मृत्यु से पहले गुरु द्रोण ने कर्ण को कौन सा सत्य बताया जिसे सुन वह कांप उठे
महाभारत का युद्ध केवल शस्त्रों का संघर्ष नहीं था, वह वचनों, निष्ठा और भाग्य की अदृश्य लड़ाई भी था. युद्धभूमि के बाहर कही गई कुछ बातें कभी-कभी रणभूमि में चलाए गए हजारों बाणों से अधिक निर्णायक सिद्ध होती हैं. ऐसा ही एक क्षण तब आया जब मृत्यु से पहले आचार्य द्रोण ने अंगराज कर्ण को एक ऐसा सत्य बताया जिसे सुनकर कर्ण का पराक्रमी हृदय भी कांप उठा था.