लगातार टूटते रुपये का ऑटो सेक्टर पर क्या होगा असर कितना महंगा होगा गाड़ी खरीदना विस्तार से जानें

1 डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच कर 81.13 हो गया है. ऐसे में अब इसका असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी पड़ेगा. असर होगा तो मामला आपकी जेब तक भी आएगा. विस्तार से जानें कि इस पूरे मामले में आप पर क्या वित्तीय भार पड़ेगा.

लगातार टूटते रुपये का ऑटो सेक्टर पर क्या होगा असर कितना महंगा होगा गाड़ी खरीदना विस्तार से जानें
हाइलाइट्सरुपये के दिनों दिन टूटने का सीधा असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी होगा.एक्सपोर्ट और इंपोर्ट दोनों पर ही इसका असर होने के चलते ये ग्राहकों पर सीधा भार डालेगा.हालांकि इसका असर अचानक नहीं दिखेगी लेकिन समय के साथ ये महंगे स्पेयर्स और गाड़ियों के तौर पर सामने आएगा. नई ‌दिल्ली. दुनिया भर में धीरे-धीरे ही सही लेकिन छा रही मंदी का असर अब भारत में भी दिख रहा है. लगातार टूट रहे रुपये और बढ़ती महंगाई कहीं न कहीं सभी पर असर डाल रही है. वहीं रुपया अब तक के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. डॉलर के मुकाबले रुपयो 81.13 हो गया. रुपये के गिरने की खबर के साथ बिजनेस के सभी सेक्टर्स में चिंता है. इससे ऑटो मोबाइल सेक्टर भी अछूता नहीं है. रुपये के गिरने के साथ ही ऑटोबाइल सेक्टर पर भी बड़ा असर देखने को मिलेगा. हां ये जरूर है कि ये असर अचानक नहीं दिखेगा लेकिन धीरे-धीरे आखिर में ये असर ग्राहकों की जेब पर ही भारी पड़ेगा. ऑटोमोबइल कंपनियों के लिए रुपये के अस्थिर होने के चलते मुश्किलें बढ़ेंगी. फिर चाहे वो देशी मार्केट हो या एक्सपोर्ट हर जगह कंपनियों को रुपये के टूटने के चलते नुकसान होने की संभावना है. ये नुकसान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सीधे आपकी जेब पर भी असर देगा. आखिर क्या होगा रुपया टूटने का आप पर असर और कैसे पड़ेगा ये आपकी जेब पर भारी आइये जानते हैं. अब आगे क्या होगा मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार रुपये के लगातार टूटने से ऑटोमोबाइल सेक्टर पर सबसे बड़ा असर इंपोर्ट पर पड़ेगा. ऑटोमोबाइल सेक्टर में चाहे कंपनी देशी हो या विदेशी बड़ी मात्रा गाड़ियों का सामान और तकनीक विदेशों से इंपोर्ट होती है. ऐसे में रुपये के अस्थिर और लगातार टूटने से इनका महंगा होना एक सामान्य बात है. कई देशी कंपनियां विदेशों में अपनी गाड़ियां एक्सपोर्ट करती हैं और उन्हें वहां की ड्यूटी या टैक्स डॉलर्स में देना होता है. डॉलर के दाम रुपये के मुकाबले बढ़ने पर ये रकम भी बढ़ेगी और विदेशों में कड़ी टक्कर होने के चलते ये भार विदेशों के ग्राहकों पर न डालकर कंपनियां अपने ही देश के ग्राहकों पर भी डाल सकती हैं या फिर इसका बंटवारा हो सकता है. सबसे ज्यादा असर उन गाड़ियों पर दिखेगा जो पूरी तरह से हमारे देश में असेंबल हो रही हैं. जिनकी पूरी मैन्यूफैक्चरिंग विदेशों में होती है लेकिन पार्ट्स के तौर पर इंडिया में लाकर उनकी असेंबलिंग की जाती है. रुपये के टूटने से नई तकनीक पर हो रहे निवेश पर काफी असर पड़ेगा और इसकी रफ्तार कम हो सकती है. ऐसे में तकनीकी तौर पर गाड़ियां एक पायदान पीछे हो जाएंगी. इसका सबसे ज्यादा असर ईवी पर देखने को मिलेगा. ईवी की ज्यादातर तकनीक विदेशी है. ऐसे में ऑटोमोबाइल सेक्टर के इस फील्ड में हो रहे डवलपमेंट पर ब्रेक लगते दिख सकते हैं. आपकी जेब पर कैसे होगा असर स्पेयर्स और तकनीक के महंगे होने के चलते गाड़ियों के दाम से लेकर स्पेयर्स के दाम तक बढ़ सकते हैं. गाड़ी की खरीद से लेकर सर्विस तक महंगी होने के आसार. कंपनियों पर एक्सपोर्ट के दौरान बढ़ने वाले आर्थिक भार का कुछ हिस्सा इंडियर कार बासर्य पर भी पड़ सकता है जो आखिर में गाड़ियों के बढ़ते दाम के तौर पर दिखेगा. विदेशी कंपनियों की असेंबल होने वाली गाड़ियों के दाम बढ़ते हुए दिखेंगे. इस सेग्मेंट में ज्यादातर लग्जरी गाड़ियां होंगी. पहले से ही महंगी तकनीक से लैस इलेक्ट्रिनिक व्हीकल के दाम भी बढ़ सकते हैं. कितना होगा असर हालांकि ये असर अचानक नहीं दिखेगा और ये इतना बड़ा भी नहीं होगा. फिर भी होगा और इसका सीधा भार कंज्यूमर पर ही पड़ेगा. इसको हम समझने के लिए ऐसे देख सकते हैं कि जब 1 डॉलर में मिलने वाला सामान 80 रुपये में मिल रहा था वो अब 81 रुपये से ज्यादा का मिलेगा. ये सीधा गणित है लेकिन 81 रुपये का भार एक ही व्यक्ति पर नहीं पड़ेगा, ये डिस्‍ट्रिब्यूटेड रहेगा. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Auto News, Dollar, Rupee weaknessFIRST PUBLISHED : September 23, 2022, 11:37 IST