इस बार संसद में कौन शांत कराए सांसदों का हंगामा स्पीकर के नाम पर पेंच

इस बार संसद में कौन शांत कराए सांसदों का हंगामा स्पीकर के नाम पर पेंच
9 जून को शपथ ग्रहण के बाद से मोदी सरकार 3.0 काम में जुट गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावों से पहले ही कहा था कि वे चुनाव में उतरने से पहले 100 दिन के कामकाज का एजेंडा तय करके आए हैं. अब जब केंद्र में फिर से एनडीए की सरकार का गठन हो चुका है तो सरकार ने 100 दिन के एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि नई सरकार के कामकाज के लिए 18 जून से संसद का ग्रीष्मकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है. इस सत्र में जहां सांसदों को शपथ ग्रहण कराई जाएगी, वहीं लोकसभा के नए अध्यक्ष का चुनाव भी होना है. इस बार लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए ओम बिरला का नाम तो शीर्ष पर चल ही रहा है, साथ ही कुछ लोग आंध्र प्रदेश से बीजेपी अध्यक्ष दुग्गुबती पुरंदेश्वरी को भी यह जिम्मेदारी मिलने का दावा कर रहे हैं. कुछ लोग तो स्पीकर का पद टीडीपी या जेडीयू के खाते में जाने की बात कह रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी सांसद ओम बिरला को फिर से लोकसभा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिल सकती है. क्योंकि उन्होंने नरेंद्र मोदी के नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. पहले चर्चा थी कि ओम बिरला को इस बार मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि, कुछ लोग नए नामों पर भी चर्चा कर रहे हैं. उनका तर्क है कि इस बार मोदी सरकार को पूर्ण बहुमत तो मिला है, लेकिन मजबूत बहुमत नहीं मिला है. सरकार बनाने के लिए बीजेपी को अपने सहयोगी विशेषकर तेलुगु देशम् पार्टी- टीडीपी के एन. चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और जनता दल यूनाइटेड- जेडीयू के नीतीश कुमार के साथ कई बार चर्चा करनी पड़ी. राजनीति के जानकार दावा करते हैं कि टीडीपी और जेडीयू इस चुनाव में किंगमेकर के रूप में उभरे हैं, इसलिए बड़े पदों पर इनकी नजर बनी हुई है, जिसमें में एक लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी भी है. संविधान के अनुसार, नई लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले अध्यक्ष का पद खाली हो जाता है. राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रोटेम स्पीकर नए सांसदों को पद की शपथ दिलाता है. इसके बाद, लोकसभा अध्यक्ष को बहुमत से चुना जाता है. हालांकि लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने के लिए कोई विशिष्ट मानदंड नहीं है. पिछली दो लोकसभाओं में भाजपा को बहुमत प्राप्त था. इसलिए बीजेपी के कोटे से सुमित्रा महाजन (2014) और ओम बिड़ला (2019) अध्यक्ष बने. इस बार इस कुर्सी पर कोई और बाजी मार सकता है. एन. चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार राजनीतिक दिग्गज हैं और स्पीकर का पद पर नजर लगाए बैठे हैं. लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर क्यों है नजर पिछले कुछ वर्षों में, सत्तारूढ़ दलों के भीतर विद्रोह के कई मामले सामने आए हैं, जिसके कारण विभाजन हुआ और सरकारें भी गिरीं. ऐसे मामलों में दल-बदल विरोधी कानून लागू होता है और यह कानून, सदन के अध्यक्ष को बहुत शक्तिशाली स्थिति देता है. कानून में कहा गया है, “सदन के सभापति या अध्यक्ष के पास दलबदल के आधार पर सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित मामलों पर निर्णय लेने की पूर्ण शक्ति है.” दरअसल, नीतीश कुमार पहले भी बीजेपी पर उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगा चुके हैं. इसलिए, किंगमेकर बगावत की स्थिति में नहीं आना चाहते और ऐसी किसी भी रणनीति के खिलाफ ढाल के तौर पर स्पीकर का पद चाहते हैं. आखिर ओम बिरला ही क्यों ओम बिरला राजस्थान की कोटा लोकसभा सीट से फिर से सांसद चुने गए हैं. उन्होंने कुल मतदान का 50 फीसदी यानी 7,50,496 वोट मिले. उन्होंने कांग्रेस के प्रह्लाद गुंजल को हराया. कांग्रेस उम्मीदवार को 7,08,522 वोट मिले. तीसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी के धनराज यादव रहे. ओम बिरला ने इस सीट से लगातार तीसरी बार जीत हासिल की है. वे कोटा दक्षिण से तीन बार विधायक रह चुके हैं. अपन साफ और मिलनसार छवि के कारण ओम बिरला सभी दलों में पसंद किए जाते हैं. ओम बिरला ने बनाया रिकॉर्ड बीजेपी नेता ओम बिरला पिछले दो दशकों के दौरान ऐसे लोकसभा स्पीकर हैं जिन्होंने फिर से लोकसभा का चुनाव जीता है. ओम बिरला से पहले पीए संगमा ऐसे स्पीकर थे जो फिर से सांसद चुने गए थे. नहीं तो जो भी व्यक्ति लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा, वह फिर से जीतकर संसद नहीं पहुंचा. पीए संगमा 1996 से 1998 के दौरान 11वीं लोकसभा के स्पीकर थे. 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में संगमा फिर से मेघालय की तुरा सीट से सांसद चुने गए. पीए संगमा के बाद 1999 में तेलुगु देशम् पार्टी – टीडीपी के सांसद जीएमसी बालयोगी लोकसभा अध्यक्ष चुने गए थे. लेकिन 2002 में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई. बालयोगी के बाद शिवसेना के मनोहर जोशी लोकसभा स्पीकर बने. लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में जोशी मुंबई उत्तर-मध्य सीट से कांग्रेस के एकनाथ गायकवाड़ से चुनाव हार गए. 2004 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष चुने गए. लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पार्टी में मतभेद होने के चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति से संन्यास ले लिया. 2009 में कांग्रेसी सांसद मीरा कुमार 15वीं लोकसभा की अध्यक्ष चुनी गईं. लेकिन 2014 का चुनाव वह हार गईं. मीरा कुमार के बाद इंदौर से बीजेपी सांसद सुमित्रा महाजन स्पीकर बनीं. लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सुमित्रा ताई को मैदान में नहीं उतारा और कोटा से बीजेपी सांसद ओम बिरला को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली. 5 साल सफल कार्यकाल के बाद 2024 के चुनाव में ओम बिरला ने फिर से कोटा सीट पर जीत दर्ज की है. Tags: Lok Sabha Speaker, Modi government, Om BirlaFIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 15:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed