बाढ़ और बारिश के बाद धान पर मंडरा रहा इस खतरनाक कीट का खतराऐसे करें पहचान

दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि भूरा फुदका कीट मुख्य रूप से अधिक गर्मी या फिर अधिक नमी में ,खेत में नाइट्रोजन का अधिक प्रयोग करने पर, जल जमाव की स्थिति में यह की अधिक सक्रिय हो जाता है.

बाढ़ और बारिश के बाद धान पर मंडरा रहा इस खतरनाक कीट का खतराऐसे करें पहचान
रायबरेली. धान की फसल रोपाई को लगभग एक महीना बीत चुका है. धान की फसल जैसे-जैसे ग्रोथ कर रही है उसमें कीट एवं रोग लगने का खतरा बढ़ता जा रहा है. बाढ़ और बारिश के बाद धान की फसल में रोग लगने का खतरा ज्यादा रहता है. जिसमें धान की फसल में लगने वाले कीट में भूरा फुदका कीट प्रमुख है. बीते कई दिनों से रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण इस कीट के प्रकोप की आशंका बढ़ रही है. यह कीट धान की फसल के लिए काफी नुकसानदायक होता है. यह धान के पौधे यानी तने को चूसकर पौधे को सुखा देता है. जिससे पौधा झुलसने लगता है इसे “हॉपर बर्न” कहा जाता है. कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी (बीएससी एजी)बताते हैं कि धान की फसल में लगने वाला भूरा फुदका कीट मुख्य रूप से नमी और उच्च तापमान की स्थिति में फैलता है. जो फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है. दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि भूरा फुदका कीट मुख्य रूप से अधिक गर्मी या फिर अधिक नमी में ,खेत में नाइट्रोजन का अधिक प्रयोग करने पर, जल जमाव की स्थिति में यह की अधिक सक्रिय हो जाता है. ऐसे करें पहचान: धान की फसल में लगने वाले भूरा फुदका कीट की पहचान जरूरी है. जिससे किसान अपनी फसल को आसानी से बचाव का सकें. आकार और रंग: भूरा फुदका कीट छोटे आकार का होता है, यह कीट लगभग 4-5 मिमी लंबा होता है. इसका रंग हल्का भूरा या गहरा भूरा होता है. इनके पंख पारदर्शी होते हैं. पीठ पर वाई (V) आकार का निशान होता है. पौधों पर कीटों की उपस्थिति: भूरा फुदका कीट धान के पौधों की निचली पत्तियों और तनों पर बैठता है और रस चूसता है. यदि आप ध्यान से देखें, तो यह कीट अक्सर पत्तियों के निचले हिस्से में समूह बनाकर बैठा हुआ दिखाई देता है. फसल पर लक्षण: प्रभावित पौधे पीले और कमजोर दिखने लगते हैं. पत्तियां मुरझाने लगती हैं, अंततः सूख जाती हैं. यदि कीटों का प्रकोप अधिक हो, तो पूरा खेत सूखा और जलने जैसा दिख सकता है. इस अवस्था को “हॉपर बर्न” कहा जाता है. फसल की वृद्धि में रुकावट: फुदका कीट के कारण पौधों की वृद्धि रुक जाती है, और पौधे छोटे रह जाते हैं. फलस्वरूप, धान की बालियों की संख्या कम हो जाती है. उपज में भारी कमी आ जाती है. इस करें बचाव : भूरा फुदका कीट से बचाव के लिए किसान इन उपाय को अपना करके फसल बचा सकते हैं. जल प्रबंधन: खेत में जल की उचित निकासी सुनिश्चित करें. भूरा फुदका कीट नमी वाले क्षेत्रों में अधिक तेजी से फैलता है, इसलिए जल प्रबंधन पर ध्यान देना जरूरी है. कीटनाशक का उपयोग: यदि कीट की संख्या अधिक हो, तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह पर उचित कीटनाशक का प्रयोग करें. जिसमे इमिडाक्लोप्रिड, थायोमेथोक्सम, और बुप्रोफेजिन जैसे कीटनाशकों का उपयोग इस कीट पर प्रभावी हो सकता है. Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 16:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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