इस्लाम मे मुस्लिमों के लिए हज क्यों होता है ज़रूरी जाने हज और उमरा मे क्या है अंतर
इस्लाम मे मुस्लिमों के लिए हज क्यों होता है ज़रूरी जाने हज और उमरा मे क्या है अंतर
इस्लाम में हज और उमराह करने का काफी ज्यादा महत्व है. इसलिए दुनिया भर से लाखों की तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग हज, उमराह करने सऊदी अरब पहुंचते हैं. हज, उमराह करने के लिए भारत से भी काफी बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग जाते हैं. साल 2024 की हज यात्रा के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
वसीम अहमद/अलीगढ़. इस्लाम में हज और उमराह करने का काफी ज्यादा महत्व है. इसलिए दुनिया भर से लाखों की तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग हज, उमराह करने सऊदी अरब पहुंचते हैं. हज, उमराह करने के लिए भारत से भी काफी बड़ी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग जाते हैं. साल 2024 की हज यात्रा के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. जिसके बाद अब हज यात्रा की शुरुआत हो चुकी है.
हज और उमराह दोनों के लिए ही मुसलमान सऊदी अरब के सबसे पुराने शहर मक्का जाते हैं. लेकिन बड़ा अंतर यह है कि उमराह पूरी साल किया जा सकता है लेकिन हज करने का एक निश्चित समय होता है. हज यात्रा इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने में की जाती है और यह कई दिनों तक चलती है साथ ही यह ज्यादा खर्चीली भी होती है. उमराह और हज दोनों में मक्का के पवित्र स्थल शामिल हैं, फिर भी दोनों के बीच अंतर हैं. जैसे उमराह इबादत का एक काम है. फ़र्ज़ (अनिवार्य) नहीं है. जबकि हज इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है और हर उस सक्षम मुसलमान के लिए अनिवार्य है जिसके पास यात्रा करने के लिए पर्याप्त पैसे, वित्तीय साधन हैं.
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उमरा और हज में क्या है फर्क
जानकारी देते हुए अलीगढ़ के इस्लामिक स्कॉलर उमेर खान बताते हैं कि इस्लाम में जो खुदा के द्वारा मुसलमानो के लिए जो पांच फर्ज बताए गए हैं. जिनमे कलमा, नमाज, रोजा, हज और ज़कात शामिल हैं. हज उन सभी लोगों पर फर्ज है जो साहिबे हैसियत (मालदार ) हो. अगर ऐसे लोग हज नहीं करेंगे और मर जाएंगे तो वह गुनहगार कहलाएंगे. इस्लाम में जो लोग उमरा करते हैं वह भी बहुत अच्छी बात है लेकिन उमरा करना फर्ज नहीं है. उमराह निफले इबादत है. यानी कि उमरा करना अच्छी बात है सबाब का काम है और न करने पर कोई गुनाह नहीं है. इसी तरह से हज और उमरे में कई तरह के फर्क हैं. जैसे आप हज करेंगे तो आपको कुर्बानी जरूर करानी पड़ेगी और आपको शैतान को कांकरिया मारनी पड़ेगी. आपको अराफात के मैदान में ठहरना पड़ेगा. जबकि उमराह करने के लिए ऐसा कुछ नहीं है. हज केवल ईद उल अज़हा के दौरान किया जाता है. जबकि उमरा हज के दिनों को छोड़कर पूरे साल में कभी भी किया जा सकता है.
Tags: Aligarh news, Haj yatra, Haj Yatri, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : May 25, 2024, 15:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed