मां विंध्यवासिनी धाम में मंगला आरती का है विशेष महत्व
मां विंध्यवासिनी धाम में मंगला आरती का है विशेष महत्व
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य व महागुरु अनुपम महाराज ने बताया कि मां की मंगला आरती ब्रहा मुहूर्त में होती है. इस आरती में मां के बाल रूप के दर्शन होते हैं. मान्यता है कि दर्शन मात्र से ही भक्तों के आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं.
मिर्जापुर : विंध्य पर्वत पर स्थित आदिशक्ति माँ विंध्यवासिनी का धाम अद्वितीय धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है. महालक्ष्मी के रूप में यहां विराजमान माँ विंध्यवासिनी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध हैं. हर दिन चार पहर की आरती में मां की भव्य उपासना होती है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण मंगला आरती मानी जाती है. यह आरती भोर में ब्रह्म मुहूर्त के दौरान की जाती है और इसमें सम्मिलित होने का सौभाग्य बहुत कम भक्तों को ही प्राप्त होता है.
मंगला आरती को लेकर मान्यता है कि इस आरती में शामिल होने वाले भक्त कभी भी आर्थिक तंगी या कंगाली का सामना नहीं करते. मां के दिव्य रूप के दर्शन से न केवल सभी अमंगल दूर होते हैं, बल्कि भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली का संचार होता है. इस विशेष आरती के दर्शन करने के लिए भक्त देश के कोने-कोने से मां विंध्यवासिनी के दरबार में उमड़ते हैं.
सभी अमंगल होते है दूर
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और महागुरु अनुपम महाराज ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि मंगला आरती के समय मां विंध्यवासिनी के मंगल स्वरूप के दर्शन होते हैं. इस समय भक्तों को मां त्रिपुरसुंदरी के बाल रूप में देखने का सौभाग्य मिलता है, जिसमें मां का अलग तेज और ऊर्जा का अनुभव होता है.
बिना आभूषण के होता है श्रृंगार
बताया कि ब्रह्म मुहूर्त में माँ विंध्यवासिनी का पूजन और श्रृंगार विशेष रूप से गंगा जल और पुष्पों से किया जाता है. इस दौरान आभूषणों का प्रयोग नहीं किया जाता, जो इस आरती को और भी विशिष्ट बनाता है. माना जाता है कि इस आरती में मां की इच्छा के बिना कोई भक्त सम्मिलित नहीं हो सकता.
भक्तों की मनोकामनाएँ होती हैं पूर्ण
अनुपम महाराज ने बताया कि मंगला आरती के समय दर्शन मात्र से ही भक्तों के जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है और उनके सभी दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं. इस आरती के दौरान माँ के बाल रूप के दर्शन करना किसी अद्वितीय सौभाग्य से कम नहीं है, जिससे भक्तों के जीवन में खुशियों का नया सवेरा होता है.
Tags: Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 11:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed