धान-गेहूं नहीं इस खेती से किसान बन गया मालामाल लाखों में हो रही कमाई

किसान सरजू प्रसाद मौर्य ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि लगभग ढाई बीघा जमीन पर पपीता उगाया है. इस खेती में करीब 2 लाख रुपये की लागत आई और दस महीने के भीतर फसल तैयार हो गई.

धान-गेहूं नहीं इस खेती से किसान बन गया मालामाल लाखों में हो रही कमाई
मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : योगी सरकार द्वारा किसानों को परंपरागत खेती से हटकर नवाचार खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. सरकार के इस प्रयास के परिणामस्वरूप अब किसानों की रुचि नवाचार खेती की ओर बढ़ रही है. मिर्जापुर के किसान सरजू प्रसाद ने इसका उदाहरण पेश किया है, जिन्होंने धान और गेहूं की बजाय पपीते की खेती शुरू की और अब हजारों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. अधिकतर किसान घाटे के डर से परंपरागत खेती से अलग खेती करने से बचते हैं, लेकिन सरजू प्रसाद ने इस धारणा को तोड़ते हुए पपीते की खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना लिया है. लगभग नौ महीने में उनके पपीते के पौधे तैयार हो गए और अब उन्हें जबरदस्त पैदावार मिल रही है. खास बात यह है कि बाजार में उत्पाद बेचने के लिए मशक्कत भी नहीं करनी  पड़ रही है. 10 माह में पौधे होते हैं तैयार किसान सरजू प्रसाद मौर्य ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि लगभग ढाई बीघा जमीन पर पपीता उगाया है. इस खेती में करीब 2 लाख रुपये की लागत आई और दस महीने के भीतर फसल तैयार हो गई. उन्होंने बताया कि अब तक 50 कुंतल पपीता का उत्पादन हो चुका है, जिसे 25 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है. यदि पपीता ताजगी और गुणवत्ता में बेहतरीन होता है तो इसका मूल्य और भी बढ़ सकता है. खेती के लिए जरूरी है यह संसाधन किसान सरजू प्रसाद बताते हैं कि पपीता की खेती करने के इच्छुक किसानों को कुछ महत्वपूर्ण संसाधनों का ध्यान रखना चाहिए. सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम होना चाहिए और खर-पतवार को नियंत्रित करने के लिए खेती की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए. पपीते की खेती को बीमारियों से बचाने के लिए समय-समय पर कीटनाशक और अन्य दवाओं का छिड़काव भी जरूरी है. इस समय बुआई करें किसान सरजू ने बताया कि पपीता की खेती किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है. इसे साल में दो सीजन में उगाया जा सकता है. पहली बार जुलाई-अगस्त में और दूसरी बार दिसंबर-जनवरी में. विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर में की गई खेती किसानों के लिए अधिक फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि इस दौरान कीटनाशकों पर कम खर्च आता है और अक्टूबर से पैदावार भी शुरू हो जाती है. Tags: Dharma Aastha, Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 10:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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