सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को निर्देश ईसाइयों पर कथित हमलों को लेकर रिपोर्ट मांगी
सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को निर्देश ईसाइयों पर कथित हमलों को लेकर रिपोर्ट मांगी
उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने ईसाई संस्थानों पर हो रहे कथित हमलों की ‘सच्चाई का पता लगाने’ की आवश्यकता जताते हुए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों से रिपोर्ट तलब करने का बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश दिया.
हाइलाइट्ससुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया ईसाई संस्थानों पर हो रहे कथित हमलों की ‘सच्चाई का पता लगाने’ की आवश्यकताघटना के दावों को सत्यापित करने की जरूरत
नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने ईसाई संस्थानों पर हो रहे कथित हमलों की ‘सच्चाई का पता लगाने’ की आवश्यकता जताते हुए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों से रिपोर्ट तलब करने का बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी एक व्यक्ति पर हमले का मतलब यह नहीं है कि यह समुदाय पर हमला है, लेकिन यदि जनहित याचिका में किये गये दावों में से केवल 10 प्रतिशत भी सही है तो इसकी जांच करना जरूरी है.
अदालत का यह निर्देश ‘नेशनलिटी सॉलिडरिटी फोरम’ के डॉ. पीटर मशेदो और एवेनजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया के विजयेश लाल और अन्य की याचिका पर आया है. केंद्र सरकार ने न्यायालय से कहा कि ‘मनमर्जी’ रिपोर्ट के आधार पर आधारित जनहित याचिका की सुनवाई नहीं करनी चाहिए. न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘यद्यपि किसी एक व्यक्ति पर हमले का मतलब यह नहीं है कि यह समुदाय पर हमला है, फिर भी हमें सच्चाई का पता लगाना जरूरी है. हमें जनहित याचिका (पीआईएल) के माध्यम से किये गये ऐसी किसी भी घटना के दावों को सत्यापित करने की जरूरत है.’
जनहित याचिका में उल्लेखित मामलों में 162 मामले सत्यापन के बाद गलत पाये गये
अदालत के रुख से असहमति व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि जनहित याचिका में उल्लेखित मामलों में 162 मामले सत्यापन के बाद गलत पाये गये हैं. केंद्र की इस दलील पर पीठ ने कहा, ‘यह एक जनहित याचिका है और हम शुरू में यह मानकर चलते हैं कि जो दावा किया गया है, वह उचित होगा.’ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि ईसाई समुदाय के सदस्यों पर हुए ज्यादातर हमलों में एक ही तरह की पद्धति अपनाई गयी है और ये हमले पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से कराये जा रहे हैं. गोंजाल्विस ने दलील दी कि ज्यादातर मामलों में ईसाई पादरियों के खिलाफ पुलिस द्वारा मुकदमा चलाया जाता है, जबकि हमलावरों को आजाद घूमने की आजादी दी जाती है.
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Tags: Central government, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 01, 2022, 23:11 IST