सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: आधुनिकता के इस दौर में फर्रुखाबाद के किसान पहले के मुकाबले काफी जागरूक हो गए हैं. किसान अब खेती में नए-नए प्रयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. वह पारंपरिक खेती के अलावा नगदी फसलों पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं. जिसके कारण कमाई के रास्ते भी खुल गए हैं. ऐसे समय में यहां के किसान अब मिश्रित खेती के जरिए मोटी कमाई भी कर रहे हैं. मिश्रित खेती से उनको कम लागत में अच्छी खासी कमाई हो रही है.
कमालगंज के भटपुरा गांव के निवासी किसान वीर पाल सिंह बताते हैं कि वह बचपन से ही मिश्रित खेती करते आ रहे हैं. जिससे उन्हें तगड़ी कमाई होती है. वहीं किसान का यहां तक कहना है कि इस फसल से उन्हें आज तक नुकसान नहीं हुआ. आमतौर पर प्रति बीघा चार से पांच हजार रुपए की लागत आती है. वहीं एक बार फसल तैयार होने के बाद वह सब्जियों की चार माह तक बिक्री करते हैं.
हरी सब्जियों की है बाजार में तगड़ी डिमांड
किसान ने बताया कि वह दस सालों से लगातार खेती कर रहे हैं. उनके पास खेती के लिए थोड़ी सी ही भूमि है. ऐसे में वह उसी भूमि में मिश्रित खेती करते हैं. जिससे उन्हें एक बीघा में पचास से साठ हजार रूपए का मुनाफा हो जाता है. वहीं भिंडी की फसल को उगाने में लगभग दो हजार रुपए की लागत आ जाती है. लेकिन एक बार जब खेत से फसल निकलनी शुरू होती है तो फिर मंडी में डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे समय में उनकी भिंडी मंडी में हाथों हाथ बिक जाती है. भिंडी की इस समय चालीस रुपए प्रति किलो की दर से बिक्री हो रही है.
मिश्रित खेती का तरीका
किसान बताते हैं कि वह अपने खेतों में सबसे पहले भिंडी के बीजों की बुआई करते हैं. इसके बाद उसमें शलजम और चुकंदर के बीजों को बो देते हैं. इसके बाद की क्यारियों में धनिया की बुवाई करते हैं. समय अवधि के बाद जब भिंडी की फसल तैयार होती है, तो नीचे से अन्य फसलें भी तैयार होने लगती हैं. ऐसे में एक समय में ही पांच फसल से हजारों रुपए की कमाई करते हैं.
क्या है खेती का तरीका
किसान ने बताया कि वह सबसे पहले खेत को अच्छे से समतल करके इसमें क्यारियां बनाकर पहले से तैयार की गई जगह पर भिंडी के बीजों को बो देते हैं. समय से इसमें सिंचाई करते हैं. इसके बाद जब पौधे बड़े होने लगते हैं, तो इनसे भिंडी निकलने लगती है. जिसे मंडी में बिक्री कर देते हैं. इसके बाद जब पौधों से पूरी फसल निकल जाती है. तो इसके पौधे को खेत में ही हरी खाद के रूप के प्रयोग किया जाता है. यह फसल चार माह तक लगातार उत्पादन देती रहती है. वहीं इसमें गोबर से तैयार जैविक खाद का प्रयोग करते हैं.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 13:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed