बांग्लादेश को लेकर भारत का अगला रुख क्या होगा जानिए जामिया के प्रोफेसर की राय
बांग्लादेश को लेकर भारत का अगला रुख क्या होगा जानिए जामिया के प्रोफेसर की राय
केंद्र सरकार ने बांग्लादेश के ताजा राजनीतिक हालात पर आज सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों को वहां की स्थिति से अवगत कराया है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अब भारत को आगे क्या करना चाहिए? क्या भारत को आगे बढ़कर मध्यस्थता की भूमिका निभाना चाहिए या फिर पश्चिमी देशों के कदम का इंतजार करना चाहिए?
नई दिल्ली. बांग्लादेश में हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के हालात पर दुनिया की नजर है. पड़ोसी देश होने के नाते भारत पर भी इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है. केंद्र सरकार ने भी बांग्लादेश के ताजा राजनीतिक हालात पर आज सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों को वहां की स्थिति से अवगत कराया है. इस मीटिंग में पीएम मोदी के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित विपक्षी दलों के तमाम नेताओं ने भाग लाग लिया. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अब भारत को आगे क्या करना चाहिए? क्या भारत को आगे बढ़कर मध्यस्थता की भूमिका निभाना चाहिए या फिर पश्चिमी देशों के कदम का इंतजार करना चाहिए? जेएनयू और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के एकेडमी ऑफ इंटरनेशल स्टडीज के जानकारों ने इस मुद्दे पर अपनी अहम राय दी है.
जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के एकेडमी ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के प्रोफेसर मोहम्मद सोहराव कहते हैं, ‘देखिए बांग्लादेश में जो स्थिति बनी है वह पूरी तरह से आंतरिक है. शेख हसीने के गवर्नेंस को लेकर वहां पिछले कई सालों से सवाल उठ रहे थे. विपक्षी पार्टियां चुनाव में भाग नहीं ले रही थी. शेख हसीना सरकार के कई पॉलिसी का विरोध शुरू हो रहा था. बहरहाल जो भी हो भारत भी चाहता है कि बांग्लादेश में में शांति रहे. बांग्लादेश के तेज विकास के लिए शांति कायम होना जरूरी है. मेरी समझ से भारत को किसी पार्टी या नेता से हमदर्दी न रखकर बांग्लादेश के विकास में खड़े होना चाहिए. यही भारत के लिए ठीक रहेगा. बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के साथ भी भारत के रिश्ते अच्छे रहे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि बांग्लादेश में जो भी सरकार बनेगी वह भारत के साथ अच्छे संबंध ही रखना चाहेगी.’
क्या होगा भारत का अगला कदम?
प्रोफेसर सोहराव कहते हैं, ‘देखिए शेख हसीना सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के साथ अच्छा वर्ताव नहीं किया. मैं आपको बता दूं कि पड़ोसी देश खासकर म्यांमार, भारत के साथ भी उनका रिश्ता कभी विश्वास करने लायक नहीं रहा. शेख हसीना के मन में था कि आर्मी के दम पर वह काबू पा लेंगे. लेकिन, जब आर्मी ने साथ नहीं दिया तो उनको देश छोड़ना पड़ा. शेख हसीना के क्लोज रिलेटिव हैं आर्मी चीफ. मुझे जानकारी मिली है कि बहुत कम ही दिनों में उनको प्रमोट कर आर्मी चीफ बना दिया. लेकिन, वही अब सरकार के खिलाफ हो गए. नतीजा आपके सामने है. मुझे लगता है कि इंडिया को एक्टिव रोल प्ले करना चाहिए. भारत को एग्रेसिव रोल अदा करना चाहिए. भारत को चाहिए कि बांग्लादेश में पोलिटिकल नेरेटिव सेट न कर सेट करने वालों को मदद करनी चाहिए. मेरी समझ से वहां जो भी सरकार बनेगी भारत के साथ रिश्ते अच्छे ही रहेंगे.’
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जेएनयू के प्रोफेसर संजय के भारद्वाज कहते हैं, देखिए हाल के कुछ सालों में बांग्लादेश में भ्रष्टाचार बढ़ गए थे. पिछले दो चुनावों से लोगों की भागीदारी बहुत कम थी. 40 प्रतिशत लोग ही चुनाव में भागीदारी कर रहे थे. विपक्षी पार्टियों ने नतीजों को मैनेज करने का आरोप लगाया. लोकल चुनावों में बहुत गड़बड़ियां पाई गईं. लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव होने के बजाए परिवारवाद का बोलबाला रहा. राजनीति में भाई-भतीजाबाद की शिकायत बड़े पैमाने पर उठने लगे थे. शेख हसीना ने इस पर ध्यान नहीं दिया. रोजगार और शिक्षण संस्थानों में भ्रष्टाचारियों का बोलबाला था. इन तमाम समस्याओं ने मिलकर बड़ी घटना को अंजाम दे दिया. नौबत यह आ गई कि प्रधानमंत्री को हटने के लिए मजबूर कर दिया गया.’
क्या भारत को मध्यस्थता करनी चाहिए?
भारद्वाज आगे कहते हैं, देखिए भारत को अभी बांग्लादेश की स्थिति पर नजर रखनी चाहिए. मेरी समझ से बांग्लादेश में जिस नेता या समूह को पश्चिमी देशों का समर्थन होगा, उसके पक्ष में भारत खड़ा हो जाएगा. भारत यही उम्मीद करेगा कि बांग्लादेश में जल्दी शांति और स्थिरता कायम हो. क्योंकि भारत के हजारों-लाखों करोड़ रुपये के कई प्रोजेक्ट बांग्लादेश में चल रहे हैं. ऐसे में भारत सरकार को वहां की स्थिति पर पैनी नजर रखनी ही चाहिए साथ ही जरूरत के मुताबिक कदम भी उठाने चाहिए.’
कुलमिलाकर बांग्लादेश में बदलाव के बिगुल बजने से भारत भी सतर्क हो गया है. बांग्लादेश में छात्रों की नाराजगी ने शेख हसीना सरकार को पलट दिया. ऐसे भारत सहित कई पड़ोसी देशों की भलाई इसी में है कि बांग्लादेश में जल्द शांति स्थापित हो और वहां एक स्थिर सरकार बने. हालांकि, जो ताजा हालात बन रहे हैं वह लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है.
Tags: Bangladesh news, Foreign policy, PM Modi in BangladeshFIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 13:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed