देश में हिंसा और नफरत पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद का बड़ा बयान बोले- विभाजन के बाद हो जाना था सचेत
देश में हिंसा और नफरत पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद का बड़ा बयान बोले- विभाजन के बाद हो जाना था सचेत
Shimla Literature Festival: शिमला में आयोजित International Literature Festival मे आरफि मोहम्मद खान ने की शिरकत, एक सत्र की अध्यक्षता की. देश में फैल रही हिंसा और नफरत के सवाल पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि 75 साल पहले हुए देश के विभाजन के दौरान हुए कुछ आंदोलन में नफरत की घोली गई. उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद जिस तरह से हमे सचेत होना चाहिए था, उस तरह से बदकिस्मती से हम सचेत नहीं हो पाए.
शिमला. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में चल रहे तीन दिवसीय International Literature Festival के अंतिम दिन केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत की. आरिफ मोहम्मद खान ने इस साहित्य उत्सव के दौरान एक सत्र ‘आस्था का गायन: भारत में भक्ति साहित्य’ की अध्यक्षता की. साहित्य से जुड़े केरल के राज्यपाल ने सत्र के बाद पत्रकारों से बातचीत की.
इस दौरान देश में फैल रही हिंसा और नफरत के वातावरण को लेकर पूछे गए सवाल के जबाव में आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, “75 साल पहले हुए देश के विभाजन के दौरान हुए कुछ आंदोलन में नफरत की घोली गई. उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद जिस तरह से हमे सचेत होना चाहिए था, उस तरह से बदकिस्मती से हम सचेत नहीं हो पाए.” उन्होंने कहा कि एक बार मैंने मौलाना आजाद के शब्द प्रयोग किए थे तो लोगों को ऐतराज हुआ था, सैलाब आया तो कहीं-कहीं पानी रूक गया तो उसमें बदबू भी आने लगती है.
हिंदुस्तान में कभी भी अभिव्यक्ति की आजादी पर बंदिशें नहीं लग सकतीं: राज्यपाल
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अब ये हम सबकी जिम्मेवारी है कि दोषारोपण के बजाए मिलकर सफाई करनी चाहिए. अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर पूछे गए सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में कभी भी अभिव्यक्ति की आजादी पर बंदिशें न लग सकती हैं और न ही कोई कोशिश कर सकता है. उन्होंने कहा कि भारत हजारों सालों से स्वतंत्र आत्मा का देश है और कोई भारतीय इस बंदिश को स्वीकार नहीं कर सकता है.
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव के आयोजन को बताया महत्वपूर्ण
इस अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव के आयोजन को आरिफ मोहम्मद खान ने बहुत महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि भारत की पहचान ही ज्ञान,विज्ञान और पज्ञा है. उन्होंने कहा कि इस तरह के साहित्य के संगम के आयोजन से चेतना पैदा होती है, प्रज्ञा और ज्ञान की परंपरा को पुनर्नजीवित किया जाता है और इसे आम लोगों के पास ले जाता है. उन्होंने कहा कि हमारे समाज का आदर्श हमेशा साहित्यकार, लिखने-सोचने वाले, ऋषि-मुनि और अध्यात्म से जुड़े लोग रहे हैं, कोई आर्मी के जनरल या राजा लोग आदर्श नही रहे हैं.
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Tags: Literature and Art, Shimla News, Shimla TourismFIRST PUBLISHED : June 18, 2022, 22:51 IST