स्कूल में मिला था रिजेक्शन IAS बनते ही बदली जिंदगी पैरालंपिक में मिला मेडल

Suhas LY IAS: सुहास एलवाई देश के सबसे काबिल अफसरों में से एक हैं. अब उनकी चर्चा विदेशों में भी हो रही है. उन्होंने पैरालंपिक 2024 के पैराबैडमिंटन मेंस सिंगल एसएल 4 मैच में सिल्वर मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया है. ऑफिस के कामों से लेकर खेल के मैदान तक, सुहास एलवाई हमेशा फ्रंट फुट पर खेलना पसंद करते हैं और यह उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है.

स्कूल में मिला था रिजेक्शन IAS बनते ही बदली जिंदगी पैरालंपिक में मिला मेडल
नई दिल्ली (Suhas LY IAS). नोएडा के पूर्व डीएम सुहास एलवाई एक बार चर्चा में हैं. सरकारी महकमों की तरह वह खेल के मैदानों पर भी अपनी धाक जमा पाने में सफल साबित हो गए हैं. उत्तर प्रदेश कैडर के 2007 बैच के अधिकारी सुहास एलवाई ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में टोक्यो का प्रदर्शन दोहराया है. उन्होंने पुरुष एकल एसएल4 स्पर्धा में रजत पदक यानी सिल्वर मेडल जीता है. आईएएस सुहास एलवाई पैरालंपिक में लगातार दो पदक जीतने वाले भारत के पहले बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए हैं. सुहास एलवाई (Suhas Lalinakere Yathiraj) पैरालंपिक मेडल और अर्जुन पुरस्कार जीतने वाले भारत के एकमात्र आईएएस अधिकारी हैं. जब सुहास आजमगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्यरत थे, तब उन्होंने 2016 एशियाई पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप फाइनल में इंडोनेशिया के हैरी सुसांतो को हराकर गोल्ड मेडल जीता था. लेकिन सुहास एलवाई के लिए इस मंजिल तक पहुंच पाना आसान नहीं था. उनका सफर कई तरह की कठिनाइयों से भरा हुआ था. जानिए आईएएस सुहास एलवाई की स्ट्रगल स्टोरी. इंजीनियर से बने आईएएस अफसर आईएएस सुहास एलवाई का जन्म कर्नाटक के शिमोगा में हुआ था. पैदा होने के साथ ही उनके पैर में दिक्कत रही है. सुहास बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार रहे हैं. उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सुरथकल (NIT Surathkal) से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है. सुहास एलवाई 2023 से युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग (Youth Welfare and Prantiya Rakshak Dal) के सचिव एवं महानिदेशक हैं. वह किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं हैं. यह भी पढ़ें- कमाल है पति-पत्नी की जोड़ी! DM ने खेला बैडमिंटन, ADM ने रैम्प पर बिखेरा जलवा स्कूल में नहीं मिल पा रहा था एडमिशन आईएएस सुहास एलवाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात में अपने बचपन की दास्तां सुनाई थी. उन्होंने बताया था कि बचपन में वह दूरदर्शन पर ‘हम होंगे कामयाब देखते थे..’ और उससे उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आया है. गांव में जब उनकी प्राइमरी एजुकेशन शुरू हो रही थी, तब 3 बार स्कूल वालों ने उन्हें एडमिशन देने से मना कर दिया था. तब उनके स्वर्गीय पिताजी कहा करते थे- स्कूल में अभी सीट नहीं मिली तो कोई बात नहीं, कभी ना कभी तुम जिंदगी में कुछ बड़ा करके दिखाना. पूरा किया पापा का सपना आईएएस सुहास एलवाई खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि पिता की प्रेरणा से वह जिंदगी में इतना कुछ कर पाए. पैरालंपिक 2024 तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है. इसके साथ ही उन्हें पर्सनल लाइफ में काफी कुछ सैक्रिफाइस भी करना पड़ा. उन्होंने अपनी निजी जिंदगी का बड़ा हिस्सा स्पोर्ट्स को समर्पित कर दिया है. वह बैडमिंटन के शानदार खिलाड़ी हैं और हर मैच में इस बात को साबित भी करते हैं. सुहास ने बीटेक के बाद सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. यह भी पढ़ें- MBBS सिलेबस में बड़ा बदलाव, मेडिकल कॉलेज में पढ़ाएंगे डॉक्टरी का नया पाठ आईएएस के तौर पर हैं चर्चित सुहास एलवाई ने 2007 में हुई यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में 382वीं रैंक हासिल की थी. इससे उनका चयन IAS के लिए हो गया था. वह उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जिला मजिस्ट्रेट के तौर पर काम कर चुके हैं. कोरोना काल में योगी सरकार ने उन्हें गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा की कमान सौंपी थी. नोएडा के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने न सिर्फ अपनी हर जिम्मेदारी बखूबी निभाई, बल्कि पब्लिक के पसंदीदा अफसर भी बन गए थे. यह भी पढ़ें- 100 रुपये के लिए किया संघर्ष, पहले PCS और फिर बनीं मिसेज इंडिया मॉडल और अफसर हैं वाइफ आईएएस सुहास एलवाई की तरह उनकी पत्नी ऋतु सुहास ने भी जिंदगी में काफी संघर्ष किया है. ऋतु सुहास पीसीएस अधिकारी हैं और गाजियाबाद में एडीएम (प्रशासन) के पद पर कार्यरत हैं. इस जोड़े के दो बच्चे हैं. जिस तरह से सुहास खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और समय-समय पर अपनी काबिलियत दर्शाते रहते हैं, उसी तरह उनकी पत्नी ऋतु सुहास अफसरी के साथ मॉडलिंग के क्षेत्र में भी काफी एक्टिव हैं. रैंप वॉक के उनके वीडियो अक्सर वायरल होते रहते हैं. Tags: IAS Officer, Paralympic Games, Success Story, Upsc examFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 09:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed