नामांकन दाखिल करने के लिए PM काल भैरव की अनुमति क्यों लेंगे जानें मान्यता
नामांकन दाखिल करने के लिए PM काल भैरव की अनुमति क्यों लेंगे जानें मान्यता
वाराणसी में काल भैरव को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे शहर के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है. मंदिर अपने विशेष अनुष्ठानों और पूजाओं के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें "काल भैरव पूजा" भी शामिल है, जो आधी रात को की जाती है. आइये जानते हैं विस्तार से
बनारस : आज वाराणसी में काशी के कोतवाल हैं काल भैरव के दर्शन और उनकी अनुमति लेने के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नामांकन दाखिल करेंगे. PM मोदी के नामांकन में 11 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे. प्रधानमंत्री सुबह 9.50 बजे अस्सी घाट से निकलकर सुबह 10 बजे काल भैरव मंदिर पहुंचेंगे. लगभग 15 मिनट बाबा काल भैरव की पूजा करके पीएम नरेंद्र मोदी कलेक्ट्रेट के लिए सुबह 10.15 बजे निकलेंगे और काशी के कोतवाल के दर्शन, पूजन कर उनकी अनुमति लेंगे. नामांकन दाखिल करने के लिए पीएम मोदी काल भैरव की अनुमति क्यों लेंगे यह जानना थोड़ा जरूरी है.
काल भैरव शहर को बुरी ताकतों से बचाते हैं…
दरअसल, वाराणसी में काल भैरव मंदिर एक महत्वपूर्ण और पवित्र स्थान है, जो सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है. “काशी के कोतवाल काल भैरव” को काशी (वाराणसी) शहर का संरक्षक माना जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं में, काल भैरव को एक उग्र और शक्तिशाली देवता के रूप में दर्शाया गया है. ऐसा माना जाता है कि वह भगवान शिव के क्रोध का अवतार हैं और बुराई के विनाश से जुड़े हैं. कहा जाता है कि काशी के संरक्षक के रूप में, काल भैरव शहर को बुरी ताकतों से बचाते हैं और इसकी आध्यात्मिक शुद्धता बनाए रखते हैं. “काशी के कोतवाल काल भैरव” वाक्यांश का प्रयोग अक्सर उनके आशीर्वाद और सुरक्षा का आह्वान करने के लिए किया जाता है.
कब बनाया गया था मंदिर?
वाराणसी में काल भैरव को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे शहर के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है. काल भैरव मंदिर के निर्माण की सही तारीख ज्ञात नहीं है, लेकिन अनुमान है कि वर्तमान संरचना 17वीं शताब्दी के मध्य में बनाई गई थी. ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत के नायक पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान किया था.
आध्यात्मिक साधकों के लिए बेहद पवित्र स्थान है मंदिर
काल भैरव बुरी शक्तियों के विनाश से जुड़े हैं, जो उन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में एक शक्तिशाली देवता बनाता है. भक्त बुरी ताकतों से सुरक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हुए काल भैरव को प्रार्थना और प्रसाद चढ़ाते हैं. मंदिर को आध्यात्मिक साधकों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है, जो पूजा करने और देवता से आशीर्वाद लेने आते हैं. मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और काशी खंड सहित कई प्राचीन ग्रंथों में किया गया है.
अद्वितीय वास्तुकला है इस मंदिर की
इस मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है, जिसमें काल भैरव की आकर्षक काले पत्थर की मूर्ति है. मंदिर दिन के 24 घंटे खुला रहता है, पुजारी निरंतर पूजा और अनुष्ठान करते हैं. यह मंदिर प्रतिदिन हजारों लाखों भक्तों को आकर्षित करता है, जिससे यह भारत के सबसे व्यस्त मंदिरों में से एक है. मंदिर अपने विशेष अनुष्ठानों और पूजाओं के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें “काल भैरव पूजा” भी शामिल है, जो आधी रात को की जाती है.
धर्म की नगरी में भगवान भैरव के कितने रूप?
धर्म की नगरी वाराणसी में भगवान भैरव के आठ रूप हैं, जो शहर के रक्षक और न्यायकर्ता के रूप में कार्य करते हैं. ये रूप हैं: दण्डपाणी भैरव, क्षेत्रपाल भैरव, लाट भैरव.. जैसे किसी प्रशासनिक व्यवस्था में होता है, वैसे ही इन आठों भैरवों को सभी स्थलों से अर्जियां प्राप्त होती हैं, जिन्हें वे भगवान विश्वनाथ तक पहुंचाते हैं. यहां, न्याय का फैसला भगवान विश्वनाथ नहीं, बल्कि भैरव ही करते हैं. काशी आने वाला कोई भी अधिकारी पहले भैरव का दर्शन करता है.
पीएम से लेकर हर कोई दरबार में लगाता है हाजिरी
यहां तक कि जब प्रधानमंत्री किसी शुभ कार्य के लिए काशी आते हैं, तो वे भी भैरव का आशीर्वाद लेते हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जब बनारस आते हैं, तो पहले भैरव का आशीर्वाद लेते हैं और फिर भगवान विश्वनाथ जाते हैं. लिहाजा, वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने और जीत के बाद इसकी जिम्मेदारी संभालने के मद्देनजर पीएम नरेंद्र मोदी पहले काल भैरव से अनुमति ले रहे हैं. यहां तक की बनारस में हर नियुक्ति पर प्रत्येक अधिकारी चाहे वह पुलिस विभाग से हो या किसी भी अन्य प्रशासनिक विभाग से, चार्ज ग्रहण करने से पहले बाबा काल भैरव के दर्शन, बाबा विश्वनाथ के दर्शन और संकट मोचन में दर्शन करने के बाद ही ग्रहण करते है. यह दर्शाता है कि भैरव काशी के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं.
Tags: Loksabha, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Narendra modi, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 11:10 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed