आगरा: भारत में कुछ भी पॉसिबल है. आपने नटवरलाल के बारे में तो सुना ही होगा. भारत के इस कॉन मैन ने एक नहीं बल्कि तीन-तीन बार ताजमहल को बेचने की कोशिश की थी. लेकिन अपनी चालाकियों की वजह से वो मरते दम तक पुलिस के हाथ नहीं लगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय में अंग्रेजों ने भी ताजमहल को बेचने की कोशिश की थी. इसके लिए उन्होंने ताजमहल के एक हिस्से को तोड़ दिया था और उसके संगमरमर को बेचने की कोशिश की थी.
जी हां, ये कोई मजाक नहीं है. अंग्रेजों ने 1831 में ताजमहल को बेचने की कोशिश की थी. इसके तहत ब्रिटिश गवर्नर विलियम बेंटिग ने ताजमहल का एक हिस्सा तोड़ दिया था. उससे निकले संगमरमर की बोली लगाई गई थी. इस बोली में एक भारतीय ने ताजमहल को खरीदने की पेशकश की, लेकिन खरीद नहीं पाया. आगे क्या हुआ, आइये जानते हैं.
बेहद कम लगी रकम
कहा जाता है कि गवर्नर विलियम बेंटिग ने ताजमहल की नीलामी का इस्तेहार अखबारों में दिलवाया था. कई लोगों ने इसके लिए बोली लगाई थी. इसमें आगरा के ही सेठ लक्ष्मी चंद ने सबसे अधिक की बोली लगाई थी. उन्होंने ताजमहल की कीमत सात लाख लगाई जो लॉर्ड विलियम को काफी कम लगी. इस वजह से उन्होंने नीलामी रोक दी. दरअसल, उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी को पैसों की जरुरत थी. ऐसे में आगरा की पांच जगहों को नीलाम किया गया था. इसी में ताजमहल भी शामिल था. View this post on Instagram
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पैसे बटोरने की थी चाल
अंग्रेजों को ताजमहल में कोई ख़ास बात नजर नहीं आती थी. वो इसे खूबसूरत नहीं मानते थे. हालांकि, उनकी नजर में इसमें कई कीमती चीजें थी, जिसे बेचकर वो अपना खजाना भर सकते थे. इसी लालच में ताजमहल का एक हिस्सा तोड़ा गया था. उसमें से निकला बाथटब आज भी लंदन में मौजूद है. लेकिन जब ताजमहल को तोड़े जाने के बाद उम्मीद के मुताबिक़ पैसे नहीं मिले, तब अंग्रेजों ने इस प्लान को ड्राप कर दिया था.
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FIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 14:59 IST