भगवान शिव को भूलकर भी न चढ़ाएं इस तरह के बेलपत्र होता है अशुभ!
भगवान शिव को भूलकर भी न चढ़ाएं इस तरह के बेलपत्र होता है अशुभ!
काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. इसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है, लेकिन बेलपत्र पर नाम या इच्छाएं लिखकर अर्पित करने की परंपरा का शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं मिलता.
अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी:भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है. इसे अर्पित करने से शिवभक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लेकिन हाल ही में एक नई प्रवृत्ति देखने को मिल रही है, जहां भक्त अपने नाम या इच्छाओं को बेलपत्र पर लिखकर शिवलिंग पर अर्पित कर रहे हैं. इससे यह प्रश्न उठता है कि क्या ऐसा करना उचित है? क्या इससे भगवान शिव नाराज होते हैं? आइये जानते हैं इसके बारे में काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य से.
काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. इसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है, लेकिन बेलपत्र पर नाम या इच्छाएं लिखकर अर्पित करने की परंपरा का शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं मिलता. गोरखपुर के गीता प्रेस की प्रसिद्ध पुस्तक रुद्राष्टाध्यायी में भगवान शिव को बेलपत्र अर्पण करने के नियम विस्तार से बताए गए हैं.
सिर्फ प्रभु श्री राम का नाम लिखकर कर सकते हैं अर्पित
संजय उपाध्याय के मुताबिक, बेलपत्र पर सिर्फ और सिर्फ प्रभु श्रीराम का नाम लिखकर ही शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है. इससे इतर अन्य कोई नाम या इच्छा को बेलपत्र पर अंकित कर उसे भगवान शिव को अर्पित करने का कोई भो विधान नहीं है. इससे आप पाप के भागी बन सकते हैं.
1. शास्त्रों का उल्लेख: शास्त्रों में बेलपत्र को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना गया है. इसे शुद्ध रूप में शिवलिंग पर अर्पित करना ही उचित माना गया है. बेलपत्र पर नाम लिखना या उसे किसी अन्य रूप में बदलना शास्त्रों के विपरीत है.
2. प्राकृतिक पवित्रता: बेलपत्र की प्राकृतिक पवित्रता को बनाए रखना आवश्यक है. उस पर नाम लिखने या किसी अन्य प्रकार की छेड़छाड़ करने से उसकी पवित्रता भंग हो सकती है, जो उचित नहीं है.
3. आस्था और विश्वास : भगवान शिव की आराधना में आस्था और विश्वास का प्रमुख स्थान है. सरलता और शुद्धता के साथ अर्पित किया गया बेलपत्र भगवान शिव को प्रिय होता है. अतिरिक्त आडंबर या विशेष प्रयासों की आवश्यकता नहीं होती.
4. परंपरागत पूजा विधि: पारंपरिक पूजा विधि के अनुसार, बेलपत्र को तीन पत्तों वाला होना चाहिए और उसे उल्टा (छोटा डंठल ऊपर की ओर) रखकर शिवलिंग पर अर्पित किया जाना चाहिए. नाम लिखने की कोई आवश्यकता नहीं है.
Tags: Dharma Aastha, Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 17:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed