धान में 55 दिन के बाद भूलकर भी न करें ये गलती वरना फसल हो जाएगी बर्बाद
धान में 55 दिन के बाद भूलकर भी न करें ये गलती वरना फसल हो जाएगी बर्बाद
डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की फसल जब 55 से 60 दिन की हो जाए तो उसमें दानेदार नाइट्रोजन का छिड़काव बिल्कुल भी ना करें. धान के पौधों को मजबूत और दानों को वजनदार बनाने के लिए एनपीके का छिड़काव कर सकते हैं.
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: फसलों में दिए जाने वाले उर्वरक मिट्टी को पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जो पौधों के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी हैं. ये पोषक तत्व पौधों को अधिक उत्पादक बनाते हैं और फसल की गुणवत्ता में सुधार करते हैं. उर्वरक देने से पौधों की वृद्धि तेज होती है और फसल की मात्रा बढ़ जाती है. लेकिन ज्यादा मात्रा में नाइट्रोजन देने से धान की फसल को नुकसान हो सकता है. वहीं अगर किसान देरी से नाइट्रोजन देते हैं, तो भी फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि बहुत अधिक नाइट्रोजन से पौधों की पत्तियां तो हरी भरी लगती हैं, लेकिन जड़ें कमजोर हो जाती हैं और पौधे की वृद्धि रुक सकती है. ज्यादा नाइट्रोजन से दाने छोटे और कम बनते हैं. अधिक नाइट्रोजन से पौधे फफूंद और कीड़ों के हमलों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. अतिरिक्त नाइट्रोजन मिट्टी और पानी को प्रदूषित कर सकता है, जिससे जलस्रोतों में शैवाल का विकास बढ़ सकता है और जलीय जीवों के लिए खतरा पैदा हो सकता है. जरूरी यह भी है कि किसान समय पर संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन दें.
55 दिन बाद ने करें गलती
डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि अगर किसानों की धान की फसल 55 से 60 दिन की हो गई है, तो वह नाइट्रोजन का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें. नाइट्रोजन का इस्तेमाल करने से धान के पौधों के पत्तों में कोमलता बढ़ेगी, पानी की मात्रा बढ़ेगी, मिठास बढ़ेगी और कीट आकर्षित होंगे उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ेगा.
कैसे करें एनपीके का छिड़काव
डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि अगर धान की फसल के पौधे कमजोर हैं. पत्तों पर पीलापन है तो किसान एनपी 19:19:19, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश पाया जाता है. किसान एक से दो किलोग्राम 200 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ फसल में छिड़काव कर सकते हैं. ऐसा करने से बाली में चमक आ जाएगी, दाने वजनदार होंगे. किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा. इसके अलावा किसान 00:00:50 का छिड़काव भी कर सकते हैं. जिसमें की 50% पोटाश पाई जाती है. किसान एक से दो किलोग्राम 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दें. धान के दानों का वजन बढ़ेगा, चमक बढ़ने के साथ-साथ रोगों से बचाव होगा और कम लागत में अच्छा उत्पादन मिलेगा.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : September 7, 2024, 08:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed