11 साल से आजाद था रेपिस्‍ट SC में औंधे मुंह गिरी दलील जज बोले- जेल में डालो

सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के दुष्कर्म मामले में आरोपी की उम्र, शादी और कई दलीलों को खारिज करते हुए उसकी सजा बहाल कर दी है. अदालत ने साफ कहा कि नाबालिग से दुष्कर्म जैसे अपराध में न्यूनतम सजा से कम की कोई गुंजाइश नहीं. ‘स्मेग्मा’ वाली दलील भी अदालत ने विज्ञान के आधार पर गलत ठहराई. जन्म प्रमाण पत्र को निर्णायक मानते हुए कोर्ट ने सहमति का तर्क भी खारिज किया. अब आरोपी को चार सप्ताह में आत्मसमर्पण करना होगा.

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