OPINION: महावीर और बुद्ध की धरती बिहार को ऐसा क्या हो गया कि हर तरफ से आने लगी साजिश की बू
OPINION: महावीर और बुद्ध की धरती बिहार को ऐसा क्या हो गया कि हर तरफ से आने लगी साजिश की बू
Phulwari Sharif Terror Module: बिहार में पीएफआई द्वारा रचे गए षड्यंत्र और गज़वा-ए-हिन्द जैसे संवेदनशील एजेंडा के सामने आने के बाद एनआईए ने जांच की ज़िम्मेदारी संभाल ली है. अगर प्रधानमंत्री का पटना दौरा नहीं होता तो शायद साज़िशों पर से पर्दा भी नहीं उठता. खैर अब जबकि आतंकवाद निरोधक एजेंसी एनआईए की एंट्री हो चुकी है, उम्मीद की जानी चाहिए कि सच सामने ज़रूर आएगा.
पटना. पिछले एक हफ्ते से बिहार अखबारों और राष्ट्रीय समाचार चैनलों की सुर्खियों में लगातार बना हुआ है. वजह है बिहार में आतंकी संगठनों की बढ़ती गतिविधियां और उससे उत्पन्न आसन्न खतरे. साज़िशों के जाल इस तरह उलझे हुए हैं कि उसे चाहकर भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है. हर स्तर पर साज़िशों की परतें खुलकर सामने आ रही हैं. नए चेहरे और नए किरदार नमूदार हो रहे हैं. अभी भी साजिश में शामिल 26 में से ज़्यादातर लोग पहुंच से बाहर हैं.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि महावीर और बुद्ध की धरती बिहार में ऐसा अचानक क्या हो गया कि चारों तरफ से साज़िशों की बू आने लगी? क्या ऐसा अचानक हुआ है या इस स्थिति तक पहुंचने में वर्षों का समय लगा है? इन सवालों के जवाब अब एनआईए तलाशेगी, जिसके हाथों में इस मामले को सौंपा गया है. दरअसल, प्रधानमंत्री के पटना दौरे से पहले इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं हो न हो पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना न बनाया जाए. शक सही साबित हुआ. आतंकी मोदी को निशाना बनाने के लिए घात लगाए बैठे थे. इस खबर से बिहार ही नहीं पूरे देश में चिंता की लहर फैल गई.
शुरू में बिहार पुलिस ना-नुकुर करती रही, लेकिन आईबी इस बार अलर्ट मोड़ पर थी. गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू हुआ. छात्र संगठन के रूप में काम करने वाले पीफआई का चेहरा बेनकाब होने लगा. 26 लोगों को नामजद कर उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. आतंक के तार आईएसआई और बांग्लादेश स्थित संगठन जमात उल मुजाहिद्दीन से जुडने लगे. संचार क्रांति के जमाने में अपराधी भले ही लाख शातिर हो, गुनाह के निशान छोड़ ही जाता है.
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आतंकी का पढ़ा-लिखा चेहरा चिंता का विषय
सबसे पहले मरगुब का चेहरा सामने आया. चश्मा पहने हुए, पढ़े-लिखे लड़के का चेहरा जो पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में मुस्लिम बच्चों को अंग्रेज़ी पढ़ाने का काम करता था. आप सोच सकते हैं कि दिल्ली में पढ़ा-लिखा लड़का किस तरह आईएसआई के संपर्क में आकर देश में साल 2023 में बड़े जिहाद की तैयारी कर रहा था. आप सोच सकते हैं किस तरह मरगुब उर्फ दानिश उर्फ ताहिर 2047 तक भारत में बड़े पैमाने पर गजवा- ए- हिन्द लाने की तैयारी में था. नफ़रतों से भरे हुए दस्तावेज, जिसमें वह 10 फीसद मुसलमानों के जरिये भारत में भारी तबाही का मंज़र पैदा करना चाहता था. गजवा के जरिये देश के 100 करोड़ से ज़्यादा हिंदुओं को घुटने पर लाने की बात करता था.
आतंक के नेटवर्क को समझना ज़रूरी
ज़ाहिर है, इस साजिश में दानिश अकेला नहीं है. दानिश के पीछे एक बड़ा नेटवर्क है. उसके पीछे एक बड़ी सोच काम कर रही है. आईबी ने दानिश के बहुत से संदेशों को डिकोड़ कर लिया है, लेकिन अभी भी बहुत सा हिस्सा डिकोड होना बाकी रह गया है. खबरों के मुताबिक एनआईए अभी पीएफ़आई के लिंक को खंगाल रही है, लेकिन जो खबरें मिल रही है, उसके मुताबिक 15,000 हज़ार से ज़्यादा मुस्लिम युवाओं को पीएफआई हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे चुका है. ये आंकड़े सिर्फ बिहार के हैं.
राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर ओछी बहसबाजी सही नहीं
बिहार के सीमांचल का इलाका पहले से ही राडार पर है. बांग्लादेश से हो रहे घुसपैठ और नेपाल से चलाई जा रही ड्रग्स और हथियारों की तस्करी ने समस्याओं को और भी उलझाया है. इन सबसे बढ़कर जिस तरह से युवाओं को रेडिकलाइज़ कर उसके ज़ेहन में ज़हर भरने का काम किया जा रहा है, उससे बहुत ही सख्ती से निपटने की ज़रूरत है. आज चिंता इस बात की है कि विषबेल बिहार की पवित्र धरती पर न पनपे उसके लिए राज्य सरकार क्या कर रही है? बिहार पुलिस ने अतिवादी विचारधारा को रोकने और उसे कुंद करने के लिए अभी तक क्या उपाय किए हैं? बिहार के विपक्षी दलों को भी राष्ट्र की सुरक्षा के मुद्दे पर सतही बयानबाजी से बचने की ज़रूरत है.
(ये लेखक के अपने विचार हैं. न्यूज 18 हिन्दी का इससे कोई लेना-देना नहीं है.)
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Tags: Bihar News, Terrorism In IndiaFIRST PUBLISHED : July 25, 2022, 09:58 IST