झमाझम बारिश के बाद अब सर्दी ढाएगी सितम! कड़ाके की ठंड के लिए हो जाएं तैयार

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि सितंबर में ला नीना की शुरुआत हो चुकी है, जिससे ठंड के सारे रिकॉर्ड टूट सकते हैं. ला नीना के एक्टिव होने से बेहद कड़ाके की सर्दी पड़ने लगती है और ऐसे में इस साल मौसम विज्ञानी ऐसी ही संभावना जता रहे हैं.

झमाझम बारिश के बाद अब सर्दी ढाएगी सितम! कड़ाके की ठंड के लिए हो जाएं तैयार
इस साल हो रही झमाझम बारिश के बाद अब कड़ाके की सर्दी भी पड़ने के आसार है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि सितंबर में ला नीना की शुरुआत हो चुकी है, जिससे ठंड के सारे रिकॉर्ड टूट सकते हैं. आमतौर पर मानसून के अंत में होने वाला ला नीना तापमान में तेज गिरावट लाने के लिए जाना जाता है. यह अक्सर ही बारिश में वृद्धि के साथ जुड़ा होता है, जिससे आगे बेहद कड़ाके की सर्दी की संभावना बढ़ जाती है. प्रशांत महासागर के मध्य में निर्मित अल नीनो और ला नीना मौसम विज्ञानियों के व्याकरण में एक दूसरे के विपरीत हैं. आमतौर पर ‘अल नीनो’ या ‘ला नीना’ के प्रभाव में दुनिया के लोगों को दोनों तरह के चरम मौसम का सामना करना पड़ता है. कभी उन्हें सूखे का सामना करना पड़ता है, तो कभी भारी बाढ़ का, यहां तक ​​कि समुद्र स्तर के गर्म होने के कारण आने वाले चक्रवातों का भी सामना करना पड़ता है. ला नीना एक स्पेनिश शब्द है, जिसका अर्थ ‘लड़की’ होता है. यह एल नीनो से बिलकुल उलटा असर दिखाती है. ला नीना के दौरान तेज़ पूर्वी हवाएं समुद्र के पानी को पश्चिम की ओर धकेलती हैं, जिससे समुद्र की सतह ठंडी हो जाती है और फिर इससे कड़ाके की सर्दी पड़ती है. ला नीना और एल नीनो दोनों ही महत्वपूर्ण वायुमंडलीय घटनाएं हैं, जो आम तौर पर अप्रैल और जून के बीच शुरू होती हैं और फिर अक्टूबर से फ़रवरी के बीच मज़बूत होती हैं. ये आम तौर पर 9 से 12 महीनों तक चलती हैं, जो कभी-कभी दो साल तक भी बनी रह सकती हैं. सामान्य परिस्थितियों में, ट्रेड विंड भूमध्य रेखा के साथ पश्चिम की ओर बहती हैं, जो दक्षिण अमेरिका से गर्म पानी को एशिया की ओर धकेलती हैं. इस प्रक्रिया में समुद्र की गहराई से ठंडे पानी को ऊपर उठने और जलवायु संतुलन बनाए रखने की अनुमति देती है. हालांकि, ला नीना की शुरुआत इस संतुलन को बिगाड़ देती है, जिससे वैश्विक जलवायु प्रभावों का एक सिलसिला शुरू हो जाता है. एल नीनो जहां प्रशांत क्षेत्र में गर्म हवा और महासागर के तापमान से जुड़ा हुआ है, जिससे तपाने वाली गर्मी पड़ती है, जबकि ला नीना समुद्र की सतह और उसके ऊपर के वायुमंडल दोनों को ठंडा करके उलटा प्रभाव पैदा करता है. ला नीना के एक्टिव होने से बेहद कड़ाके की सर्दी पड़ने लगती है और ऐसे में इस साल मौसम विज्ञानी ऐसी ही संभावना जता है. Tags: Cold wave, IMD alert, Winter seasonFIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 15:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed