रजनीश यादव / प्रयागराज: प्रयागराज पहले प्रज्ञा के नाम से जाना जाता था, जहां पृथ्वी का पहला यज्ञ हुआ था, वहीं यहां पर प्राचीन काल से सबसे बड़े धार्मिक मेले का आयोजन भी होता था. तब से लेकर वर्तमान तक प्रयागराज तीर्थ का राजा बना हुआ है. यहां पर कई प्रमुख प्राचीन मंदिर हैं. जिसमें हिंदू देवी देवताओं के रूप में कई प्राचीन मूर्तियां विराजमान हैं. इसी में एक प्राचीन मंदिर भगवान नरसिंह भगवान का है, जिसकी प्रमुख विशेषताएं कुछ इस प्रकार है.
सबसे पहले नरसिंह भगवान की हुई थी मूर्ति पूजा
प्रयागराज के दारागंज में भगवान नरसिंह से जुड़ा हुआ एक प्राचीन मंदिर स्थित है, जहां पर आज भी उनकी प्राचीन मूर्ति विराजमान है. उनके साथ माता लक्ष्मी भी मौजूद हैं. इस मंदिर से जुड़ी रोचकता यह है कि मंदिर के मुख्य पुजारी सुदर्शनाचार्य जी महाराज बताते हैं कि जब हिरण्य कश्यप विष्णु भगवान के भक्त प्रहलाद को दंडित करने के लिए सोच रहा था, उस समय भक्त प्रहलाद ने हिरण्य कश्यप को बताया कि भगवान विष्णु अणु ,कण, खर, सर्वत्र व्याप्त हैं. इस पर हिरण्य कश्यप को और क्रोध आ जाता है और वह प्रहलाद पर हमला करने जाता है. उसी समय वहां उपस्थित एक खंभे को चीर कर शेर का धड़ और मनुष्य का शरीर लेकर भगवान विष्णु अवतरित होते हैं और हिरण्य कश्यप का वध करते हैं. तभी से पहली बार भगवान नरसिंह की मूर्ति पूजा हुई और वहीं से मूर्ति पूजा की शुरुआत भी हुई.
यह है इस मंदिर की प्राचीनता
सुदर्शनाचार्य जी महाराज बताते हैं कि वर्तमान में यह मंदिर डेढ़ सौ वर्ष पुराना है. लेकिन इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा सतयुग की ही बताई जाती है. बताते हैं कि इससे पहले यह मूर्ति जहां आज हरि का मस्जिद है उसी में थी, लेकिन मुगल काल में हुए आक्रमण के दौरान यह मूर्ति दब गई थी. हमारे गुरु महाराज के सपने में भगवान ने इस मूर्ति के बारे में बताया. तब महाराज जी ने इस मूर्ति को लाकर दारागंज के इस मंदिर में स्थापित किया.
उपेक्षित है यह मंदिर
यह मंदिर वर्तमान में दारागंज के घनी आबादी वाले मोहल्ले में स्थित है, जहां तक आज भी सड़क का मुख्य मार्ग से कोई कनेक्शन नहीं है. इसी को लेकर सुदर्शनाचार्य जी महाराज सरकार से मांग कर रहे हैं कि हमारे इस प्राचीन मंदिर का विकास करवाया जाए और इसकी कनेक्टिविटी मुख्य सड़क से की जाए. महाकुंभ 2025 के चलते सभी प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, लेकिन प्राचीन नरसिंह देवता के मंदिर पर आज भी सरकार की नजर नहीं पड़ी है. इस मंदिर में आज भी संस्कृत विद्यालय चलता है, तो वहीं एक बड़ी गौशाला भी मौजूद है. जहां शिष्य शिक्षा लेने के साथ गौ माता की सेवा भी करते हैं.
Tags: Hindi news, Local18, Religion 18FIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 16:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed