लोकसभा सदन में कौन होता है बड़ा - स्पीकर या नेता विपक्ष किसके पास ज्यादा पॉवर

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के भाषण और स्पीकर पर उनके आक्षेप के बाद ये चर्चा होने लगी है कि क्या स्पीकर उनके आचरण के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं. ये क्या होगी.

लोकसभा सदन में कौन होता है बड़ा - स्पीकर या नेता विपक्ष किसके पास ज्यादा पॉवर
हाइलाइट्स लोकसभा में राहुल ने भाषण के दौरान स्पीकर पर किया आक्षेप लोकसभा में क्या होती है पदानुक्रम की स्थिति, उसमें नेता विपक्ष कहां है स्पीकर क्या कर सकता है लीडर ऑफ अपोजिशन के खिलाफ कार्रवाई लोकसभा में जिस तरह नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अभिवादन को लेकर स्पीकर ओम बिरला पर आक्षेप किया तो स्पीकर ने भी उसका जवाब दिया. लेकिन इस आक्षेप और जवाब के बाद ये सवाल जरूर उठता है लोकसभा सदन में कौन बड़ा होता है, ये स्पीकर होता है या फिर लीडर. क्या स्पीकर नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकता है या नहीं. इसका अगर संविधान के अनुसार देखा जाए तो लोकसभा या राज्यसभा के सभापति अपने सदन का पीठासीन अधिकारी और सर्वोच्च प्राधिकारी होता है. लोकसभा के अध्यक्ष के खिलाफ यद्यपि अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. ऐसा भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में हो भी चुका है. सदन के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से लोकसभा के प्रस्ताव द्वारा कभी भी हटाया जा सकता है लोकसभा का शीर्ष पद क्या ऐसे में ये बहुत साफ है कि लोकसभा को चलाने की पूरी जिम्मेदारी इसके अध्यक्ष की होती है. इस संचालन में अगर कोई बाधा उपस्थित कर रहा है या व्यावधान उपस्थित करते हुए नियमों की अवहेलना कर रहा है तो वो कार्रवाई भी कर सकता है. कार्रवाई में वो क्या सकता है ये तो हम आगे जानेंगे. पहले ये जानते हैं कि प्रोटोकोल की अगर बात करें या सदन में शीर्षता क्रम या पद की वरिष्ठता की बात करें तो कौन बड़ा होता और सक्षम अधिकारी होता है. ये स्पीकर होता है या फिर नेता विपक्ष. कौन होता है नेता विपक्ष यहां ये भी बता देते हैं कि नेता प्रतिपक्ष जैसी कोई व्यवस्था संविधान में तो नहीं की गई लेकिन संसदीय तौर पर ऐसी एक व्यवस्था 1969 में बनाई गई और फिर 1977 में पुख्ता रूप दे दिया गया. वह शख्स नेता प्रतिपक्ष होता है, जिसकी पार्टी के पास विपक्ष में सबसे ज्यादा और कम से कम सदन की कुल सदस्य संख्या की दस फीसदी सीटें हों. लोकसभा में भी होता पदानुक्रम निश्चित तौर पर लोकसभा सदन में जब कार्यवाही चलती है तो ये स्पीकर की अध्यक्षता में चलती है. उस समय सदन में स्पीकर सबसे बड़ा होता है. वहां उसके पास सबसे ज्यादा अधिकार होते हैं. लीडर ऑफ अपोजिशन निश्चित तौर पर तब हाउस के नेता के बाद के क्रम में महत्व रखता है. लोकसभा में हाउस का नेता प्रधानमंत्री होता है. उसके बाद नेता विपक्ष का नंबर आता है. उसे सदन के पदानुक्रम महत्व के अनुसार तीसरे नंबर पर रखा जाता है. स्पीकर कर सकता है किसी भी सांसद के आचरण पर कार्रवाई क्या स्पीकर अनुचित व्यवहार पर नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. संविधान मामलों के जानकार और ध्येय आईएएस एकेडमी के प्रमुख विनय सिंह का कहना है, बेशक स्पीकर सदन का सर्वोच्च प्राधिकारी होता है. वह नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है लेकिन ये जरूर देखा जाता है कि वो कोई भी कार्रवाई अगर करता है तो कितनी संविधान सम्मत और सदन की गरिमा के अनुकूल है और कितनी जानबूझकर, वो कानूनी तौर पर कसौटी पर कितनी कसी हुई है. ये देश में वरीयताक्रम और प्रोटोकॉल की स्थिति  वरीयता क्रम में और भारतीय प्रोटोकॉल में लोकसभा का अध्यक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ छठे स्थान पर होता है तो नेता प्रतिपक्ष को सातवें क्रम पर रखा गया है. ये वरीयता क्रम इस तरह है 1. राष्ट्रपति 2. उप राष्ट्रपति 3. प्रधान मंत्री 4. राज्यपाल (अपने-अपने राज्यों में) 5. पूर्व राष्ट्रपति और उप प्रधानमंत्री 6. चीफ जस्टिस, लोकसभा अध्यक्ष 7. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री, राज्यसभा में नेता विपक्ष, मुख्यमंत्री (अपने-अपने राज्यों में) स्पीकर लोकसभा सदस्यों पर कौन सी कार्रवाई कर सकता है – सांसदों को निलंबित कौन कर सकता है? इसमें नेता विपक्ष भी हो सकते हैं कब स्पीकर सांसदों पर कार्रवाई कर सकता है नियम 373: यदि अध्यक्ष को लगता है कि किसी सदस्य का आचरण अनुचित है तो वह उसे सदन से तुरंत बाहर जाने का निर्देश दे सकता है. जिन सदस्यों को इस प्रकार से वापस जाने का आदेश दिया गया है, उन्हें तुरंत बाहर जाना होता है और उस दिन बैठक में शामिल नहीं हो सकते. नियम 374: अध्यक्ष किसी ऐसे सदस्य का नाम ले सकता है जो सभापति के प्राधिकार की अवहेलना करता है या सदन की कार्यवाही में लगातार और जानबूझकर बाधा डालकर सदन के नियमों का दुरुपयोग करता है. इस प्रकार के सदस्य को सदन से सत्र की शेष अवधि तक के लिए निलंबित कर दिया जाता है. नियम 374ए : नियम 374ए को दिसंबर 2001 में नियम पुस्तिका में शामिल किया गया. घोर उल्लंघन या गंभीर आरोपों के मामले में अध्यक्ष द्वारा नाम लिए जाने पर वह सदस्य खुद ब खुद सदन की सेवा से लगातार पांच बैठकों या शेष सत्र के लिए (जो भी कम हो) निलंबित हो जाता है. क्या न्यायालय संसद में सांसदों के व्यवहार पर दखल दे सकती है – नहीं,संविधान के अनुच्छेद 122 के अनुसार संसदीय कार्यवाही पर न्यायालय में प्रश्न नहीं उठाया जा सकता. Tags: Leader of opposition, Lok Sabha Speaker, Loksabha Speaker, Om Birla, Rahul gandhiFIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 19:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed