अपनों के बीच भी सुरक्षित नहीं मासूम! POCSO मामले में मात्र 14% दोषसिद्धि तो 22% आरोपी परिचित
अपनों के बीच भी सुरक्षित नहीं मासूम! POCSO मामले में मात्र 14% दोषसिद्धि तो 22% आरोपी परिचित
POCSO: मासूम बच्चियों का बचपन अपनों के बीच भी सुरक्षित नहीं है. एक अध्ययन में पाया गया है कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) मामले में 138 निर्णयों में से 22.9 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीड़िता के परिचित थे. वहीं 3.7 प्रतिशत मामलों में आरोपी परिवार के सदस्य थे.
हाइलाइट्सविश्लेषण में पाया गया है कि 43.44 प्रतिशत ट्रायल आरोपियों के बरी होने में समाप्त होते हैं. विश्लेषित किए गए 138 निर्णयों में से 22.9 प्रतिशत में आरोपी पीड़िता के परिचित थे. 3.7 प्रतिशत मामलों में आरोपी परिवार के सदस्य थे.
नई दिल्ली. यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) मामले में एक नया खुलासा हुआ है. एक विश्लेषण में पाया गया है कि 43.44 प्रतिशत ट्रायल आरोपियों के बरी होने से समाप्त होते हैं. और केवल 14.03 प्रतिशत मामलों में दोष सिद्ध होते हैं. यह विश्लेषण देश भर के ई-कोर्ट में इस कानून के तहत दर्ज मामलों के आधार पर एक स्वतंत्र थिंक-टैंक द्वारा किया गया है. इसके अलावा विश्लेषित किए गए 138 निर्णयों में से 22.9 प्रतिशत में आरोपी पीड़िता के परिचित थे. वहीं 3.7 प्रतिशत मामलों में वे परिवार के सदस्य थे. इन मामलों में, 18 प्रतिशत में ‘पूर्व रोमांटिक संबंध’ शामिल थे, जबकि 44 प्रतिशत में पीड़ित और आरोपी के बीच संबंध की पहचान नहीं की गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार डेटा एविडेंस फॉर जस्टिस रिफॉर्म (DE JURE) प्रोग्राम के सहयोग से विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी में जस्टिस, एक्सेस एंड लोअरिंग डिलेज इन इंडिया (JALDI) इनिशिएटिव द्वारा ‘अ डिकेड ऑफ पॉक्सो’ शीर्षक नाम से एक विश्लेषण किया है. इसमें 2012 से 2021 की अवधि के बीच 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 486 जिलों में ई-कोर्ट से 230,730 मामलों का अध्ययन किया गया है.
संयोग से साल 2021 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार POCSO के तहत दर्ज 96 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीड़िता का परिचित व्यक्ति था. विधि पहल द्वारा विश्लेषित किए गए 138 निर्णयों में, 5.47 प्रतिशत में पीड़िता 10 वर्ष से कम आयु की थी. वहीं 17.8 प्रतिशत में 10-15 वर्ष के बीच और 28 प्रतिशत मामलों में 15-18 वर्ष के बीच की थी. इसके साथ ही 48 फीसदी मामलों में पीड़ितों की उम्र की पहचान नहीं हो पाई है.
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इन मामलों के आरोपियों में 11.6 फीसदी 19-25 साल के बीच, 10.9 फीसदी 25-35 साल के बीच, 6.1 फीसदी 35-45 साल के बीच और 6.8 फीसदी 45 साल से ऊपर का था. वहीं 44 फीसदी मामलों में आरोपी की उम्र की पहचान नहीं हो पाई. अध्ययन में कोविड महामारी के कारण 2019 और 2020 के बीच लंबित मामलों की संख्या में 24,863 मामलों की तीव्र वृद्धि भी पाई गई.
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Tags: Child sexual harassment, POCSO caseFIRST PUBLISHED : November 18, 2022, 09:32 IST