250 साल पुराना है यह स्वंभू शिवलिंग चमत्कार को देख राजा हो गया था हैरान
250 साल पुराना है यह स्वंभू शिवलिंग चमत्कार को देख राजा हो गया था हैरान
रहवां गांव में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर का शिव लिंग स्वयंभू है. सावन माह में यहां पर रायबरेली जनपद समेत आस पास के जनपदों से भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं.
सौरभ वर्मा/रायबरेली: हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव का अति प्रिय माह माना जाता है. भगवान शिव के भक्तों के लिए यह महीना अति विशेष महत्व रखता है. इस महीने में शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जो शिवलिंग पर जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक व बेलपत्र अर्पित करके भगवान शिव की आराधना करते हैं. सावन का महीना बारिश के मौसम से जुड़ा होता है. जो इसे और भी पवित्र व भक्तिमय बना देता है. इसी कड़ी में रायबरेली जिले में जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर हरचंदपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत रहवां गांव में स्थित एक ऐसा शिव मंदिर है, जो लगभग ढाई सौ वर्ष पुराना है. यह मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है.
स्वयं भू है शिवलिंग
रहवां गांव में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर का शिव लिंग स्वयंभू है. सावन माह में यहां पर रायबरेली जनपद समेत आस पास के जनपदों से भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं.
ढाई सौ वर्ष पुराना है यह मंदिर
लोकल 18 से बात करते हुए मंदिर के मुख्य पुजारी गंगाराम गिरी बताते हैं कि यह मंदिर लगभग ढाई सौ वर्ष पुराना है. हमारे पूर्वज बताया करते थे कि यहां पर पहले विशालकाय जंगल हुआ करता था. जहां पर रहवां स्टेट के राजा जगन्नाथ बक्स सिंह की गायों को लेकर चरवाहे जंगल चराने के लिए आया करते थे. चरवाहे जब गाय यहां से वापस लेकर गौशाला जाते थे .तो उनमें से एक गाय दूध नहीं देती थी. कई दिनों तक यही चलता रहा. लेकिन किसी को कुछ पता ना चल सका. फिर चरवाहे ने एक दिन गाय का पीछा किया. तो देखा की गाय जंगल के बीच में आकर खड़ी हो जाती है और अपना दूध एक काले पत्थर पर चढ़ा देती है. यह देखकर चरवाहा अचंभित हो गया .उसने पूरी बात राजा जगन्नाथ बक्स सिंह को बताई तो उन्होंने अपनी सेना को आदेश देकर जंगल की सफाई शुरू करा दी .इसी दौरान उन्हें शिवलिंग दिखाई दिया. तो राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि शिवलिंग की खुदाई कर वह अपने महल के परिसर में इस शिवलिंग को स्थापित करेंगे. परंतु सैनिक शिवलिंग की जितनी खुदाई करते शिवलिंग उतना बढ़ता ही चला जाता था. यह जानकारी जैसे ही राजा को हुई तो उन्होंने जंगल पहुंचकर शिवलिंग पर माथा टेका और यहीं पर मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया. तब से लेकर आज तक यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
लोगों की आस्था का है प्रमुख केंद्र
भगवान अचलेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए अपने परिवार के साथ आए रायबरेली के रहने वाले अर्चित स्वास्थ्य बताते हैं कि वह बचपन से ही इस मंदिर पर दर्शन के लिए आते रहे हैं. यह लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. खास कर सावन माह में यहां पर दर्शन करने से भगवान भोलेनाथ सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं.
Tags: Hindi news, Local18, Religion 18, Sawan MonthFIRST PUBLISHED : July 28, 2024, 16:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed