हरियाणा चुनाव में होने जा रहा बड़ा प्रयोग सफल रहा तो 2029 में भी आएंगे मोदी!

Haryana Vidhan Sabha Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 कई मायनों में खास होने वाला है. एससी-एसटी में कोटे के अंदर कोटा और केंद्र सरकार के लेटरल एंट्री जैसे आरक्षण को लेकर विपक्ष द्वारा किए जा रहे कई सवालों का जनता वोट से जवाब देगी. यह चुनाव इसलिए भी खास होने वाला है कि हरियाणा की बीजेपी सरकार एससी कोटे के अंदर 50 प्रतिशत का आरक्षण देकर एक नया प्रयोग शुरू किया है.

हरियाणा चुनाव में होने जा रहा बड़ा प्रयोग सफल रहा तो 2029 में भी आएंगे मोदी!
नई दिल्ली. हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 कई मायनों में खास होने वाला है. सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी में कोटे के अंदर कोटा और केंद्र सरकार के मंत्रालयों में लेटरल एंट्री के जरिए नौकरी देने के फैसले खूब उछलेंगे. हालांकि, मंगलवार को लेटरल एंट्री के जरिए नौकरी पर रोक लग गई है. लेकिन, कब तक रोक रहेगी यह कहना मुश्किल है. बता दें कि एससी-एसटी में कोटे के अंदर कोटा का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि UPSC ने तीसरी बार भारत सरकार के कई मंत्रालयों और विभागों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव स्तर के अधिकारियों के लिए 45 पदों का विज्ञापन जारी कर दिया. इस विज्ञापन के जारी होते ही विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस ने बीजेपी पर आरक्षण छीन कर संविधान बदलने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के अधिसूचना जारी होने का बाद यह मामला और तूल पकड़ लिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, रायबरेली के सांसद राहुल गांधी के साथ-साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती ने भी भारत सरकार के कई विभागों में लेटरल एंट्री यानी सीधी भर्तियों का विरोध करना शुरू कर दिया. तमाम नेता बीजेपी पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगा रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि मोदी कैबिनेट में शामिल चिराग पासवान भी इसके विरोध में उतर आए. हालांकि, दोनों मामलों को केंद्र सरकार ने अभी ठंडे बस्ते में डाल दिया है. लेकिन, क्या ये दोनों मुद्दे आने वाले 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों के लिए वरदान साबित होंगें? या फिर बीजेपी के लिए गेम चेंजर? क्यों खास होने जा रहा है हरियाणा विधानसभा? विपक्षी पार्टियां जहां लेटरल एंट्री को आरक्षण खत्म करने की मंशा से जोड़ कर देख रही है. वहीं, बीजेपी का कहना है कि यह कांग्रेस के समय से ही चली रही व्यवस्था है. ऐसे में सवाल उठता है कि लेटरल एंट्री और एससी में कोटे के अंदर कोटा का मुद्दा हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनाने से रोक देगा? क्या कांग्रेस पार्टी यह मुद्दा उठा कर हरियाणा में 10 साल का वनवास खत्म करेगी? या फिर इस मुद्दे को उठाने से आम आदमी पार्टी, जनता जननायक पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल को भी फायदा पहुंचेगा? हरियाणा का जातिगत समीकरण क्या कहता है हरियाणा की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘देखिए, हरियाणा में तकरीबन 21 प्रतिशत दलित आबादी है. वहीं, जाट तकरीबन 23 प्रतिशत और 8 प्रतिशत पंजाबी वोटर्स हैं. ब्राह्मण तकरीबन 7.5 प्रतिशत, अहीर 5.14 प्रतिशत, वैश्‍य 5 प्रतिशत और जाट सिख-4 प्रतिशत हैं. वहीं, मेव और मुस्लिम तकरीबन 4 प्रतिशत के आसपास हैं. हरियाणा में राजपूत तकरीबन 3.5 प्रतिशत और गुर्जर भी करीब इतने के बराबर ही है. ऐसे में सभी पार्टियां हरियाणा में कास्ट पॉलिटिक्स शुरू कर दी है. इसी का परिणाम है कि दलित वोटरों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने भी आरक्षण का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है. इससे दलित वोट बैंक में सेंध लगेगा. अगर अहीर, जाट और मुस्लिम के साथ दलित का तबका कांग्रेस के साथ आता है तो बीजेपी के लिए चुनाव जीतना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. यह स्थिति लोकसभा चुनाव में हो चुकी है.’ पांडेय आगे कहते हैं, लोकसभा चुनाव में हरियाणा के दोनों आरक्षित सीटों को कांग्रेस ने जीता. विधानसभा की 17 आरक्षित सीटों पर भी बीजेपी, कांग्रेस से पीछे रही. लेकिन, बीजेपी ने मास्टर स्ट्रोक चल दिया है. बीजेपी की नजर एससी में ही वंचित 52 प्रतिशत की आबादी पर है. हाल ही में हरियाणा कैबिनेट ने एससी जातियों में से 36 जातियों को अपने पाले में लाने के लिए एससी में वर्गीकरण का फैसला किया है. हरियाणा कैबिनेट ने 17 अगस्त को एससी के इन वंचित जातियों में 20 प्रतिशत कोटे में 50 प्रतिशत आरक्षण देना का फैसला किया है. इस फैसले की बड़ी वजह है कि एससी की कुल आबादी में इन 36 वंचित जातियों की आबादी हरियाणा में 52.40 प्रतिशत है. यह निर्णय तब लिया गया है कि जब चुनाव आयोग का आचार संहिता लग गया है.’ ये भी पढ़ें: भारत में यहां बनेगा देश का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक बस डिपो, 410 करोड़ आएगी लागत, जानें सबकुछ हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजे हरियाणा ही नहीं देश के दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनावों पर भी असर डालेगा. यह आगामी महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव तक भी सीमित नहीं रहेगा. बल्कि, 2029 के लोकसभा चुनाव में भी तय करेगा कि प्रधानमंत्री मोदी बनेंगे या फिर राहुल गांधी? अगर हरियाणा के अंदर एससी जातियों में कोटे के अंदर कोटा का प्रयोग सफल रहता है तो बीजेपी इसे पूरे देश में लागू कर दलित वोटबैंक में बंटवारा कर सेंधमारी कर लेगा?  वहीं, आरक्षण के बहाने संविधान खत्म करने की बात करने वाली कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियाां साल 2029 के लोकसभा चुनाव में नया मुद्दा तलाशने में लग जाएगी. Tags: Haryana election 2024, Haryana newsFIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 16:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed