प्राइवेट स्कूलों का नहीं कराया ऑडिट लेकिन सीए को दे दी 3 लाख सैलरी जांच की मांग
प्राइवेट स्कूलों का नहीं कराया ऑडिट लेकिन सीए को दे दी 3 लाख सैलरी जांच की मांग
अभिभावकों का आरोप है कि पिछले 4 साल में चेयरमैन एफएफआरसी ने अपने अधिकार का प्रयोग नहीं किया. उन्होंने ना तो स्कूलों की मनमानी की शिकायत पर अभिभावकों के हित में कोई उचित कार्रवाई की और ना किसी स्कूल का ऑडिट कराया, इतना ही नहीं बिना किसी स्कूल का ऑडिट कराए सीए को 3 लाख का भुगतान कर दिया.
फरीदाबाद. चेयरमैन फीस एंड फंड्स रेगुलेटरी कमेटी (एफएफआरसी) कम मंडल कमिश्नर फरीदाबाद ने किसी भी प्राइवेट स्कूल का ऑडिट नहीं कराया. जब कि इस कार्य के लिए रखे गए ऑडिटर कम सीए को सरकारी खजाने से तीन लाख का भुगतान कर दिया. यह जानकारी हरियाणा अभिभावक एकता मंच द्वारा एफएफआरसी में लगाई गई एक आरटीआई से मिली है. जिसके बाद मंच ने चेयरमैन एफएफआरसी कम मंडल कमिश्नर फरीदाबाद की इस कार्रवाई की शिकायत मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा को लिखित रूप में देकर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है.
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि हरियाणा सरकार ने शिक्षा नियमावली में संशोधन करके चेयरमैन एफएफ आरसी कम मंडल कमिश्नर को यह अधिकार दिया गया था कि वह प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की प्राप्त शिकायतों के आधार पर और इसके अलावा प्रत्येक कैटेगरी के प्राइवेट स्कूलों में से लॉटरी के माध्यम से निकाले गए 5% स्कूलों के खातों की जांच करे और ऑडिट कराए. इसके लिए एक अनुभवी व योग्य सीए की वार्षिक मानदेय के आधार पर नियुक्ति की जाए. 18 फरवरी 2019 को सीए की नियुक्ति की गई. मंच का कहना है कि चेयरमैन एफएफआरसी ने जब 2 साल तक किसी भी स्कूल का ऑडिट नहीं कराया तो मंच ने 13 जुलाई 2021 को चेयरमैन एफएफआरसी को पत्र लिखकर कहा कि प्राइवेट स्कूलों का ऑडिट कराया जाए.
इस बारे में आरटीआई लगाकर भी पूछा गया कि 2018 से लेकर 2022 तक नियमानुसार कितने मिडिल हाई स्कूल सीनियर सेकेंडरी स्कूलों का प्रत्येक वर्ष अनुसार 5 फीसदी के हिसाब से ऑडिट किया गया है उन सभी का नाम व पूरा ब्यौरा प्रदान किया जाए और ऑडिट कराने के लिए सीए को उसकी नियुक्ति से लेकर अब तक सरकारी खजाने से कितना मानदेय व शुल्क प्रदान किया गया है उसकी जानकारी दी जाए. कैलाश शर्मा ने बताया कि एफएफआरसी के एसपीआईओ ने आरटीआई का जवाब देकर बताया है कि एफएफआरसी के गठन से लेकर अब तक किसी भी वर्ष 5 फीसदी के हिसाब से किसी भी स्कूल का ऑडिट नहीं किया गया है और सीए को 21 फरवरी 2019 से 20 फरवरी 2020 तक यानी एक साल में तीन लाख का भुगतान किया गया है.
मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि फरीदाबाद, पलवल और नूंह जिले के प्राइवेट स्कूलों की मनमानियों की जांच करके दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने, प्राइवेट स्कूलों का हर साल ऑडिट कराने के लिए ही 2018 में मंडल कमिश्नर फरीदाबाद को चेयरमैन एफएफआरसी बनाया गया था.
मंच का आरोप है कि पिछले 4 साल में चेयरमैन एफएफआरसी ने अपने अधिकार का प्रयोग नहीं किया. उन्होंने ना तो स्कूलों की मनमानी की शिकायत पर अभिभावकों के हित में कोई उचित कार्रवाई की और ना किसी स्कूल का ऑडिट कराया, इतना ही नहीं बिना किसी स्कूल का ऑडिट कराए सीए को 3 लाख का भुगतान कर दिया. चेयरमैन एफएफआरसी की इस कार्यशैली की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. जांच कराने के लिए ही मंच की ओर से मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व अतिरिक्त सचिव शिक्षा डॉ महावीर सिंह को पत्र लिखा गया है.
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Tags: Parents, Private schools, RTIFIRST PUBLISHED : July 17, 2022, 14:41 IST