन मिला. जिसके बाद में 1993 में रिटायर हुए. उन्होंने पहली किताब एग्रेरियन सिस्टम ऑफ मुगल इंडिया लिखी. इसके बाद यह सिलसिला शुरू हो गया और उसके बाद उन्होंने कई किताबें लिखी. Tags: Aligarh Muslim University, Aligarh news, Local18FIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 15:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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