विदेश जाना बच्चों में नई बीमारी VP जगदीप धनखड़ ने बढ़ते ट्रेंड पर जताया दुख
विदेश जाना बच्चों में नई बीमारी VP जगदीप धनखड़ ने बढ़ते ट्रेंड पर जताया दुख
Vice President Jagdeep Dhankhar: उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश में बच्चों के विदेश जाने की नई बीमारी लगी है. इसके कारण देश की विदेशी मुद्रा का बहुत नुकसान होता है और प्रतिभा का पलायन होता है.
नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि विदेश जाना देश के बच्चों में नई बीमारी है. उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि यह ‘विदेशी मुद्रा का और प्रतिभा का पलायन’ है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के व्यावसायीकरण से इसकी गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जो देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. राजस्थान के सीकर में एक निजी शिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित समारोह में बोलते हुए धनखड़ ने कहा कि ‘बच्चों में एक और नई बीमारी है- विदेश जाना. बच्चा उत्साह से विदेश जाना चाहता है, वह एक नया सपना देखता है; लेकिन यह आकलन नहीं होता कि वह किस संस्थान में जा रहा है, किस देश में जा रहा है.’
अनुमान है कि 2024 में लगभग 13 लाख छात्र विदेश गए. जगदीप धनखड़ ने कहा कि ‘उनके भविष्य का क्या होगा, इसका आकलन किया जा रहा है, लोग अब समझ रहे हैं कि अगर वे यहां पढ़ते तो उनका भविष्य कितना उज्ज्वल होता. उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस पलायन ने हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में 6 अरब डॉलर की कमी की. उपराष्ट्रपति ने उद्योग जगत के नेताओं से छात्रों को जागरूक करने और प्रतिभा पलायन तथा विदेशी मुद्रा की हानि को रोकने में मदद करने की अपील किया. उन्होंने आगे कहा कि ‘कल्पना कीजिए: अगर 6 अरब अमेरिकी डॉलर शैक्षणिक संस्थानों के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में लगाए जाएं, तो हम कहां खड़े होंगे!’
जगदीप धनखड़ ने कहा कि ‘मैं इसे विदेशी मुद्रा पलायन तथा प्रतिभा पलायन कहता हूं. ऐसा नहीं होना चाहिए. संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे अपने छात्रों को विदेशी स्थिति के बारे में जागरूक करें.’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का व्यवसाय में बदलना देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. उन्होंने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग की अपील करते हुए कहा कि ‘कुछ मामलों में, यह जबरन वसूली का रूप भी ले रहा है. यह चिंता का विषय है.’ उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी प्रशंसा की, जिसे उन्होंने गेम चेंजर कहा.
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उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प होना चाहिए कि जब भारत 2047 में विकसित राष्ट्र बने तब हम दुनिया की ‘सुपर नॉलेज पावर’ होने चाहिए.’ उपराष्ट्रपति ने व्यापार, उद्योग, वाणिज्य और व्यवसाय जगत में लोगों से अपील करते हुए उनसे संस्थानों के विकास में उदारतापूर्वक योगदान देने की बात कही. उन्होंने कहा कि ‘शिक्षा में निवेश हमारे भविष्य, आर्थिक उत्थान, शांति और स्थिरता में निवेश है.’
Tags: Education, Education news, Education Policy, Education system, Jagdeep DhankharFIRST PUBLISHED : October 19, 2024, 22:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed