कारगिल की वह 21 तारीखें जब बदला युद्ध का रुख जमींदोज हुए नापाक मंसूबे
कारगिल की वह 21 तारीखें जब बदला युद्ध का रुख जमींदोज हुए नापाक मंसूबे
Kargil Vijay Diwas 2024: लगभग असंभव दिख रही लड़ाई को भारतीय सेना के जांबाजों ने अपने पराक्रम और युद्ध कौशल से विजय में तब्दील कर दिया. कारगिल युद्ध के दौरान वह 21 तारीखें बेहद खास रहीं, जो युद्ध के बदलते रुख की गवाह बनी. कौन सी थी वह तारीखें और उन तारीखों पर क्या हुआ, जानने के लिए पढ़ें आगे...
25 years of Kargil war: कारगिल की चोटियों पर घुसपैठियों के भेष में बैठी पाकिस्तानी सेना पूरी तरह से यह मान चुकी थी कि उन तक भारतीय सेना का पहुंचना लगभग नामुमकिन सा है. यदि भारतीय सेना ने उन तक पहुंचने की कोशिश भी की तो, यह कोशिश उनके लिए खुदकुशी जैसी ही होगी. भारतीय सेना भी इस सच को बखूबी जानती थी. बावजूद इसके, भारतीय सेना के जांबाज जवानों ने आगे बढ़कर दुश्मन को अंजाम तक पहुंचाने का फैसला किया.
तीन जून को भारतीय सेना की तरफ से हमला शुरू किया गया. देखते ही देखते असंभव सी दिखने वाली लड़ाई को भारतीय सेना के जांबाजों ने अपने पराक्रम और युद्ध कौशल से विजय में तब्दील कर दिया. कारगिल युद्ध के दौरान वह 21 तारीखें बेहद खास रहीं, जो युद्ध के बदलते रुख की गवाह बनी. कारगिल युद्ध के दौरान किस तारीख को क्या हुआ, आइए जानें… यह भी पढ़ें: 17,995 फीट की ऊंचाई पर बैठा था दुश्मन, MMG के सीधे निशाने पर थे भारतीय जांबाज, 24 मई को हुआ बड़ा फैसला, फिर.. सियाचिन ग्लेशियर और लेह-लद्दाख को हथियाने के इरादे से पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठियों के भेष में मस्कोह से बटालिक सेक्टर के बीच अपनी बिसात बिछाई थी. दुश्मन का मंसूबा था कि वह नेशनल हाईवे-1 को अपने कब्जे में लेकर इस इलाके को शेष भारत से काट दे. लेकिन… कारगिल युद्ध की पूरी कहानी और कब क्या हुआ, जानने के लिए क्लिक करें.
03 मई: गारकौन गांव में रहने वाल चरवाहे ताशी नामग्याल अपनी याक को खोजते हुए कारगिल के बटालिक सेक्टर तक पहुंच गए. जहां उनकी निगाह अत्याधुनिक हथियारों से लैस पाकिस्तानी घुसपैठियों पर पड़ी. ताशी नामग्याल ने सबसे पहले इसकी जानकारी भारतीय सेना को दी.
05 मई: ताशी नामग्याल से मिली जानकारी को बेहद गंभीरता से लेते हुए भारतीय सेना ने एक गश्ती दल को पाकिस्तानी घुसपैठियों की टोल लेने के लिए रवाना गया. पहले से घात लगाकर बैठे पाकिस्तानी घुसपैठियों ने भारतीय जवानों को बंधक बना लिया और बाद में उनकी बेरहमी से हत्या कर दी.
09 मई: पाकिस्तानी सेना को जैसे ही इस बात का अहसास हुआ कि भारतीय सेना को उनके मंसूबों के बारे में पता चल गया है, उसने कारगिल इलाके में स्थिति भारतीय सेना की छावनियों और एम्युनिशन डिपो को निशाना बनाकर गोला-बारूद की बारिश करने लगा.
10 मई: भारतीय सेना को अब तक पता चल चुका था कि कारगिल की चोटी पर बैठे घुसपैठिए पाकिस्तानी सेना के जवान और अधिकारी हैं. इसके अलावा, द्रास, काद्रास, काकसर और मुश्कोह सेक्टरों में भी पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी दर्ज की गई.
14 मई: भारतीय सेना के कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी घुसपैठियों की टोह लेने के लिए रवाना किया गया. इस ऑपरेशन में कैप्टन सौरभ कालिया के साथ अर्जुन राम, भंवरलाल बगारिया, भिका राम, मूल राम और नरेश सिंह भी थे.
25 मई: तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश को कारगिल में हुई घुसपैठ की जानकारी देश को दी.
26 मई: भारतीय सरजमी पर मौजूद दुश्मन को जमींदोज करने करने के लिए भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरूआत की. ऑपरेशन विजय के तहत घुसपैठियों के भेष में मौजूद पाकिस्तानी सैनिकों और उनके ठिकानों पर हवाई हमला शुरू कर दिए गए. यह भी पढ़ें: कारगिल के वो 63 परम-महा-वीर, हर दिन लिखी वीरता की एक नई इबारत, कुचला दुश्मन का गुरूर… कारगिल युद्ध में वीरता के लिए सबसे अधिक पदक पाने वालों में भारतीय सेना की कश्मीर राइफल्स और राजपूताना राइफल्स के जांबाज शामिल हैं. कारगिल युद्ध में जांबाजी के लिए भारतीय सेना के किस रेजिमेंट के किस अधिकारी को मिला कौन सा पदक, जानने के लिए क्लिक करें.
27 मई: ऑपरेशन विजय को अंजाम तक पहुंचाने के लिए मिशन पर निकले भारतीय वायु सेना का एक मिग-21 और मिन-27 हवा में मार करने वाली मिशाइलों की चपेट आ गए. इस हमले के बाद मिग-27 के पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट कम्बम्पति नचिकेता इमरजेंसी एग्जिट लेना पड़ा. सीमा पार लैंड होने की वजह से फ्लाइट लेफ्टिनेंट कंबंपति नचिकेता को दुश्मन ने युद्ध बंदी बना लिया.
28 मई: पाकिस्तानी सेना की जमींदोज करने के इरादे से उड़ान भरने वाला भारतीय वायु सेना का एमआई-17 गोली बारी की चपेट में आ गया. इस हमले में एमआई-17 चालक दल के चार सदस्यों ने देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया.
01 जून: अपने नापाक मंसूबों को आगे बढ़ाते हुए कारगिल की चोटिंयों पर बैठी पाकिस्तानी सेना ने श्रीनगर से लद्दाख जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 1 पर गोलाबारी शुरू कर दी. इस गोलीबारी में पाकिस्तानी सेना का निशाना रसद और सैन्य सामग्री लेकर जा रहे भारतीय सेना के ट्रक थे.
03 जून: भारतीय कूटनीति और सैन्य दबाव के सामने पाकिस्तान ने घुटने टेकना शुरू कर दिया. इसका पहला सबूत 3 जून 1999 को तब सामने आया, जब पाकिस्तान ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट कंबंपति नचिकेता को रिहा कर दिया.
05 जून: पाकिस्तानी सेना के जवानों के कब्जे से बरामद दस्तावेजों को सार्वजनिक कर भारतीय सेना ने बता दिया कि कारगिल की चोटियों में बैठे घुसपैठिए पाकिस्तानी सेना के जवान हैं.
06 जून: भारतीय सेना के जांबाज, पाकिस्तानी सेना के गुरूर को अपने बूटों के नीचे रौंदने के इरादा लेकर आगे बढ़ गए. भारतीय सेना की तरफ से कारगिल क्षेत्र में बड़े हमले का आगाज कर दिया गया.
09 जून: भारतीय सेना के दृढ़ संकल्प और बहादुरी के सामने पाकिस्तानी सेना ने घुटने टेकना शुरू कर दिए. देखते ही देखते, भारतीय सेना ने बटालिक सेक्टर के अंतर्गत आने वाले दो प्रमुख ठिकानों पर एक बार फिर भारतीय परचम लहरा दिया.
11 जून: पाकिस्तानी जनरल परवेज मुशर्रफ और लेफ्टिनेंट जनरल अजीज खान के बीच हुई बातचीत को भारतीय सेना ने इंटरसेप्ट किया और भारतीय सेना ने पाक के नापाक इरादों को पूरी दुनिया के सामने बेपर्दा कर दिया.
13 जून: द्रास की तोलोलिंग की चोटी पर घुसपैठियों के भेष में मौजूद पाकिस्तानी सेना के जवानों को भारतीय सेना ने उनके अंजाम तक पहुंचा दिया. ज्यादातर दुश्मन मारे गए, जो बचे वह पीठ दिखाकर भागने को मजबूर हो गए. इसी के साथ, भारतीय सेना ने तोलोलिंग की चोटियों पर भी भारतीय परचम लहरा दिया.
04 जुलाई: एक के बाद एक सफलता हासिल करने के बाद भारतीय सेना अपने अपने कदम टाइगर हिल की तरफ बढ़ा दिए थे. लगातार 12 घंटे तक चली लंबी लड़ाई के बाद भारतीय सेना ने टाइगिर हिल को एक बार फिर अपने कब्जे में वापस ले लिया.
05 जुलाई: भारतीय सेना लगातार असंभव सी दिखने वाली लड़ाई को संभव करके दिखा रही थी. 5 जुलाई की तारीख बदलती, इससे पहले भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर को भी पूरी तरह अपने नियंत्रण के लिया था.
07 जुलाई: भारतीय सेना ने पाकिस्तान को एक और झटका देते हुए बटालिक सेक्टर के अंतर्गत आने वाले जुबार हाइट्स पर फिर से कब्जा जमा लिया था.
11 जुलाई: भारतीय सेना की पराक्रम के सामने आखिकार पाकिस्तान को घुटने टेकने ही पड़े. भारतीय सेना ने बटालिक सेक्टर के अंतर्गत आने वाली प्रमुख चोटियों पर फिर से भारतीय परचम फहरा दिया था.
26 जुलाई: भारतीय सेना की जीत के बाद कारगिल युद्ध के समाप्ति के बारे में आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी गई. भारतीय सेना ने एक बार पाकिस्तान के नापाक इरादों को कुचल कर वीरता का अद्भुत परिचय दे दिया था.
Tags: Kargil day, Kargil warFIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 14:47 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed