नाबालिग से दुष्कर्म-हत्या मामले में सालों से सजा काट रहा चौकीदार सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फांसी पर रोक
नाबालिग से दुष्कर्म-हत्या मामले में सालों से सजा काट रहा चौकीदार सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फांसी पर रोक
Shocking Story: साल 2013 से एक चौकीदार नाबालिग के दुष्कर्म और हत्या मामले में महाराष्ट्र की ठाणे जेल में बंद है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई के बाद उसकी फांसी पर रोक लगा दी. कोर्ट ने सरकार से अपराध को कम करके दिखाने वाली परिस्थितियों के बारे में रिपोर्ट मांगी है. अभियोजन के मुताबिक गौड़ 30 सितंबर, 2013 को एक नाबालिग लड़की को कथित रूप से सुबह 10 बजे अपने साथ ले गया. उसने उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में उसकी हत्या कर दी.
हाइलाइट्स9 साल से दुष्कर्म-हत्या की सजा काट रहा चौकीदारनाबालिग लड़की का शव फेंक दिया था तालाब मेंसुप्रीम कोर्ट ने लगाई फांसी पर रोक, मांगी रिपोर्ट
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा पाए एक चौकीदार को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने उसे सुनाई गई फांसी की सजा पर गुरुवार को रोक लगा दी. चौकीदार को महाराष्ट्र के ठाणे जिले में वर्ष 2013 के दौरान एक नाबालिग लड़की से दरिंदगी और उसकी हत्या करने के मामले में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई गई थी. शीर्ष अदालत ने फांसी की सजा पर रोक लगाते हुए अपराध को कम करके दिखाने वाली परिस्थितियों के बारे में रिपोर्ट मांगी है.
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कई निर्देश दिए. इनमें से एक में महाराष्ट्र सरकार से कहा गया कि वह अदालत के समक्ष दोषी कैदी के बारे में परिवीक्षा अधिकारी की सभी रिपोर्ट आठ सप्ताह के भीतर पेश करे. पीठ ने आदेश दिया, ‘‘इस मामले में तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर याचिका दायर करने की अनुमति जाती है. मामले की सुनवाई लंबित रहने और विशेष अनुमति याचिका का निपटारा होने तक फांसी की सजा पर अमल निलंबित रहेगा.’’
अदालत ने किया इस बात का जिक्र
एक न्यायाधीश के फैसले का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि अदालत ने मौत की सजा पाने वाले कैदी की मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्थिति के आंकलन की जरूरत को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे. पीठ ने यरवदा केंद्रीय जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वह वर्ष 2013 से जेल में बंद 30 वर्षीय दोषी रामकीरत मुनीलाल गौड़ के जेल में किए गए कार्यों की प्रकृति का विवरण प्रदान करे. गौड़ ने अपने वकील फौजिया शकील के जरिये खुद को दोषी ठहराने और फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उसने बाद में एक अंतिरिम अर्जी देकर मनौवैज्ञानिक मूल्यांकन कराने का अनुरोध किया.
नाबालिग लड़की का शव तालाब में फेंका
अभियोजन के मुताबिक गौड़ 30 सितंबर, 2013 को एक नाबालिग लड़की को कथित रूप से सुबह 10 बजे अपने साथ ले गया. उसने उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद उसने लड़की का शव तालाब में फेंक दिया. निचली अदालत ने वर्ष 2019 में गौड़ को पॉक्सो अधिनियम समेत भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मौत की सजा सुनाई थी. उसने फांसी की सजा को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन इसने भी वर्ष 2021 में मौत की सजा को बरकरार रखा. इसके बाद गौड़ ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया.
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Tags: National News, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 10, 2022, 23:48 IST