गांव से पूरी की स्कूली शिक्षा मां से मिली प्रेरणा अब किसान की बेटी बनेगी IFS
गांव से पूरी की स्कूली शिक्षा मां से मिली प्रेरणा अब किसान की बेटी बनेगी IFS
UPSC Success Story: एक सही मार्गदर्शन इंसान की किस्मत बदलकर रख देती है. लेकिन वह मार्गदर्शन और प्रेरणा अगर मां से मिले तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता है. ऐसी ही कहानी इस लड़की की है, जिन्होंने अपनी मां से प्रेरणा लेकर UPSC IFS की परीक्षा में 7वीं रैंक हासिल की हैं.
UPSC Success Story: कहते हैं न कि अगर एक सही मार्गदर्शन इंसान को मिल जाए तो वह अपनी किस्मत बदल सकता है. लेकिन वहीं मार्गदर्शन अगर मां से बेटी को मिले तो वह सोने पर सुहागा होता है. ऐसी ही कहानी आज हम आपको एक लड़की की बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मां के धैर्य और आत्मनिर्भरता से प्रेरित होकर यूपीएससी आईएफएस (UPSC IFS) की परीक्षा को क्रैक किया और 7वीं रैंक हासिल की हैं. उनकी यह उपलब्धि उनकी सफलता के मार्ग को आकार देने में मां के मार्गदर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है. इन नाम काव्या वाई.एस (Kavya YS) है. आइए इनके बारे में नीचे विस्तार से जानते हैं.
कर्नाटक के चिकमगलुरु की रहने वाली काव्या वाई.एस (Kavya YS) की लंबे समय से आईएएस अधिकारी बनने की ख्वाहिश थी. हालांकि उन्हें सही मार्गदर्शन न मिलने पर शुरुआत में वह तैयारी में पिछड़ गई थी, जिसके कारण उन्हें चार साल एक तकनीकी नौकरी करनी पड़ी. वर्ष 2017 में अपने शुरुआती प्रयास के बाद वर्ष 2019 में इंटरव्यू फेज तक पहुंचने के बावजूद उन्हें एक बार फिर प्रीलिम्स परीक्षा पास न कर पाने का झटका लगा. इस परीक्षा के लिए अपने प्रयासों को समाप्त करने के बाद वह अपने सपने को पूरी तरह से छोड़ने वाली थी. लेकिन अपनी मां और गुरुओं के अटूट समर्थन से उन्होंने इस बार फिर से अपनी किस्मत आजमाने का साहस जुटाया. इस बार उन्होंने अपना ध्यान यूपीएससी भारतीय वन सेवा परीक्षा पर केंद्रित किया और उन्होंने ऑल इंडिया 7वीं रैंक हासिल की.
गांव से पूरी की स्कूली शिक्षा
काव्या (Kavya YS) मूल रूप से कर्नाटक के चिकमगलूर के वी यारादाकेरे गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल में 7वीं कक्षा तक प्राप्त की. इसके बाद वह अपनी कक्षा 10वीं पूरी करने के लिए पास के शहर चली गई थी, जहां उनके पिता किसान के रूप में काम करते हैं, वहीं उनकी मां गांव में एक छोटी सी किराने की दुकान चलाती हैं. अपनी शिक्षा केवल कक्षा 5वीं तक ही पूरी करने के बावजूद, उनकी मां हमेशा आर्थिक रूप से स्वतंत्र रही हैं और अपने निर्णय खुद लेने में सक्षम हैं.
यहां से की बीटेक की पढ़ाई
काव्या चित्रदुर्ग के सिरिगेरे में आवासीय तारालाबालू माता स्कूल से कक्षा 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वह इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में बी.टेक करने के लिए बेंगलुरु चली गई. हालांकि, उनके मन में हमेशा से ही सिविल सेवा की आकांक्षाएं थीं, लेकिन मार्गदर्शन की कमी के कारण उन्होंने ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं कर पाईं. ग्रेजुएट के बाद उन्होंने वर्ष 2017 में अपने घर के पास एक कोचिंग सेंटर खुलने से पहले चार साल तक काम किया, जो विशेष रूप से प्रीलिम्स परीक्षा के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता था. वह अपने पहले प्रयास में प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर पाईं. हालांकि, उसी वर्ष, उन्होंने कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित निःशुल्क कोचिंग परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की. इसके बाद वह इसके जरिए तैयारी करने दिल्ली आ गए.
Tags: Success Story, UPSC, Womens Success StoryFIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 08:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed