हाथों से नहीं पैरों से अपनी किस्मत बनाने में जुटा है यह शख्स पढ़ें दिव्यांग नंदलाल के जज्बे की कहानी
हाथों से नहीं पैरों से अपनी किस्मत बनाने में जुटा है यह शख्स पढ़ें दिव्यांग नंदलाल के जज्बे की कहानी
Story of Courage: अगर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का जज्बा हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं. ऐसा ही संदेश दे रहे हैं दोनों हाथों से दिव्यांग नंदलाल. दुर्घटना में दोनों हाथ गंवाने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई नहीं रोकी. परीक्षा में वह हाथों से नहीं बल्कि पैरों से पेपर लिखकर जज्बे और साहस का परिचय दे रहे हैं.
मुंगेर. आपकी सोच यदि जीवन में आगे बढ़ने की है तो फिर आपके लिए हर बाधा काफी छोटी हो जाती है. अपनी लगन से कुछ ऐसा ही साबित कर रहे हैं मुंगेर के रहने वाले नंदलाल. नंदलाल ने बिजली दुर्घटना में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे. इसके बावजूद उन्होंने पढ़ने-लिखने की अपनी ख्वाहिश को कभी विराम नहीं दिया. हाथ नहीं रहे तो नंदलाल ने पैरों को ही अपना हाथ बना लिया. आज वह पैरों के बजाय हाथों से लिखकर परीक्षा दे रहे हैं. उनके इस हौसले को जो भी देख रहा है, वही दंग रह जा रहा है.
मुंगेर जिले के हवेली खड़ग़पुर नगर क्षेत्र के संत टोला निवासी अजय कुमार साह और बेबी देवी का पुत्र नंदलाल दोनों हाथ न रहने के बावजूद पैर के सहारे इतिहास रचने की ठान ली है. बचपन में ही उच्च क्षमता के बिजली करंट की चपेट में आने से अपना दोनों हाथ गंवाने वाले नन्दलाल अपनी मेधा और आत्मबल के बूते नई इबारत लिख रहे हैं. दिव्यांग नंदलाल बीए पार्ट वन की परीक्षा आरएस कॉलेज तारापुर में दे रहे हैं. नंदलाल हाथ न होते हुए भी पैर के सहारे परीक्षा में शामिल हो रहे हैं.
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बिजली दुर्घटना में नंदलाल ने दोनों हाथ गंवा दिए थे. (न्यूज 18 हिन्दी)
नंदलाल के पिता अजय साह संत टोला के समीप एक गुमटीनुमा दुकान चलाते हैं. नंदलाल कुमार ने वर्ष 2019 में इंटरमीडिएट साइंस की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया था. उन्हें 500 में 325 अंक प्राप्त हुए थे. वर्ष 2017 में दिव्यांग नंदलाल ने मैट्रिक की भी परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर खड़गपुर को सम्मान दिलाने के साथ अन्य लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था. साथ ही वर्ष 2022 में स्नातक (अर्थशास्त्र) की परीक्षा में दोनों हाथ न रहने के बावजूद अपनी कड़ी मेहनत के बूते उसे सार्थक कर दिखाने के प्रयास में भिड़े हैं.
नंदलाल ने बताया की उनके दादा ने उन्हें पैर से लिखना सिखाया था. आज वह अपनी दिव्यंगता को अपनी बेबसी नहीं, बल्कि उसी को अपना ढाल बना अपनी तकदीर लिख रहे हैं. नंदलाल का लक्ष्य आईएएस अधिकारी बनना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए वह अपने दोनों हाथों से नहीं, बल्कि दोनों पांवों से कोशिश करने में जुटे हैं.
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Tags: Munger news, OMG NewsFIRST PUBLISHED : June 29, 2022, 12:18 IST