ममता त्रिपाठी
नई दिल्ली: श्री राम की नगरी अयोध्या ( Ayodhya News) धार्मिक नगरी के साथ साथ देश की राजनीति का केंद्र बनती जा रही है. हिंदुत्व की विचारधारा और सियासी संदेश देने के लिए अयोध्या राजनेताओं की पंसदीदा जगह बन गई है. हर प्रदेश की राजनीति में जाति और धर्म सबसे बड़ा मुद्दा होता है इसलिए सियासतदां मानते हैं कि जातियों से तोड़ो और धर्म से जोड़ो की नीति के तहत ही ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल किया जा सकता है. महाराष्ट्र में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसके चलते शिवसेना और मनसे दोनों को ही श्री राम की याद आने लगी है.
शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे की कुछ दिन पहले हुई अयोध्या यात्रा के कुछ ऐसे ही निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. शिवसेना के रणनीतिकारों को लगता है कि एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की वजह से उनकी हिंदुत्व की छवि को ठेस लगी है इसलिए छवि सुधारने की दिशा में पार्टी को ऐसे जतन करने पड़ रहे हैं.
इस साल होंगे मुंबई नगर पालिका के चुनाव
मुंबई में नगर पालिका के चुनाव भी इसी साल के अंत में होने हैं, मुंबई में यूपी के लोगों की संख्या काफी है जो किसी भी सीट पर जीत को हार में बदलने के लिए काफी है. राज ठाकरे भी इसी राजनीति के तहत आने वाले थे मगर भाजपा सांसद के विरोध के चलते यात्रा स्थगित करनी पड़ी.
केजरीवाल अयोध्या से शुरू किया था चुनाव प्रचार
पिछले विधानसभा चुनावों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अयोध्या से ही चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी. खुद को बड़ा रामभक्त दिखाने के प्रयास में दर्शन के बाद ही उन्होंने बुजुर्गों के दर्शन के खास व्यवस्था करने की घोषणा की थी. मायावती जो कि कल तक मनुवादी व्यवस्था की घोर आलोचक थीं, चुनाव के वक्त वोटों की खातिर बोल ही बैठी थीं कि अगर वो सत्ता में आती हैं तो भव्य राम मंदिर का निर्माण कराएंगी.
आपको बता दें कि राम मंदिर पर कोर्ट के फैसले के वक्त मायावती सूबे की मुखिया थीं. केंद्र सरकार ने भी भगवान राम से जुड़े सभी तीर्थस्थलों के दर्शन के लिए पहली बार स्पेशल ट्रेन चलाई है जिसमें नेपाल में माता जानकी की जन्मस्थली भी शामिल है. लंबे समय से अयोध्या धर्म और संस्कृति दोनों का केंद्र रही है, आइए आपको बताते हैं कि क्यों है अयोध्या का राजनीतिक महत्व…
आडवाणी की रथ यात्रा से तेज हुआ मंदिर आंदोलन
1989 में विश्व हिंदू परिषद ने विवादित रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर में मंदिर का शिलान्यास किया था इसके बाद से ही पूरे देश में राममंदिर निर्माण को लेकर कारसेवा शुरू हो गई थी और मंदिर आंदोलन जोर पकड़ता गया था. हालांकि लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा पूरी नहीं हो पाई थी. उस वक्त के बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी को गिरफ्तार करके उनकी रथयात्रा को रोक दिया था. मगर यात्रा का मकसद तब तक पूरा हो चुका था.
25 सितंबर 1990 को तत्कालीन उप प्रधानमंत्री आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की थी, जिसके बाद मंदिर आंदोलन और तेज होता चला गया.1991 से 2012 तक अयोध्या से केवल भाजपा का ही विधायक जीतता था, 2012 में समाजवादी पार्टी के पवन पांडे ने यहां से जीत हासिल की थी हालांकि उसके बाद से फिर से यहां की सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया.
मंदिर आंदोलन रहा है भाजपा की राजनीति का केंद्र
भारतीय जनता पार्टी की तो राजनीति का केंद्र ही मंदिर आंदोलन रहा है. गोरखपुर के गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियां इस मंदिर आंदोलन से जुड़ी रही हैं. महंत दिग्विजय नाथ जी, महंत अवैद्यनाथ जी और खुद योगी आदित्यनाथ मंदिर निर्माण पर नजर रखे हुए हैं. हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के गर्भगृह का शिलान्यास किया और उम्मीद की जा रही है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक भक्तों के दर्शन पूजन के लिए इसे खोल दिया जाएगा. योगी सरकार अयोध्या के विकास के लिए दिल खोलकर खर्च भी कर रही है.
भव्य राममंदिर के निर्माण के बाद और जिस तरह से अयोध्या का तेजी से विकास हो रहा है उससे श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचने लगेंगे. ऐसे में राजनीतिक विश्लेष्कों का भी यही मानना है कि यहां से दिया गया हिंदुत्व का संदेश पूरे देश में जाएगा.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी |
Tags: Ayodhya, Ram Mandir ayodhya, UP newsFIRST PUBLISHED : June 17, 2022, 20:27 IST