तीसरी बार भी PM ने काशी को ही क्यों चुना कौन सी बात है जो सिर्फ BJP समझती है
तीसरी बार भी PM ने काशी को ही क्यों चुना कौन सी बात है जो सिर्फ BJP समझती है
साल 2009 के लोकसभा चुनावों में वाराणसी सीट देश की वीवीआईपी सीटों में शामिल हो गई, जब बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी ने बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मुख़्तार अंसारी को हरा दिया था.
वाराणसी : वो काशी… जो सत्ता की धुरी बन गई. वो काशी… जो देश की सियासत में हॉट सीट बन गई. वो काशी… जो PM मोदी के लिए लकी सीट बन गई. महादेव की नगरी काशी सियासत की दिशा तय करती है. 2014 का चुनाव देखिए, 2019 का चुनाव देखिए और अब 2024 का. PM जब-जब चुनावी समर में काशी की ओर कूच करते हैं, सियासत की हवाएं एकदम बदल जाती हैं. क्या है वाराणसी का सियासी प्रभाव आपको बताते हैं.
दिल्ली की सियासत का रास्ता यूपी से होकर गुज़रता है और उसी यूपी के पूरब में है महादेव शिव की नगरी काशी. वो VVIP सीट, जो पूरब की पॉलिटिक्स का ऐपिसेंटर मानी जाती है. यानी जो काशी ने तय कर दिया, वो समझिए हो गया. कभी कांग्रेस को सत्ता के मुकाम तक पहुंचाने वाला शहर वाराणसी आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे लकी सीट बन चुकी है. वो लगातार तीसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और एक बार फिर पीएम के रोड शो ने पूरब की सियासी फिजाओं को बदल दिया है.
1991 से 2019 के चुनावों तक बीजेपी इस सीट पर 7 बार चुनाव जीत चुकी है. इस दौरान सिर्फ़ 2004 में कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की थी. तब 15 साल बाद कांग्रेस ने वापसी की थी.
साल 2009 के लोकसभा चुनावों में वाराणसी सीट देश की वीवीआईपी सीटों में शामिल हो गई, जब बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी ने बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मुख़्तार अंसारी को हरा दिया था.
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काशी का गणित बताता है कि यहां हिंदुओं की आबादी 75 फ़ीसदी है. 20% मुस्लिम हैं. 5% सभी अन्य धर्म के मानने वाले हैं. इस लोकसभा सीट की 65% आबादी शहरी है और 35% ग्रामीण, जिसमें अनुसूचित जाति का 10 फ़ीसदी है. जनजातियों का भी प्रतिशत लगभग 0.7 है.
यानी काशी हिंदुत्व का ऐसा गढ़ रही है. जहां की धमक का असर पूर्वांचल की कई सीटों पर होता है. मिर्जापुर, चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर जैसी सीटों पर वाराणसी का रियेक्शन साफ़ दिखता है. यानी काशी से दिया गया संदेश एक वोटर्स की एक मास ब्रिगेड तैयार करता है, यानी ऐसी ब्रिगेड जो लहर के साथ चलती है.
2014 के चुनावों से लेकर 2019 के आम चुनावों में काशी ने ही ये तस्वीर भी साफ़ की कि बीजेपी के लिए जीत का मार्जिन कितना बड़ा होने वाला है, लेकिन सवाल ये भी है कि आखिर तीसरी बार भी पीएम मोदी ने वाराणसी को ही क्यों चुना?
इसे भी समझते हैं. बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश जैसे हिंदी भाषी राज्यों के लिए काशी हिंदू हार्टलैंड से कम नहीं है. यहां के लोगों की काशी में अगाध आस्था है. सनातन धर्म के प्रवाह का त्रिकोण अयोध्या, प्रयाग और काशी को ही माना जाता है. यानी काशी से दिया गया संदेश पूरब का सबसे बड़ा जनादेश बनता है और बीजेपी इसे बहुत अच्छी तरह से समझती है.
Tags: Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Narendra modi, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 14:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed