ओवैसी जैसे कई नेताओं के पास है Waqf की करोड़ों की प्रॉपर्टीइस शख्स का दावा

वक्फ संशोधन बिल 2024 का वो लोग विरोध कर रहे हैं, जिनके पास वक्फ की प्रॉपर्टी पर सालों से कब्जा है. वक्फ एक्ट कहता है कि कोई भी व्यक्ति 30 सालों से ज्यादा वक्फ की दौलत लीज पर नहीं ले सकता है. लेकिन, इसका पालन कहां हो रहा है? तेलांगना में वक्फ की 3 हजार करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी पर ओवैसी ब्रदर्स का कब्जा है- वक्फ फोरम के चेयरमैन जावेद अहमद

ओवैसी जैसे कई नेताओं के पास है Waqf की करोड़ों की प्रॉपर्टीइस शख्स का दावा
नई दिल्ली. लोकसभा में गुरुवार को वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश कर दिया गया है. केंद्र सरकार का दावा है कि इससे पारदर्शिता आएगी. केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि सच्चर कमेटी ने भी कहा था कि वक्फ बोर्ड में ट्रांसपेरेंसी होनी चाहिए. हालांकि, कांग्रेस, AIMIM, सपा सहित 9 विपक्षी पार्टियों ने इस बिल का विरोध किया है. इन पार्टियों का कहना है कि मोदी सरकार इस संसोधन के जरिए मुस्लिमों के धार्मिक आजादी के साथ छेड़छाड़ कर रही है. लेकिन, वक्फ फोरम के चेयरमैन जावेद अहमद जैसे मुस्लिम विचारकों ने सरकार को धन्यवाद दिया है. लेकिन, कुछ बिंदुओं पर ऐतराज भी है. वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 में कुल 44 एमेनमेंट हैं, जिसमें 63 एडिशन हैं. केंद्र सरकार सभी वक्फ बोर्ड में महिलाओं की दावेदारी इस बिल के जरिए बढ़ाने जा रही है. हर बोर्ड और काउंसिल में 2-2 महिला सदस्य हो सकती हैं. साथ ही जिले के जिलाधिकारियों के पास संपत्ति का मूल्यांकन के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. देश में 30 वक्फ बोर्ड की 8 लाख एकड़ से ज्यादा की संपत्ति है. रेलवे और सेना के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा जमीन है. वक्फ की जमीन पर अब अवैध कब्जा नहीं होगा वक्फ वेलफेयर फोरम के चेयरमैन जावेद अहमद न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, देखिए सरकार जो यह बिल लेकर आई है और ज्वाइंट पार्लियामेंट कमिटी को रेफर हो गया है. इस बिल में टेक्निकल आधार पर और वक्फ की जो मूल भावना धर्मार्थ है, उसके मूल उद्देश्य से सरकार ने डायवर्ट कर दिया है. वक्फ की तमाम जमीनें दान की गई हैं और ये प्राइवेट कम्युनिटी यानी मुस्लिम वर्ग से संबंध रखता है. इसमें 44 एमेनमेंट हैं, जिसमें 63 एडिशन हैं. सरकार ने इतना परिवर्तन कर दिया है कि बिल लाने का मूल उद्देश्य ही खत्म हो गया है.’ जावेद कहते हैं, ‘मैं मानता हूं कि सरकार की मंशा स्मार्ट और बेहतर लेखा-जोखा का रहा होगा. लेकिन, उसका राजनीतिक और सामाजिक उद्देश्य अब बदल जाएगा. उस पर सरकार ने हथौड़ा चला दिया है. जो पावर पहले वक्फ बोर्ड के पास था वे सारे पावर अब जिला कलेक्टर को दे दिए गए हैं. इसमें यह होगा कि अगर वक्फ की संपत्ति इस्तेमाल में हो रही है और वक्फ राजस्व विभाग में उसका मलिकाना साबित नहीं करेगा तो वह संपत्ति अब वक्फ के पास नहीं रहेगी.’ वक्फ फोरम के चेयरमैन जावेद अहमद का बड़ा बयान जावेद कहते हैं, ‘देखिए पहले मुझे लगता था कि अगर यह बिल संसद से पास हो जाता है तो मुस्लिम माइनोरिटी को काफी फायदा होगा. नए कानून के आने के बाद वक्फ के जमीन पर कोई अतिक्रमण नहीं कर सकता है. अभी तक डीएम उसे मानने के लिए बाध्य नहीं होते थे. जबकि, नए कानून में डीएम के पास पूरा पावर आ जाएगा. वक्फ की संपत्ति अल्लाह की संपत्ति होती है. लेकिन, हो क्या रहा है कि वक्फ की जमीन का रेफरेंस बदल कर अवैध कब्जा किया जा रहा है. लेकिन, सरकार ने अब इसे पूरी तरह से बदल दिया है.’ बिल का विरोध करने के सवाल जावेद कहते हैं. ‘देखिए बिल का वो लोग विरोध कर रहे हैं, जिनके पास वक्फ की प्रॉपर्टी पर सालों से कब्जा है. वक्फ एक्ट कहता है कि कोई भी व्यक्ति 30 सालों से ज्यादा वक्फ की दौलत लीज पर नहीं ले सकता है. लेकिन, इसका पालन कहां हो रहा है? तेलांगना में वक्फ की 3 हजार करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी पर ओवैसी ब्रदर्स का कब्जा है. क्यों नहीं वह प्रॉपर्टी छोड़ रहे हैं? इसी तरह दिल्ली में जमात ए उलेमा हिंद के पास वक्फ की काफी सारी प्रॉपर्टी है. इसका फायदा न बोर्ड को हो रहा है और न मुस्लिमों को.’ मन है कि मानता नहीं! बजट में लाखों करोड़ का पैकेज लेने के बाद नीतीश कुमार ने PM मोदी से कर दी नई डिमांड जावेद कहते हैं, ‘महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष काजी समीर ने वक्फ की 275 एकड़ जमीन सालों से अतिक्रमण कर रखा है. इस तरह के कई नेता और संस्थान होंगे, जो वक्फ की प्रॉपर्टी को अपना लिया है. इस बिल के जरिए अब इसमें पारदर्शिता आएगी. लेकिन, सरकार ने तो वक्फ की जमीन जो धर्मार्थ के लिए उपयोग में होना चाहिए,उस पर नकेल कस दिया है. बताइए हिंदू मठ-मंदिरों के ट्रस्ट में क्या कोई मुस्लिम सदस्य हो सकता है? ईसाई मिशिनरी में क्या कोई मुस्लिम मेंबर बन सकता है? लेकिन, इस संसद में पेश हुए बिल में मुस्लिमों के धर्मार्थ संस्था में कोई भी वर्ग मेंबर बन जाएगा. आपको बता दें कि दो दिन पहले तक जावेद अहमद जैसे कई मुस्लिम विचारक इस बिल का समर्थन कर रहे थे, लेकिन संसद में बिल पेश होने के बाद उनको लगता है कि यह एक विशेष वर्ग को ध्यान में रखकर बिल लाया गया है.  गरुवार को सरकार ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक पेश कर दिया. जिसके बाद अध्यक्ष ने इस संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की अनुशंसा कर दी. अब आने वाले दिनों में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सभी दलों के नेताओं से बात करके संयुक्त संसदीय समिति का गठन करेंगे. Tags: Delhi Waqf Board, Modi government, Muslim religion, Waqf BoardFIRST PUBLISHED : August 9, 2024, 08:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed