यूपी के इस गुरुद्वारे में 69 वर्षों से जल रही अखण्ड ज्योति

संत बाबा सुखदेव सिंह जी ने इस गुरुद्वारे का निर्माण करने के अलावा शाहजहांपुर और आसपास के जिलों में करीब 150 गुरुद्वारों का निर्माण कराया था. खास बात यह है कि यहां करीब पिछले 69 वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है. यह ज्योति संगत के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है.

यूपी के इस गुरुद्वारे में 69 वर्षों से जल रही अखण्ड ज्योति
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : दो नदियों के बीच बसा हुआ शाहजहांपुर अपने आप में प्राचीन धरोहरों को संजोए हुए है. ऐसी ही एक धरोहर है कुटिया साहिब गुरुद्वारा. जिले की संगत के साथ-साथ पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और बरेली के अलावा विदेशों की संगत के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है. इस पवित्र स्थान को संत बाबा सुखदेव सिंह जी की तपोस्थली जी कहा जाता है. संत बाबा सुखदेव सिंह जी ने इस गुरुद्वारे का निर्माण करने के अलावा शाहजहांपुर और आसपास के जिलों में करीब 150 गुरुद्वारों का निर्माण कराया था. खास बात यह है कि यहां करीब पिछले 69 वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है. यह ज्योति संगत के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है. गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी सरदार गुरदीप सिंह बताते हैं कि शाहजहांपुर शहर के रहने वाले टहल सिंह संत बाबा सुखदेव सिंह जी के परम भक्त थे और वह उनके दर्शन करने के लिए हरिद्वार के कनखल जाया करते थे. टहल सिंह ने संत बाबा सुखदेव सिंह को शाहजहांपुर में आकर सिख धर्म का प्रचार करने का आग्रह किया. इसके बाद संत बाबा सुखदेव सिंह 1955 में शाहजहांपुर आए. संत बाबा सुखदेव सिंह ने शाहजहांपुर आने के बाद लालपुर क्षेत्र के एक बाग में कुटिया बनाई थी. यहां कुछ दिन रहने के बाद वह गोविंदगंज में आकर रहने लगे. उसके कुछ ही समय के बाद मोहनगंज इलाके के एक कब्रिस्तान में आकर संत बाबा सुखदेव सिंह जी ने कुटिया बना ली. यहां बाद में भव्य गुरुद्वारा का निर्माण कराया गया, आज उसी स्थान को कुटिया साहिब के नाम से जाना जाता है. 24 घंटे चलता है गुरु का लंगर शाहजहांपुर का कुटिया साहिब गुरुद्वारा आसपास के जिलों की संगत के अलावा विदेशों की संगत लिए आस्था का केंद्र है. यहां हर पूर्णिमा को सत्संग होता है. यहां इलाही बाणी का गायन किया जाता है. वहीं, हर साल 16 सितंबर को संत बाबा सुखदेव सिंह जी की बरसी के मौके पर जोड़ मेले का आयोजन होता है. उसके अलावा यहां सातों दिन 24 घंटे गुरु का लंगर अटूट चलता है. अखंड ज्योति के घी से होते हैं दुख दूर गुरुद्वारा साहिब की ग्रंथी गुरदीप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 1955 से यहां लगातार लड़ीवार अखंड पाठ साहिब का आयोजन होता है. और गुरु की इलाही वाणी का गायन किया जाता है. यहां दूर-दूर से संगत गुरु ग्रंथ साहिब को नतमस्तक होने के लिए आते है. उसके बाद गुरु ग्रंथ साहिब की हजूरी में ही रखी हुई पवित्र अखंड ज्योति जो कि 1955 से लगातार जल रही है. संगत यहां ज्योति के दर्शन करने के बाद संगत नतमस्तक होते है. अखंड ज्योति के प्रति संगत का अटूट विश्वास है. संगत ज्योति से घी को निकालकर अपने शरीर के हिस्सों पर लगाते हैं. संगत की आस्था है कि ऐसा करने से उनके दुख दर्द दूर होते हैं. 1983 में शरीर त्याग कर सचखंड वासी हो गए संत बाबा सुखदेव सिंह जी ने साल 1983 में बंडा क्षेत्र के गुरुद्वारा नानकपुरी साहिब में शरीर त्याग दिया और सचखंड वासी हो गए. नानकपुरी गुरुद्वारा साहिब में संत बाबा सुखदेव सिंह जी का समाधि स्थल भी है, यहां लोग आज भी जाकर नमन करते हैं. संत बाबा सुखदेव सिंह जी की खड़ाऊ और बर्तन आज भी कुटिया साहिब गुरुद्वारे में मौजूद हैं. यह वह बर्तन है जिसमें बाबा जी अपना भोजन तैयार किया करते थे. Tags: Dharma Aastha, Local18, Religion 18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 2, 2024, 21:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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