गंगा किनारे टूटा सालों का रिकॉर्ड वैज्ञानिकों के होश उड़े कहा- यकीन कैसे हो

Varanasi News : वाराणसी में इस बार कई सालों का रिकॉर्ड टूटता साफ नजर आ रहा है. यहां की लाइफ लाइन मां गंगा अपने किनारों को छोड़ चुकी हैं. किनारों और घाटों पर रेत जमा हो चुकी है. इसको लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है. आइए जानते हैं क्‍या है यह पूरा मामला.

गंगा किनारे टूटा सालों का रिकॉर्ड वैज्ञानिकों के होश उड़े कहा- यकीन कैसे हो
वाराणसी. इस बार की भीषण गर्मी से वाराणसी में गंगा की सेहत काफी खराब है. पिछले साल जून के मुकाबले इस बार गंगा एक मंजिल (करीब 15 फीट) नीचे चली गईं हैं. आलम ये है कि बीच गंगा के साथ-साथ अब गंगा के किनारे भी रेतीले (सैंड कोस्ट) में तब्दील होते जा रहे हैं. यहां के पक्के घाटों पर रेत का टीला जमा होने लगा है. पहली बार देखने को मिला है कि गंगा के बसावट वाले इलाके में घाटों पर बालू और गाद जम रहा है. इस पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह सब देखकर यकीन नहीं होता कि हालात इतने बदतर हो रहे हैं. इसकी रोकथाम तुरंत करनी होगी; वरना सब चौपट हो जाएगा. वाराणसी में गंगा के करीब 40 से ज्यादा घाटों पर ये कंडीशन बन गई है. सिंधिया घाट, सक्का घाट, ललिता घाट से लेकर दशाश्वमेध घाट और पांडेय घाट से लेकर शिवाला तक रेत-गाद पहुंच गया है. अस्सी घाट तो पहले ही बालू-मिट्टी में समा चुका है. सबसे ज्यादा बालू और मिट्टी दशाश्वमेध घाट पर जमा है. यहां पर आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु तो घाटों की सीढ़ियां से उतरकर पहले बालू-मिट्टी पर खड़े होकर तस्वीरें लेते हैं. दशाश्वमेध घाट और राजघाट पर जमा हुई रेत, बोटिंग करने में भी परेशानी बोटिंग करने वाले भी रेत से होकर नावों पर चढ़ते हैं. दशाश्वमेध घाट के सामने हरियाली से डेढ़ किलोमीटर चौड़ा रेत बन गया है. गाय घाट से राजघाट के बीच में 2 किलोमीटर चौड़ा रेत उभर गया है. घाट के सामने गंगा के बीच में लंबे-लंबे रेत निकल आए हैं. यहां पानी की उपलब्‍धता बेहद कम हो गई है. इसके बाद के नजारे तो और भी भयावह हो रहे हैं. रेत के कारण साफ समझ सकते हैं कि हालात किस दिशा में बढ़ रहे हैं. गंगा की अविरलता पर रोक जरूरी, वैज्ञानिकों ने चेताया गंगा वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी सबसे बड़ी वजह गंगा की अविरलता पर रोक लगाना , बाँधो से गंगा के पानी को नुक़सान हो रहा है. पहले सरकार का पूरा प्रयास गंगा निर्मलीकरण का फेल हो जा रहा क्योंकि गंगा के लिये तमाम प्रयास किए गये हैं. गंगा रिसर्च सेंटर बीएचयू प्रो.डॉ. बी . डी त्रिपाठी ने कहा कि एसटीपी प्लांट बना, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बना और सब काम कर रहे हैं लेकिन गंगा में पानी का स्तर घटने से प्रदूषण का मानक बढ़ जा रहा है. गंगा में पानी न होने से जो नालों के सीवेज इसमें गिर रहे हैं; वही यहां प्रदूषण बढ़ा रहे हैं. गंगा सफाई की सभी योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी, अगर… पिछले दस सालों में गंगा सफ़ाई के लिए सरकार ने काफ़ी योजनाएँ संचालित की है लेकिन रिकॉर्ड पानी की कमी सारे मेहनत पर पानी फेर रहा है , ऐसे में यदि गंगा के अविरलता पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह सारी योजनाये असफल साबित होंगी , ऐसे में गंगा के निर्मलता के साथ साथ गंगा के अविरलता पर भी सरकार को ध्यान देना होगा. Tags: Banaras Hindu University, Banaras news, Ganga river, Ganga river bridge, Kashi City, River Ganga, Varanasi Development Plan, Varanasi Ganga Aarti, Varanasi newsFIRST PUBLISHED : June 23, 2024, 19:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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