शाश्वत सिंह/झांसी: बुंदेलखंड में खेती की अपार संभावनाएं हैं. यहां कई प्रकार के फसल की खेती की जा सकती है. यहां पर कई जगहों पर मसाले की खेती भी खेती होती है, लेकिन अब बुंदेलखंड विश्वविद्यालय इस बात पर रिसर्च करेगा की इस क्षेत्र में छोटे किसान किस प्रकार से मसाले की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को यह रिसर्च करने की जिम्मेदारी सौंप दी है.
मसालों पर होगी रिसर्च
यह रिसर्च विशेष रूप से अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों पर की जायेगी. डॉ. राजेश पांडेय के नेतृत्व में डॉ. कौशल त्रिपाठी, डॉ. अवनीश कुमार दुबे और डॉ. जय नारायण तिवारी की टीम यह रिसर्च करेंगे. इस रिसर्च के लिए विश्वविद्यालय को 61 लाख 65 हजार रुपए मिले हैं.
विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया
कुलपति मुकेश पाण्डेय ने बताया कि लगातार दूसरे वर्ष बुंदेलखंड विश्वविद्यालय संस्था द्वारा शोध के लिए प्रोजेक्ट प्रदान किया गया है. विश्वविद्यालय को नैक ए प्लस ग्रेड अपग्रेडेशन होने के साथ मल्टी डिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (एमईआरयु) का दर्जा मिला है. इस वजह से अब इसका लाभ भी मिलने लगा है.
लगातार विकास कर रहा है विश्वविद्यालय
प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. राजेश पांडेय ने बताया कि इस शोध के अंतर्गत मसालों में विशेष रूप से अजवाइन, जीरा, हल्दी और अदरक की खेती को वैज्ञानिक तरीके से करने एवं उत्पादन में वृद्धि के लक्ष्य को लेकर कार्य किया जाएगा. अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों में जिनके पास काम की कृषि भूमि है. वह इन मसालों की उन्नत करेंगे. इस खेती से उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायता मिलेगी. इसके अंतर्गत किसानों को प्रशिक्षण के साथ ही प्रदर्शन के माध्यम से जानकारी प्रदान की जाएगी. बुंदेलखंड विश्वविद्यालय प्रदेश का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जिसे लगातार दूसरे साल भारत सरकार से यह ग्रांट मिला है.
Tags: Jhansi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 12, 2024, 11:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed