सावन में कैसे करें शिव पूजा जान लें ये 5 विशेष नियम आरती होती है महत्वपूर्ण

Sawan 2024 Shiv Puja Ke Niyam: सावन का महीना 22 जुलाई सोमवार से प्रारंभ हो रहा है. सावन में भगवान शिव की पूजा कैसे करते हैं? शिव पूजा का नियम क्या है? केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं इन सबके बारे में.

सावन में कैसे करें शिव पूजा जान लें ये 5 विशेष नियम आरती होती है महत्वपूर्ण
सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को प्रिय है. इस पूरे माह में भगवान शिव की पूजा करते हैं, लोग 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करते हैं. शिवालयों में शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है. संकटों से मुक्ति के लिए रुद्राभिषेक कराया जाता है. मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए लोग कांवड़ यात्रा भी करते हैं. शिव भक्त वो हर प्रयास और उपाय करते हैं कि उनके प्रभु शिव शंकर प्रसन्न हो जाएं और उनके मन की मुराद पूरी कर दें. इस साल सावन का महीना 22 जुलाई सोमवार से प्रारंभ हो रहा है. सावन में भगवान शिव की पूजा कैसे करते हैं? शिव पूजा का नियम क्या है? केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं इन सबके बारे में. सावन में शिव पूजा के नियम 1. सावन के महीने के प्रारंभ होते ही तामसिक वस्तुओं जैसे मांस, शराब, नशीली वस्तुओं, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करते हैं. सावन में पूरे माह सात्विक भोजन करना चाहिए. पूजा से पूर्व स्नान करके साफ कपड़े पहनना चाहिए. ये भी पढ़ें: सावन में पाना चाहते हैं भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद, करें ये 5 काम, कार्य होंगे सफल, बढ़ेगी सुख-समृद्धि भी 2. भगवान शिव की पूजा के लिए बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, आक के फूल, सफेद फूल, कमल, मौसमी फल, शहद, शक्कर, गंगाजल, गाय का दूध, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य आदि जरूरी होते हैं. 3. महादेव की पूजा में तुलसी के पत्ते, हल्दी, केतकी के फूल, सिंदूर, शंख, नारियल आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए. ये सभी वस्तुएं शिव पूजा में वर्जित हैं. 4. सावन के सोमवार, प्रदोष व्रत और शिवरात्रि के दिन उपवास रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए. ये तीनों ही दिन शिव कृपा प्राप्ति के लिए विशेष माने जाते हैं. 5. शिव जी के मंत्रों का जाप करें. सामान्य पूजा में आप चाहें तो ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. शिव चालीसा पढ़कर भगवान शिव शंकर की आरती कर लें. आरती करने से पूजा की कमियां दूर होती है. ये भी पढ़ें: कब है सावन का पहला सोमवार? 3 शुभ योग में होगी शिव पूजा, जानें व्रत रखने के फायदे शिव जी की आरती ओम जय शिव ओंकारा, ओम जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव… एकानन चतुरानन पंचानन राजे। हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव… दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव… अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी। चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥ ओम जय शिव… श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव… कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता। जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव… ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव… ये भी पढ़ें: आषाढ़ पूर्णिमा पर करें 3 उपाय, नाराज पितर होंगे खुश, लक्ष्मी कृपा से धन से भर जाएगी तिजोरी! काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव… त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥ ओम जय शिव… Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lord ShivaFIRST PUBLISHED : July 12, 2024, 11:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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